हालांकि नासा के फीनिक्स मार्स लैंडर के जरिए यह पता चला था कि गर्मियों में मंगल ग्रह के ऊंचे इलाकों में नमकीन लिक्विड वॉटर दिखाई दे सकता है। नासा के ऑब्जर्वेशन यह अनुमान लगाते आए हैं कि मंगल के निचले इलाकों में पानी की कमी है, लेकिन ज़ुरॉन्ग रोवर के नतीजे इससे उलट हैं।
चीन के इस रोवर ने मई 2021 में मंगल के उत्तरी गोलार्ध पर लैंड किया था। रोवर ने अबतक 2 किलोमीटर की दूरी मंगल ग्रह पर तय की है। निष्क्रिय मोड में जाने से पहले ज़ुरॉन्ग ने पृथ्वी पर जो डेटा भेजा था, उससे कई जानकारियां मिलीं, जो ग्रह के निचले इलाके से जुटाई गई थीं। रोवर ने वहीं लैंड किया था।
ज़ुरॉन्ग के भेजे गए डेटा को चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के 20 से ज्यादा रिसर्चर्स के एक ग्रुप ने परखा। उन्हें मंगल की सतहों पर क्रस्ट्स, दरारें, बहुभुज लकीरें और पट्टी जैसे निशान मिले। विश्लेषण से पता चला कि मंगल की वह सतह हाइड्रेटेड सल्फेट्स, हाइड्रेटेड सिलिका और फेरिहाइड्राइट समेत कई अन्य मिनरल्स से भरपूर है। कुछ और आंकड़ों से एक्सपर्ट ने यह अनुमान लगाया है कि सतह की ये खूबियां अतीत में लिक्विड पानी की मौजूदगी से जुड़ी हैं, जो खारा था।
यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मंगल ग्रह के ऊंचे इलाकों की तुलना में निचले इलाके गर्म हैं और जीवन की मौजूदगी या संभावनाओं के लिए बेहतर हैं। यह भी पता चलता है कि कभी ना कभी मंगल ग्रह के विभिन्न इलाकों में खारे पानी की मौजूदगी रही होगी।
हालांकि नासा के फीनिक्स मार्स लैंडर के जरिए यह पता चला था कि गर्मियों में मंगल ग्रह के ऊंचे इलाकों में नमकीन लिक्विड वॉटर दिखाई दे सकता है। नासा के ऑब्जर्वेशन यह अनुमान लगाते आए हैं कि मंगल के निचले इलाकों में पानी की कमी है, लेकिन ज़ुरॉन्ग रोवर के नतीजे इससे उलट हैं।
चीन के इस रोवर ने मई 2021 में मंगल के उत्तरी गोलार्ध पर लैंड किया था। रोवर ने अबतक 2 किलोमीटर की दूरी मंगल ग्रह पर तय की है। निष्क्रिय मोड में जाने से पहले ज़ुरॉन्ग ने पृथ्वी पर जो डेटा भेजा था, उससे कई जानकारियां मिलीं, जो ग्रह के निचले इलाके से जुटाई गई थीं। रोवर ने वहीं लैंड किया था।
ज़ुरॉन्ग के भेजे गए डेटा को चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के 20 से ज्यादा रिसर्चर्स के एक ग्रुप ने परखा। उन्हें मंगल की सतहों पर क्रस्ट्स, दरारें, बहुभुज लकीरें और पट्टी जैसे निशान मिले। विश्लेषण से पता चला कि मंगल की वह सतह हाइड्रेटेड सल्फेट्स, हाइड्रेटेड सिलिका और फेरिहाइड्राइट समेत कई अन्य मिनरल्स से भरपूर है। कुछ और आंकड़ों से एक्सपर्ट ने यह अनुमान लगाया है कि सतह की ये खूबियां अतीत में लिक्विड पानी की मौजूदगी से जुड़ी हैं, जो खारा था।
यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मंगल ग्रह के ऊंचे इलाकों की तुलना में निचले इलाके गर्म हैं और जीवन की मौजूदगी या संभावनाओं के लिए बेहतर हैं। यह भी पता चलता है कि कभी ना कभी मंगल ग्रह के विभिन्न इलाकों में खारे पानी की मौजूदगी रही होगी।