Tobacco Tax Bill 2025 in Hindi: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद के शीतकालीन सत्र में सिगरेट, गुटखा, और पान मसाला जैसे अस्वास्थ्यकर उत्पादों पर कराधान (Taxation) की व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने के लिए दो नए महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही हैं। ये विधेयक न केवल टैक्स के ढांचे में बदलाव लाएंगे बल्कि जीएसटी (Goods and Services Tax) की दर में भी बड़ा परिवर्तन करेंगे। सरकार का यह कदम तंबाकू उत्पादों के कराधान को सरल और प्रभावी बनाने की दिशा में है।
पहला विधेयक, ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक, 2025’, मौजूदा ‘जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर’ (GST Compensation Cess) की जगह लेगा। वर्तमान में यह उपकर सिगरेट, चबाने वाले तंबाकू, सिगार, हुक्का, जर्दा और सुगंधित तंबाकू जैसे सभी प्रकार के तंबाकू उत्पादों पर लगाया जाता है। वहीं, दूसरा विधेयक, ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक, 2025’, विशेष रूप से पान मसाला जैसी वस्तुओं के उत्पादन पर उपकर लगाने का प्रावधान करेगा।
जीएसटी दर में बड़ा बदलाव, कंपनसेशन सेस घटेगा
इन विधेयकों के तहत सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी की दर में होने वाला है। तंबाकू उत्पादों पर लगने वाला जीएसटी, जो पहले 28% था, अब बढ़कर 40% हो जाएगा। हालांकि, इसके साथ ही एक राहत की खबर भी है। वर्तमान में इन उत्पादों पर लगने वाला कंपनसेशन सेस, जो उत्पाद के अनुसार 5% से लेकर 290% तक होता है, उसमें कटौती की जाएगी। इसका मतलब यह है कि जीएसटी दर बढ़ने के बावजूद उपभोक्ताओं द्वारा चुकाए जाने वाले कुल टैक्स में कोई बदलाव नहीं होगा।
उदाहरण से समझें टैक्स का गणित
इस बदलाव को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिए, किसी खास तरह की सिगरेट पर अभी 28% जीएसटी लगता है और उसके साथ 290% कंपनसेशन सेस। इस तरह कुल टैक्स 318% (28% + 290%) हो जाता है। नए नियमों के लागू होने के बाद, जीएसटी बढ़कर 40% हो जाएगा, लेकिन कंपनसेशन सेस घटकर 278% हो जाएगा। इस स्थिति में भी कुल टैक्स 318% (40% + 278%) ही रहेगा। यानी उपभोक्ताओं को सिगरेट पर उतना ही टैक्स देना होगा, जितना वे पहले दे रहे थे।
उत्पादन पर लगेगा नया सेस
‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक, 2025’ के तहत पान मसाला और इसी तरह की अन्य विशिष्ट वस्तुओं के उत्पादन पर अब नए तरीके से उपकर (Cess) लगाया जाएगा। यह सेस मशीन की उत्पादन क्षमता, मशीन कितनी बार चलती है और उत्पादन से जुड़े दूसरे पहलुओं के आधार पर तय होगा। संसद से इन दोनों विधेयकों के पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद सरकार नए नियमों को अधिसूचित करेगी।
जीएसटी के ढांचे में पहले भी हुआ था बदलाव
इससे पहले, सितंबर 2025 में जीएसटी के ढांचे को सरल बनाया गया था। उस समय 5%, 12%, 18% और 28% की बहुस्तरीय संरचना को घटाकर केवल दो स्लैब, 5% और 18% कर दिया गया था। हालांकि, तंबाकू और लग्जरी वाहनों जैसे ‘डेमेरिट गुड्स’ (Demerit Goods) पर 40% का स्पेशल टैक्स रखा गया था। इस बदलाव से एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्युटिकल जैसे कई सेक्टर्स के कुल 375 सामानों की कीमतों में कमी आई थी, जिन्हें 22 सितंबर से लागू किया गया था। लेकिन तंबाकू उत्पादों को इस नई संरचना से बाहर रखा गया था और उन पर अभी भी 28% जीएसटी के साथ-साथ उपकर और दूसरे शुल्क लगाए जा रहे थे।
इंश्योरेंस सेक्टर में भी बदलाव की तैयारी
सिर्फ तंबाकू ही नहीं, सरकार इंश्योरेंस सेक्टर में भी बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। ‘इंश्योरेंस लॉज अमेंडमेंट बिल, 2025’ के जरिए सरकार इंश्योरेंस सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करने पर विचार कर रही है। ‘हेल्थ सिक्योरिटीज एंड नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025’ और ‘सेंट्रल एक्साइज अमेंडमेंट बिल, 2025’ दोनों ही सोमवार को लोकसभा की कामकाज की सूची में शामिल हैं।
संसद के सत्र में हंगामे के आसार
संसद के शीतकालीन सत्र में इन विधेयकों के पेश होने के साथ ही हंगामे के भी पूरे आसार हैं। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और पश्चिम बंगाल से माकपा समेत कई विपक्षी दलों ने ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) यानी वोटर लिस्ट के विशेष संशोधन पर चर्चा की मांग प्रमुखता से उठाई है। समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव और माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने चेतावनी दी है कि अगर SIR पर चर्चा नहीं हुई, तो वे संसद नहीं चलने देंगे।
मुख्य बातें (Key Points)
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संसद के शीतकालीन सत्र में तंबाकू उत्पादों पर कराधान के लिए दो नए विधेयक पेश किए जाएंगे।
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तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी की दर 28% से बढ़कर 40% हो जाएगी।
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जीएसटी बढ़ने के बावजूद कंपनसेशन सेस में कटौती के कारण उपभोक्ताओं पर कुल टैक्स का बोझ नहीं बढ़ेगा।
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पान मसाला जैसी वस्तुओं पर अब उत्पादन क्षमता और मशीन के इस्तेमाल के आधार पर सेस लगाया जाएगा।






