आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ मामले में दो एसीपी और एक इंस्पेक्टर सस्पेंड

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कोलकाता, 21 अगस्त (The News Air): कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में पिछले सप्ताह डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन पर हमला करने और तोड़फोड़ करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार से जागी पश्चिम बंगाल सरकार ने तीन पुलिस कर्मियों को निलंबित किया है. इन पुलिस कर्मियों में 2 एसीपी और एक इंस्पेक्टर शामिल है. इन तीनों के खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के तीखे सवालों के बाद हुई कार्रवाई

पश्चिम बंगाल सरकार ने ये कदम मंगलवार 20 अगस्त को उस समय उठाया जब सुबह के समय सुप्रीम कोर्ट ने तोड़फोड़ की इस घटना पर कई तीखे सवाल खड़े किये. सुप्रीम कोर्ट ने यहाँ तक कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि 7 से 8 हजार की संख्या में हमलावर आरजी कर अस्पताल में घुसकर तोड़फोड़ करते हैं और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं रहती. ज्ञात रहे कि इस घटना में उपद्रवियों द्वारा अस्पताल में डॉक्टरों पर हमला करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की बात सामने आई थी.

इसके जवाब में ये जानकारी साझा की गयी कि कोकाता पुलिस ने हिंसक घटनाओं में शामिल करीब 1,000 पुरुषों और महिलाओं की पहचान की है और उनमें से कई पहले ही दूसरे राज्यों में भाग चुके हैं. पुलिस ने कहा कि अपराधी सोशल मीडिया के ज़रिए जुड़े हुए थे और उस रात शहर के अलग-अलग कोनों से अस्पताल आए थे.

वीडियो की समीक्षा की जा रही है

पुलिस का कहना है कि हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए हमले के वीडियो की समीक्षा की जा रही है. इसके पीछे का उद्देश्य यही है कि जिन जिन के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलते हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जायेगी, गिरफ्तारी की जायेगी. पुलिस के अनुसार उन समूहों की पहचान की गयी है जो साल्ट लेक, केस्टोपुर, एमहर्स्ट स्ट्रीट और अन्य इलाकों से बसों, ट्रकों और अन्य वाहनों में अस्पताल आए थे. पुलिस ने हिंसा के लिए पहले ही 37 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और 10 अन्य लोगों की पहचान की है जिन्होंने बर्बरता में प्रमुख भूमिका निभाई थी.

हिंसा की साजिश के पर्याप्त सबूत

पुलिस ने ये भी कहा कि उनके पास हिंसा की योजना बनाये जाने के सबूत हैं, लेकिन वे अपने निष्कर्षों का खुलासा नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें 22 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट भेजनी है.

पुलिस ने पुष्टि की कि अस्पताल में अपराध स्थल यथावत है और बदमाशों ने वहां कोई छेड़छाड़ नहीं की है.

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