Thailand Cambodia Border Dispute News – थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चल रहे खूनी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अब चीन ने ‘सुपरपावर’ के रूप में एंट्री ली है। बीजिंग में दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों के बीच दो दिवसीय अहम बातचीत शुरू हो गई है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में स्थायी शांति बहाल करना है। शनिवार को हुए एक युद्धविराम समझौते के ठीक एक दिन बाद शुरू हुई इस कवायद ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है, क्योंकि इस बार मध्यस्थता की कुर्सी पर वाशिंगटन नहीं, बल्कि ड्रैगन बैठा है।
चीन की मध्यस्थता और बीजिंग में मंथन
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हफ्तों से जारी हिंसा को रोकने के लिए चीन ने पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों देशों के शीर्ष राजनयिक अब चीन की राजधानी बीजिंग में मंथन कर रहे हैं। हालांकि, पहले यह बातचीत चीन के दक्षिण-पश्चिमी युन्नान प्रांत में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की मध्यस्थता में होने वाली थी, लेकिन अब बीजिंग इस कूटनीतिक ड्रामे का केंद्र बन गया है। थाईलैंड के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस बातचीत का एकमात्र लक्ष्य एक स्थायी युद्धविराम (Permanent Ceasefire) सुनिश्चित करना है।
खूनी संघर्ष और 100 लोगों की मौत
यह शांति वार्ता एक भयावह मंजर के बाद हो रही है। इस सीमा विवाद में अब तक 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हिंसा इतनी भयानक थी कि हजारों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर भागना पड़ा। दोनों देशों के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों के बीच डर का माहौल बना हुआ था। हालांकि, अब युद्धविराम के बाद विस्थापित लोगों को अपने घरों में लौटने की इजाजत मिल गई है, जिससे थोड़ी राहत मिली है।
भारत की चिंता: हिंदू देवता की मूर्ति का अपमान
इस संघर्ष के दौरान एक दर्दनाक पहलू यह भी सामने आया कि सीमा पर स्थित एक हिंदू देवता की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया गया। इस घटना पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत का कहना था कि ऐसे अपमानजनक कृत्यों से दुनिया भर में श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होती हैं। भारत ने दोनों देशों से अपील की थी कि वे हिंसा छोड़कर बातचीत और कूटनीति के जरिए इस विवाद को सुलझाएं।
विश्लेषण: अमेरिका को पछाड़ने की चीनी चाल (Expert Analysis)
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दिलचस्प पहलू चीन का ‘एक्शन मोड’ में आना है। जहां दुनिया को उम्मीद थी कि अमेरिका या राष्ट्रपति ट्रंप इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे, वहां चीन ने बाजी मार ली। यह सिर्फ एक सीमा विवाद सुलझाने की बात नहीं है, बल्कि यह चीन का ग्लोबल पावर प्ले है। चीन यह साबित करना चाहता है कि एशिया में ‘बॉस’ वही है और वह अमेरिका के बिना भी बड़े अंतरराष्ट्रीय झगड़े सुलझा सकता है। युद्ध रुकवाने का क्रेडिट लेकर चीन अपनी कूटनीतिक ताकत का लोहा मनवाना चाहता है।
आम लोगों पर असर (Human Impact)
शांति वार्ता और युद्धविराम का सबसे बड़ा फायदा उन गरीब और निर्दोष नागरिकों को होगा जो इस लड़ाई में पिस रहे थे। विस्थापितों की घर वापसी शुरू होना एक सकारात्मक संकेत है। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले किसान और मजदूर, जो गोलियों की गूंज के साये में जी रहे थे, अब चैन की नींद सो सकेंगे।
जानें पूरा मामला (Background)
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा को लेकर विवाद दशकों पुराना है, लेकिन हाल के हफ्तों में यह हिंसक झड़पों में बदल गया था। शनिवार को दोनों देशों ने एक अस्थायी युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद चीन ने तुरंत दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर बुला लिया। चीन ने इस युद्धविराम का स्वागत किया है और शांति बहाली में अपनी भूमिका तेज कर दी है।
मुख्य बातें (Key Points)
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China की मध्यस्थता में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बीजिंग में शांति वार्ता शुरू।
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सीमा विवाद में अब तक 100+ People की मौत हो चुकी है और कई विस्थापित हुए हैं।
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भारत ने संघर्ष के दौरान Hindu Deity Idol को नुकसान पहुंचाने पर चिंता जताई थी।
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चीन इस कदम से USA और राष्ट्रपति ट्रंप को कूटनीतिक मोर्चे पर पछाड़ने की कोशिश में है।
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युद्धविराम के बाद विस्थापित लोगों को सीमा पर अपने घरों में लौटने की अनुमति मिल गई है।






