Trump Russia Policy को लेकर अमेरिका ने अब तक का सबसे बड़ा यू-टर्न ले लिया है। प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की गहरी दोस्ती को देखने के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप ने भी रूस को ‘दुश्मन’ के बजाय ‘दोस्त’ बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। यूक्रेन युद्ध के बीच आई इस खबर ने वैश्विक राजनीति में भूचाल ला दिया है, क्योंकि वाशिंगटन ने अब मॉस्को से टकराव के बजाय सहयोग का रास्ता चुनने का फैसला किया है।
दुनिया ने उस ऐतिहासिक पल को देखा जब प्रधानमंत्री मोदी ने रूस में लैंड करते ही प्रोटोकॉल की परवाह किए बिना राष्ट्रपति पुतिन को गले लगा लिया। यह दृश्य भारत और रूस के अटूट रिश्तों का जीता-जागता सबूत था। इसी गहराई को समझते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने अब रूस को अपने पाले में करने की योजना बनाई है। उन्हें यह समझ आ गया है कि भारत पर दबाव बनाकर रूस से उसकी दोस्ती नहीं तोड़ी जा सकती, इसलिए समझदारी इसी में है कि दोनों से ही दोस्ती रखी जाए।
रूस अब अमेरिका के लिए खतरा नहीं
ट्रंप प्रशासन ने अपनी नई National Security Strategy जारी की है, जिसमें एक चौंकाने वाला बदलाव किया गया है। ओबामा और बाइडेन प्रशासन की नीतियों को पलटते हुए, नई रणनीति में अमेरिका ने रूस को ‘डायरेक्ट थ्रेट’ यानी प्रत्यक्ष खतरा मानने से इनकार कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि अब अमेरिका रूस के साथ दुश्मनी नहीं, बल्कि रणनीतिक स्थिरता चाहता है। रूस ने भी इस पहल का स्वागत किया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता ने इसे एक सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि यह उनकी सोच से मेल खाता है, हालांकि ट्रंप को अमेरिकी ‘डीप स्टेट’ से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
‘फ्लेक्सिबल रियलिज्म’ का नया फॉर्मूला
ट्रंप की यह पूरी कवायद Flexible Realism (लचीला यथार्थवाद) पर आधारित है। इसका अर्थ है- हालात के हिसाब से फैसले लेना और दुश्मनी को कम करके स्थिरता की ओर बढ़ना। इस नीति के तहत अमेरिका की प्राथमिकता अब यूक्रेन युद्ध को बातचीत के जरिए खत्म करना है। आम लोगों के लिए यह राहत की खबर हो सकती है, क्योंकि अगर यह युद्ध थमता है, तो दुनिया भर में ऊर्जा संकट और महंगाई से जुड़ी समस्याओं में कमी आएगी।
यूरोप के लिए खतरे की घंटी
नई रणनीति में यूरोप को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी गई है। इसमें कहा गया है कि यूरोप इस समय ‘सभ्यता के विनाश’ जैसे खतरे का सामना कर रहा है। सुरक्षा की चिंताएं, ऊर्जा संकट और रूस-नाटो के बीच का तनाव यूरोप को अंदर से कमजोर बना रहा है। वहीं, अमेरिका अब ‘मुनरो सिद्धांत’ (पश्चिमी गोलार्ध में अपना प्रभाव और बाहरी दखल कम करना) की वापसी पर भी जोर दे रहा है।
चीन और रूस की जुगलबंदी तोड़ने का प्लान
इस नीति का एक बड़ा मकसद चीन को रोकना भी है। यूक्रेन युद्ध के बाद प्रतिबंधों के कारण रूस और चीन एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए हैं। ट्रंप का मानना है कि अमेरिका को हर हाल में रूस और चीन को एकजुट होने से रोकना चाहिए। इसलिए, Indo-Pacific क्षेत्र में चीन की आक्रामकता, खासकर ताइवान मुद्दे पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगी अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाएंगे।
जानें पूरा मामला
साल 2014 में क्रीमिया पर कब्जे और 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से अमेरिका लगातार रूस को अपना सबसे बड़ा दुश्मन और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बताता रहा है। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन का मानना है कि रूस को अलग-थलग करने की नीति ने उसे चीन की गोद में धकेल दिया है, जो अमेरिका के लिए ज्यादा बड़ा खतरा है। इसलिए अब पुरानी दुश्मनी को भुलाकर नए सिरे से रिश्तों को परिभाषित करने की कोशिश की जा रही है।
मुख्य बातें (Key Points)
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अमेरिका की नई रणनीति में रूस को अब ‘प्रत्यक्ष खतरा’ नहीं माना जाएगा।
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ट्रंप प्रशासन का फोकस यूक्रेन युद्ध को बातचीत से खत्म करने पर है।
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यह नीति Flexible Realism पर आधारित है, जिसका मकसद स्थिरता लाना है।
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मोदी और पुतिन की दोस्ती ने अमेरिका को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर किया।
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मुख्य लक्ष्य रूस और चीन के मजबूत होते गठजोड़ को तोड़ना है।






