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Home Breaking News

आज है World Hearing Day, समझे इसके इतिहास, महत्व एवं बहरापन के मुख्य कारण

The News Air Team by The News Air Team
शुक्रवार, 3 मार्च 2023
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World Hearing Day 2023: दुनिया में लोगों को कई बीमारियों का शिकार होना पड़ता है और प्रय्तेक बीमारी में इंसान को पड़ता है। कई बीमारियों का इलाज विज्ञानिको ढूंढा भी है पर कुछ बीमारियों का इलाज अभी भी नहीं मिल पाया है। उन्ही में से एक बीमारी है बहरापन, जिसकी प्रॉब्लम ज्यादातर भूढ़े लोगो को होती है लेकिन आजकल तो कई Cases में तो यह पैदा बच्चे के साथ भी जन्म लेती है। आपको बतादें कि प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस मनाया जाता है। इस दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन एक कैंपेन आयोजित करके लोगों को बहरेपन की बढ़ रही समस्याओं के प्रति जागरूक करता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य मकसद लोगों को बहरेपन की समस्या के कारण और निवारण के प्रति जागरूक करना है। हालांकि इसके लिए कुछ संस्थाएं ऐसी भी है जहां इसके लिए लोगों को शिक्षित किया जाता है ताकि वह बेहरे लोगों को इशारों में पढ़ा सकें। इस दरम्यान लोगों को यह भी बताया जाता है कि लोग कैसे अपने कान की सुरक्षा और सेहत पर ध्यान देना चाहिए। आइए जानते है इसके इतिहास और महत्व के बारे में।  

विश्व श्रवण दिवस का इतिहास?
तेजी से बढ़ते बहरेपन की समस्या से लोगों को जागरूक करने के लिए साल 2007 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘विश्व श्रवण दिवस’ मनाने की घोषणा की थी। प्रारंभ में इसे इंटरनेशनल ईयर केयर (INTERNATIONAL EAR CARE DAY) के नाम से मनाने की घोषणा की थी। साल 2016 में इसे ‘वर्ल्ड हियरिंग डे’ यानी विश्व श्रवण दिवस का नाम मिला। इस अवसर के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन एक थीम तैयार करता है साथ ही शैक्षिक सामग्री तैयार करता है, जो विभिन्न भाषाओं में लोगों को उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके। 

World Hearing Day का क्या है महत्व ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आयोजित यह दिवस श्रवण तंत्रिकाओं की सुरक्षा एवं रोग निवारक उपायों को अपनाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई के बारे में जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 1.5 अरब लोग पूर्ण अथवा आंशिक रूप से बहरेपन की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसमें करीब 4 करोड़ 30 लाख लोग ऐसी स्थिति में हैं, जिन्हें यथाशीघ्र पुनर्वास की जरूरत है। जहां तक भारत की बात है तो यहां 6.5 करोड़ से भी अधिक लोग ऐसे हैं, जिन्हें या तो कम सुनाई देता है अथवा बिलकुल भी सुनाई नहीं देता। इतनी बड़ी जनसंख्या का इस समस्या से ग्रस्त होने के बावजूद व्यक्ति विशेष की श्रवण समस्या को समझने और एक्सपर्ट चिकित्सक के पास आने तक 5 से 6 साल लग जाते हैं। इस तरह इलाज में देरी की वजह से लोगों में विभिन्न मानसिक बीमारियों अथवा अवसाद उत्पन्न होते हैं। 

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828 World Ear Care Day Images, Stock Photos & Vectors | Shutterstock

बहरेपन के मुख्य कारण
बढ़ती उम्र बहरेपन का आम कारण हो सकता है। अक्सर बढ़ती उम्र के साथ  कान की नसें कमजोर होने से भी व्यक्ति विशेष बहरेपन का शिकार हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो शुरू-शुरू में पीड़ित को पता ही नहीं चल पाता कि उसकी श्रवणीय क्षमता कम हो रही है। इसकी वजह से बीमारी कभी-कभी नियंत्रण से बाहर हो सकती है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु के 33 प्रतिशत लोगों बहरेपन की शिकायत होती है, जब 74 वर्ष की उम्र में यह 50 फीसदी पाया जाता है। 
828 World Ear Care Day Images, Stock Photos & Vectors | Shutterstock.

ध्वनि प्रदूषण
बढ़ती उम्र के अलावा ध्वनि प्रदूषण भी बहरेपन का दूसरा बड़ा कारण होता है। निरंतर बढ़ते ट्रैफिक का शोर कानों पर बुरा प्रभाव डालता है। युवाओं में ईयरफोन से फास्ट म्यूजिक सुनने अथवा ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल पर गाने सुनने से भी कानों पर बुरा असर पड़ता है। इससे प्राप्त आंकड़े चिंता करने वाले हैं कि 20 से 40 वर्ष के करीब 20 प्रतिशत से ज्यादा युवाओं में बहरेपन की शिकायत देखने को मिलती है। इसमें एक कारक बिना ईयर फोन के फैक्ट्री में काम करने वालों में भी बहरेपन के आंकड़े परेशान करने वाले हैं।

WORLD HEARING DAY - March 3, 2023 - National Today

सिर में चोट लगना
चिकित्सकों का मानना है कि चोट लगने से भी श्रवणीय क्षमता प्रभावित हो सकती है। यदि दुर्घटना के दौरान शारीरिक चोट या झटका कान के करीब होता है तो यह चोट बहरेपन का कारण बन सकता है। 

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