The News Air- खाने के तेल की क़ीमतों में 10-15% की कटौती की गई है। जिन ब्रांड्स की क़ीमतें घटाई गई हैं उसमें फॉर्च्यून, महाकोश, सनरिच, रुचि गोल्ड और अन्य हैं। इससे पहले अक्टूबर में भी 4-5% क़ीमतें घटी थीं।
बड़ी कंपनियों ने घटाई क़ीमतें
देश की बड़ी कंपनियों अडाणी विल्मर, रुचि सोया और अन्य ने अधिकतम क़ीमतों में कटौती की है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने बताया कि अडाणी ने अपने फॉर्च्यून ब्रांड, रुचि सोया ने महाकोश, सनरिच, रुचि गोल्ड और न्यूट्रेला ब्रांड की क़ीमतों को घटाया है। इमामी ने हेल्दी एंड टेस्टी ब्रांड्स और जेमिनी ने फ्री़डम तथा सनफ्लावर की क़ीमतों में कमी की है।
छोटे ब्रांड्स की भी क़ीमतें घटीं
इसके अलावा छोटे-मोटे ब्रांड्स ने भी अपने तेल की क़ीमतों में कटौती की है। इसमें सनी ब्रांड, गोकुल एग्रो और अन्य हैं। SEA ने कहा कि हमारे सदस्यों ने हमारी अपील पर अच्छा रिस्पांस किया है। उन सदस्यों ने लगातार तेलों की क़ीमतों में कमी की है। सभी ब्रांड में 10-15% की कटौती की है। इससे ग्राहकों को राहत मिलेगी।
कंपनियों के साथ हुई थी बैठक
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कुछ दिन पहले इस इंडस्ट्री की कंपनियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने कहा था कि तेल की क़ीमतें काफ़ी ज़्यादा है और इसमें कमी होनी चाहिए, क्योंकि आयात ड्यूटी में कमी की गई है। इसके बाद इन कंपनियों ने यह फ़ैसला लिया है।
इंडस्ट्री ने कहा कि नए साल में ग्राहकों को कुछ राहत मिलेगी। इसी तरह से त्योहारी सीजन में भी इन कंपनियों ने 5-10% की कटौती क़ीमतों में की थी। SEA ने कहा कि खाने के तेल की क़ीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज़्यादा भाव के कारण बढ़ी थीं।
इंपोर्ट ड्यूटी घटाई गई
सरकार ने इस साल आयात ड्यूटी को कई बार घटाया है। पिछली बार 20 दिसंबर को रिफाइंड पाम ऑयल पर कस्टम्स ड्यूटी को 17.5% से घटाकर 12.5% कर दिया गया था। यह कटौती मार्च 2022 तक लागू रहेगी। सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए सरकार ट्रेडर्स को रिफाइंड ऑयल के इंपोर्ट की बिना लाइसेंस के इजाज़त दे दी है। यह नियम दिसंबर 2022 तक लागू रहेगा।
SEA के अनुसार, भारत खाने के तेल का क़रीबन 65% हिस्सा आयात करता है। सालाना भारत में 22 से 23 मिलियन टन के तेल की खपत होती है। इस आधार पर 13 से 15 मिलियन टन तेल का आयात होता है।