Today’s Gold Rate: देश में सोने और चांदी की कीमतों में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग के कारण भारतीय बाजार में सोने की कीमतें अपने ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गई हैं। दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोना ₹1,37,600 प्रति 10 ग्राम के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर को छू चुका है।
संसद में सरकार ने दी कीमतों पर सफाई
लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि सोने और चांदी की कीमतों में यह उछाल सरकार के नियंत्रण में नहीं है। उन्होंने बताया कि कीमती धातुओं की घरेलू दरें मुख्य रूप से तीन कारकों पर निर्भर करती हैं: अंतरराष्ट्रीय बाजार में मौजूदा कीमतें, डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर और लागू किए गए टैरिफ। चौधरी ने स्वीकार किया कि चालू वित्त वर्ष में कीमतों में लगातार वृद्धि का रुझान बना हुआ है।
अर्थव्यवस्था और आम जनता पर असर
वित्त राज्यमंत्री के अनुसार, सोने और चांदी की कीमतों में होने वाली इस बढ़ोतरी का प्रभाव अलग-अलग राज्यों और आबादी के समूहों पर भिन्न होता है। हालांकि, उन्होंने एक सकारात्मक पहलू यह भी बताया कि जब इन धातुओं की कीमत बढ़ती है, तो लोगों की घरेलू संपत्ति (एसेट वैल्यू) पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है। सरकार ने स्पष्ट किया कि मूल्य निर्धारण पूरी तरह से बाजार की शक्तियों द्वारा किया जाता है और इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं रहता।
भारत का भारी-भरकम आयात बिल
भारत में सोने की खपत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चालू वित्त वर्ष में सितंबर तक 26.51 अरब डॉलर का सोना और 3.21 अरब डॉलर की चांदी का आयात किया जा चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान कुल सोने का आयात बिल 58 अरब डॉलर और चांदी का 4.82 अरब डॉलर रहा। भारी आयात के बावजूद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास 31 मार्च 2025 तक 839 मेट्रिक टन सोने का विशाल भंडार मौजूद था, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की बाहरी स्थिरता और रुपये में वैश्विक विश्वास को मजबूती प्रदान करता है।
मांग घटाने के लिए सरकारी प्रयास
फिजिकल सोने की बढ़ती मांग को कम करने और घरों में बेकार पड़े सोने को मुख्य अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसमें ‘गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम’, ‘गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड’ (ETF) और ‘सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम’ जैसे प्रमुख उपाय शामिल हैं। इन योजनाओं का मकसद सोने के आयात पर निर्भरता कम करना और निवेशकों को सुरक्षित विकल्प देना है।
बाजार में हाहाकार, रिकॉर्ड ऊंचाई पर भाव
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर भी सोने की चमक फीकी नहीं पड़ी और यह ₹1,35,496 प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। वैश्विक परिदृश्य की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का हाजिर भाव लगातार पांचवें सत्र में बढ़त के साथ 4,350 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के पार निकल गया है। वैश्विक अस्थिरता जब तक जारी रहेगी, कीमती धातुओं में निवेश का आकर्षण बना रहने की उम्मीद है।
जानें पूरा मामला
सोने और चांदी की कीमतों में यह ऐतिहासिक उछाल वैश्विक स्तर पर चल रहे युद्ध और तनावपूर्ण हालातों का नतीजा है। जब दुनिया भर के शेयर बाजारों में अनिश्चितता होती है, तो निवेशक सुरक्षित विकल्प के तौर पर सोने का रुख करते हैं। भारत अपनी सोने की अधिकांश जरूरतें आयात से पूरी करता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों और डॉलर-रुपये की चाल का सीधा असर आपकी जेब और गहनों की कीमत पर पड़ता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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दिल्ली में सोने की कीमत ₹1,37,600 प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची।
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सरकार ने साफ किया कि कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार और डॉलर की विनिमय दर से तय होती हैं।
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भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक 58 अरब डॉलर का सोना आयात किया है।
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RBI के पास 839 मेट्रिक टन सोने का भंडार है, जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है।






