नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (The News Air)
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों द्वारा सड़कें बंद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाने के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कृषि कानून को लेकर पक्ष-विपक्ष हो सकता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरह रास्ता बंद किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सड़क से हटने को लेकर किसान संगठनों को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिसंबर तक का समय दिया है.
सड़क जाम नहीं कर सकते- SC– सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल ने कहा कि सड़कें साफ होनी चाहिए, हम बार-बार कानून नहीं तय करते रह सकते, आपको आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते. अब कुछ समाधान निकालना होगा. उन्होंने कहा कि मामला विचाराधीन होने पर भी उन्हें विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता. सड़कें लोगों को आने जाने के लिए हैं. सड़क जाम के मुद्दे से हमें समस्या है. केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 26 जनवरी का मुद्दा गंभीर था.
किसानों ने अपनी दलील में कही ये बात– सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि हमने 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है. लेकिन केवल दो संगठनों ने ही जवाब दिया है. किसान संगठन के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि सड़क को पुलिस ने बंद किया है, हमने नहीं. बीजेपी को रामलीला मैदान में रैली करने दी, हमें भी आने दीजिए. इसपर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि मामले के कई गंभीर पहलू भी हैं. दवे ने कहा कि किसानों को बदनाम करने के लिए गढ़ी गई बातें हैं. लाल किला मामले में सभी आरोपियों को जमानत मिल गई है.
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस प्रदर्शन के पीछे कुछ छिपे हुए उद्देश्य भी हैं. इसपर किसान संगठन के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि कानून पास करने से पहले किसानों से बात नहीं की. अब उन पर आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को रामलीला मैदान आने दीजिए, सड़क खाली हो जाएगी. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि कुछ लोगों का स्थायी घर रामलीला मैदान में ही बना देना चाहिए. दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाने के लिए दायर याचिका पर अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी.