LIC का आईपीओ 4 मई को ओपन होगा। कंपनी ने प्रति शेयर 902 से 949 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। पॉलिसी होल्डर्स को प्रति शेयर 60 रुपये और रिटेल इनवेस्टर्स को प्रति शेयर 45 रुपये डिस्काउंट मिलेगा। एंप्लॉयीज को भी प्रति शेयर 45 रुपये डिस्काउंट मिलेगा। प्राइस बैंड के ऊपरी लेवल पर कंपनी की वैल्यूएशन क़रीब 6 लाख करोड़ रुपये आती है। क्या देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी की वैल्यूएशन इतनी ही है?
LIC IPO के साईज को लेकर सरकार शुरू से उलझन में रही है। पहले सरकार ने इस कंपनी में अपनी 10 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचने का मन बनाया था। फिर इसे घटाकर 5 फ़ीसदी किया गया। आख़िरकार इसे घटाकर 3.5 फ़ीसदी कर दिया गया। इससे इस आईपीओ की चमक और वजह फीका पड़ गया। हालांकि, ऐसा लगता है कि सरकार ने स्टॉक एक्सचेंज की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए यह फ़ैसला लिया है। दरअसल, सरकार इस आईपीओ को और नहीं टालना चाहती है।
LIC का देश के सबसे बड़े शहरों के सबसे महंगे इलाक़ों के रियल एस्टेट में काफ़ी इनवेस्टमेंट है। मुंबई के फोर्ट और दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट में इसकी प्रॉपर्टी है। इन दोनों इलाक़ों में प्रॉपर्टी होना किसी रियल एस्टेट कंपनी का सपना हो सकता है। 2013 के इंटरनल एसेसमेंट में इस प्रॉपर्टी की वैल्यू 70,000 करोड़ रुपये लगाई गई थी। इसमें एमएफ हुसैन की पेंटिंग्स भी शामिल थीं।
2013 में जिस प्रॉपर्टी की वैल्यू 70,000 करोड़ रुपये थी, आज उसकी वैल्यू कितनी हो गई होगी, उसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मार्च 2020 के एक इंटरनल एसेसमेंट के मुताबिक़ इस प्रॉपर्टी की वैल्यू क़रीब 44,42,075 करोड़ रुपये (5.8 अरब डॉलर) पहुंच गई है। लाइफ इंश्योरेंस का बिजनेस अलग तरह का होता है। इसमें बिजनेस की फ्यूचर वैल्यू देखी ज़ाती है।
एलआईसी फाइनेंशियल मार्केट की एक बड़ी प्लेयर है। इसका शेयरों और बॉन्ड में काफ़ी इनवेस्टमेंट है। अगर इसके सालाना इनवेस्टमेंट को देखा जाए तो विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स का निवेश भी फीका पड़ जाएगा। 30 सितंबर, 2021 को इसके कुल इनवेस्टमेंट की वैल्यू 39.5 लाख करोड़ रुपये थी।
LIC में 3.5 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचकर सरकार क़रीब 21,000 करोड़ रुपये जुटाएगी। इस तरह इसकी वैल्यूएशन क़रीब 6 लाख करोड़ रुपये आती है। इस तरह इसके शेयर में इसके इम्बेडेड वैल्यू के 1.1 गुना पर कारोबार होगा। इम्बेडेड वैल्यू में फ्यूचर डिस्काउंटेड प्रॉफिट और नेट एसेट वैल्यू शामिल होती है। इसके मुक़ाबले एचडीएफसी लाइफ, एसबीआई लाइफ और आईसीआईसीआई प्रू की इम्बेडेड वैल्यू के 2.1 से 3.1 गुना के बीच कारोबार हो रहा है।
सवाल यह है कि क्या सरकार ने जल्दबाज़ी में LIC का IPO पेश किया? सरकार यूक्रेन क्राइसिस ख़त्म होने का इंतज़ार कर सकती थी। सरकार कंपनी में अपनी सिर्फ़ 3.5 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। शेयर की लिस्टिंग प्राइस से इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन तय होगा।