स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (health insurance policy) लेते समय पॉलिसीधारक के दिमाग में रहता है कि एक बार पॉलिसी पास हो गई तो उसके स्वास्थ्यसंबंधी सभी सारी समस्याओं का समाधान हो गया। उनकी किसी भी बीमारी के मामले में उन पर हाॉस्पिटल के खर्च का बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन हेल्थ पॉलिसी में ऐसी कई मेडिकल उपचार होते हैं जिसे बीमा कंपनी की ओर कवर नहीं किया जाता और उन्हें उसके पैसे नहीं मिलते हैं। इनमें पहले से मौजूद बीमारियां और गर्भावस्था से संबंधित जटिलताएं शामिल हैं। हालांकि हेल्थ इंश्योरेंस कवर एक्स्क्लूसंस के मामले में भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के दिशानिर्देशों का पालन करना होता है।
5 मेडिकल उपचार जिन्हें बीमा पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता
कॉस्मेटिक सर्जरीज (Cosmetic surgeries)
कॉस्मेटिक सर्जरी आमतौर पर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों द्वारा कवर नहीं की जाती हैं। बोटॉक्स, लिपोसक्शन, इम्प्लांट्स और इसी तरह की सर्जरी जैसी प्रक्रियाओं को बाहर रखा गया है। बीमा कवर में शामिल नहीं होने पर बीमा कंपनियां उपचार के लिए पैसे अदा नहीं करती हैं।
बांझपन/गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं (Infertility/pregnancy-related complications)
बांझपन या गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं जैसे गर्भपात या किसी अन्य उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होकर उपचार कराने को स्वास्थ्य बीमा कवरेज से बाहर रखा गया है। हालांकि कुछ मैटरनिटी हेल्थ प्लान इन खर्चों के लिए कुछ शर्तों के साथ कवरेज का ऑफर देते हैं।
पहले से मौजदू बीमारी (Pre-existing illnesses)
हेल्थ पॉलिसी लेने के पहले बीमाधारक के शरीर में मौजूद किसी भी बीमारी को पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता है। हालांकि इसमें वेटिंग पीरियड शामिल होता है। ये वेटिंग पीरियड अलग-अलग कंपनियों के प्लान में अलग-अलग होता है।
उदाहरण के लिए कुछ बीमा कंपनियां मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग आदि बीमारियों के लिए कवरेज देती हैं। लेकिन अधिकांश पॉलिसी वेटिंग पीरियड पूरा होने के बाद ही ऐसे खर्चों को कवर करती हैं। ये वेटिंग पीरियड 12-48 महीनों तक हो सकते हैं।
श्रवण और दृष्टि से संबंधित उपचार (Hearing and vision)
सुनने और देखने के प्रति पहले से मौजूद दोष को कवर नहीं किया जाता है। यदि किसी एक्सीडेंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है तो उस उपचार का खर्च भी इसमें कवर नहीं किया जा सकता है।
दांत संबंधी उपचार (Dental coverage)
आमतौर पर दांतों से संबंधित बीमारी को कवर नहीं किया जाता है क्योंकि उनके उपचार के लिए आमतौर पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट के मुताबिक अगर आकस्मिक चोट के कारण डेंटल उपचार का खर्च आता है, तो स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां उन खर्चों को कवर करती हैं।