Trump Tariff India Rice को लेकर अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच सकता है। व्हाइट हाउस में किसानों की शिकायत सुनने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का माथा ठनक गया है और उन्होंने भारत से आने वाले सस्ते चावल पर नए सिरे से टेरिफ लगाने के साफ संकेत दे दिए हैं।
अमेरिका में इन दिनों घरेलू किसान विदेशी सस्ते सामानों से हो रहे नुकसान को लेकर काफी परेशान हैं। इसी सिलसिले में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में किसानों के साथ एक अहम गोलमेज बैठक कर रहे थे। इसी दौरान यह मुद्दा गरमा गया।
किसानों की शिकायत पर भड़के ट्रंप
बैठक के दौरान लुईसियाना की कैनेडी राइस मिल के सीईओ मैरिल कैनेडी ने राष्ट्रपति के सामने एक गंभीर मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि कुछ देश अमेरिकी बाजार में बेहद कम कीमत पर बड़े पैमाने पर चावल की ‘डंपिंग’ कर रहे हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि इस डंपिंग के कारण अमेरिका के घरेलू किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इन देशों पर लगा आरोप
कैनेडी ने राष्ट्रपति को बताया कि इस तरह की डंपिंग करने वाले सबसे बड़े देशों में भारत, थाईलैंड और चीन शामिल हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि चीन का चावल सीधे अमेरिका नहीं, बल्कि प्यूर्टो रिको के रास्ते पहुंच रहा है, जिसका सीधा असर दक्षिण अमेरिकी राज्यों में चावल उत्पादन पर पड़ रहा है।
‘भारत को टेरिफ देना होगा’
किसानों की यह व्यथा सुनकर ट्रंप का रुख तुरंत सख्त हो गया। उनका साफ मानना था कि जो देश ऐसा कर रहे हैं, वे अमेरिका को धोखा दे रहे हैं। जब कैनेडी ने कहा कि मौजूदा टेरिफ काम कर रहे हैं लेकिन इन्हें दोगुना करने की जरूरत है, तो ट्रंप भी चौंक गए और बोले, “आप और टेरिफ चाहती हैं?”
इसके तुरंत बाद, राष्ट्रपति ने ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट को निर्देश दिया कि अमेरिकी बाजार में सस्ती कीमत पर चावल भेजने वाले देशों की सूची तैयार की जाए। ट्रंप ने सीधा सवाल दागा कि “भारत को ऐसा करने की अनुमति क्यों है? उन्हें टेरिफ देना होगा।”
ट्रंप ने पूछा कि क्या चावल पर भारत को कोई छूट मिली है? इस पर ट्रेजरी सेक्रेटरी ने साफ किया कि “नहीं सर, कोई छूट नहीं। हम अभी उनके व्यापार सौदे पर ही काम कर रहे हैं।” ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो नए टेरिफ लगाए जाएंगे और भारत, चीन व थाईलैंड के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जा सकती है।
यह फैसला सीधे तौर पर उन भारतीय किसानों और निर्यातकों के लिए चिंता का विषय बन सकता है जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं।
बातचीत के बीच तनाव के संकेत
यह पूरा विवाद ऐसे नाजुक समय में सामने आया है जब भारत और अमेरिका दोनों एक नए द्विपक्षी व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। गौरतलब है कि अगस्त में अमेरिका पहले ही ट्रेड बैरियर और रूसी तेल खरीद का हवाला देकर भारतीय वस्तुओं पर 50% तक का टेरिफ लगा चुका है।
इस बीच, अमेरिका के ट्रेड ऑफिस का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, डिप्टी यूएसटीआर रिक स्विट्जर के नेतृत्व में, इस हफ्ते भारत पहुंच रहा है। 10 और 11 दिसंबर को होने वाली इन बैठकों में भारतीय पक्ष की अगुवाई वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल करेंगे। अब सबकी नजरें इस बैठक पर टिकी हैं कि अमेरिका के भीतर बढ़ता किसानों का दबाव दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को किस दिशा में ले जाता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन और थाईलैंड से सस्ते चावल के आयात पर नए टेरिफ लगाने के संकेत दिए हैं।
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व्हाइट हाउस में किसानों के साथ बैठक के दौरान यह मुद्दा उठा, जिसमें डंपिंग की शिकायत की गई।
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ट्रंप ने ट्रेजरी सेक्रेटरी को ऐसे देशों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है।
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यह तनाव तब बढ़ा है जब अमेरिकी ट्रेड डेलिगेशन महत्वपूर्ण व्यापारिक बातचीत के लिए भारत दौरे पर आ रहा है।






