Tarn Taran By-election Result Analysis : पंजाब के तरनतारन उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने 34,701 वोटों के विशाल अंतर से ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस जीत का सेहरा सीधे तौर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान के सिर बंधा है, जिन्होंने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था। वहीं, अपने ‘पंथक’ गढ़ में अकाली दल की करारी हार ने सुखबीर बादल के नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
तरनतारन के चुनावी रण में ‘झाड़ू’ ऐसा चला कि अकाली दल और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां साफ हो गईं। सत्ताधारी ‘आप’ ने न सिर्फ अपनी सीट बरकरार रखी, बल्कि जीत का अंतर इतना बड़ा रखा कि विपक्ष चारों खाने चित हो गया।
CM मान की ‘मेहनत’ या अकाली दल की ‘अंदरूनी फूट’?
आम आदमी पार्टी की इस शानदार जीत के पीछे सबसे बड़ा फैक्टर खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान की आक्रामक रणनीति को माना जा रहा है। CM मान ने इस एक सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था। उन्होंने खुद तरनतारन में डेरा डाला और 18 रोड शो व 22 से ज्यादा जनसभाएं कीं।
यह CM मान की आक्रामक रणनीति का ही नतीजा था कि ‘आप’ ने अकाली दल के ‘पंथक’ गढ़ में उसे इतनी बड़ी शिकस्त दी। अकाली दल की उम्मीदवार सुखविंदर कौर 26,000 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहीं।
हालांकि, अकाली दल की इस हार के पीछे एक बड़ा कारण पार्टी की अंदरूनी ‘बगावत’ भी मानी जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी के कई पुराने ‘टकसाली’ (वरिष्ठ) नेता, जो सुखबीर बादल के नेतृत्व से नाराज हैं, उन्होंने ‘अंदरखाने’ अकाली उम्मीदवार को हराने के लिए काम किया। उनका मकसद सुखबीर बादल को कमजोर करना था, ताकि पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन का दबाव बनाया जा सके।
कांग्रेस का ‘पतन’, राजा वड़िंग के बयान ले डूबे
इस चुनाव में सबसे बुरा हाल कांग्रेस का हुआ। कांग्रेस उम्मीदवार करणबीर बुर्ज महज 12,000 वोट ही ले सके और मुकाबले में तीसरे नंबर पर खिसक गए।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष राजा वड़िंग की विवादित ‘बयानबाजी’ ले डूबी। चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह और सिख छात्रों को लेकर दिए गए बयानों ने पार्टी को बैकफुट पर धकेल दिया था, जिससे वह मुकाबले से ही बाहर हो गई।
‘सुखबीर बनेंगे CM?’… हार ने 2027 के सपनों पर फेरा पानी
यह उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनाव का ‘सेमीफाइनल’ माना जा रहा था। अकाली दल इस ‘पंथक’ सीट से वापसी कर 2027 के लिए बड़ा संदेश देना चाहता था।
लेकिन इस करारी हार ने सुखबीर बादल के नेतृत्व और 2027 में मुख्यमंत्री बनने के उनके सपनों पर पानी फेर दिया है। अब यह सवाल व्यंग्यात्मक (sarcastic) तौर पर पूछा जा रहा है कि जो नेता अपना ‘गढ़’ नहीं बचा सका, वह 2027 में क्या करेगा?
जानें पूरा मामला
तरनतारन की यह सीट आम आदमी पार्टी के विधायक की मृत्यु के बाद खाली हुई थी। यह उपचुनाव CM भगवंत मान सरकार के काम पर एक जनमत संग्रह के तौर पर भी देखा जा रहा था। वहीं, अकाली दल के लिए यह ‘पंथक’ राजनीति के केंद्र माझा में अपनी जमीन वापस पाने का मौका था। ‘आप’ की इस बड़ी जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि माझा के लोगों ने अकाली दल की पारंपरिक राजनीति को छोड़कर भगवंत मान के विकास के मॉडल पर भरोसा जताया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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तरनतारन उपचुनाव में ‘आप’ के गुरदेव सिंह लाडी ने 34,701 वोटों के विशाल अंतर से जीत दर्ज की।
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CM भगवंत मान की 18 रोड शो और 22 रैलियों की आक्रामक रणनीति को जीत का मुख्य कारण माना जा रहा है।
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अकाली दल अपने ‘पंथक’ गढ़ में दूसरे स्थान पर रहा, हार का एक बड़ा कारण ‘अंदरूनी फूट’ और सुखबीर के खिलाफ बगावत रही।
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कांग्रेस राजा वड़िंग के विवादित बयानों के कारण 12,000 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर खिसक गई।






