वक्फ बिल 2024 पर जेपीसी में खूब हो रही तनातनी, जानिए अब नया क्या हुआ

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नई दिल्ली, 31 अगस्त (The News Air): केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते संसद सत्र के दौरान वक्फ संशोधन बिल 2024 लोकसभा में पेश किया। हालांकि, विपक्ष ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया। आखिरकार ये विधेयक ज्वाइंट पर्लियामेंट्री कमिटी यानी जेपीसी को भेज दिया गया। अब जेपीसी की बैठक में भी वक्फ बिल पर तनातनी की खबरें आ रहीं। जानकारी के मुताबिक, बीजेपी और विपक्षी सांसदों के बीच संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में वक्फ बिल पर गरमागरम बहस हुई। अब समिति ने बिल में प्रस्तावित बदलावों पर 15 दिनों के भीतर लोगों, विशेषज्ञों और संस्थानों से राय मांगी है।

वक्फ बिल पर दूसरी बैठक में क्या हुआ

बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय ज्वाइंट पर्लियामेंट्री कमिटी की पिछले हफ्ते पहली बैठक हुई थी। इसके बाद शुक्रवार को समिति की दूसरी बैठक हुई। हालांकि, इसमें भी बीजेपी और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। विपक्षी दलों ने लोकसभा में बिल का विरोध किया था। अब अगली बैठक 5-6 सितंबर को होनी है। सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को जिन संशोधनों पर गंभीरता से बहस हुई, उनमें से एक जिला कलेक्टर को संपत्तियों का सर्वेक्षण करके उन्हें वक्फ घोषित करने का अधिकार देने का प्रस्ताव था।

जेपीसी में किन मुद्दों पर अटक रही बात

एक्ट में ‘Waqf By User’ शब्द को हटाने के प्रस्ताव पर भी चिंता व्यक्त की गई। सूत्रों ने बताया कि एक मुद्दे पर असहमति के बाद विरोध दर्ज कराने के लिए विपक्ष कुछ देर के लिए बैठक से बाहर चला गया और फिर वापस आ गया। इसी घमासान के चलते बैठक में काफी समय लग गया। वहीं जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति ने ऑल इंडिया सुन्नी जमीयत उलमा, मुंबई; दिल्ली स्थित इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स और यूपी-राजस्थान के सुन्नी वक्फ बोर्ड जैसे स्टेकहोल्डर्स के भी विचार सुने।

क्या बोले समिति अध्यक्ष जगदंबिका पाल

जगदंबिका पाल ने कहा कि हमने पहली बैठक में कहा था कि अगर सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को जेपीसी को भेजा है, तो हम देश के जितने वक्फ बोर्ड हैं, उन्हें बुलाएंगे। हम अल्पसंख्यक संगठनों का हिस्सा रहने वालों को भी बुलाएंगे। सरकार का मानना है कि एक बेहतर बिल आना चाहिए। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, समिति ने आम जनता और गैर सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों, स्टेक होल्डर्स और संस्थानों से विशेष रूप से विधेयक के व्यापक निहितार्थों पर विचार और सुझाव मांगे हैं।

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