नई दिल्ली, 28 फरवरी (The News Air)| महिला-20 (डब्ल्यू-20) की बैठक में ‘क्लाइमेट रेजिलिएंस एक्शन में चेंजमेकर्स के रूप में महिलाओं की भूमिका’ के वैश्विक स्तर पर नीति निर्माण के लिए एक जेंडर-लेंस आभियान शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। डब्ल्यू-20 इंसेप्शन मीट में सोमवार को महिलाओं की भूमिका, जलवायु कार्रवाई, शिक्षा और कौशल, लैंगिक डिजिटल विभाजन और जमीनी स्तर के नेतृत्व पर चर्चा की गई।
महिला-20 (डब्ल्यू-20) की पहली बैठक का सोमवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने उद्घाटन किया। डब्ल्यू-20 इंडिया ने नैनो, माइक्रो और स्टार्टअप उद्यमों में महिलाओं को सशक्त बनाने पर अपना पहला सत्र आयोजित किया। इस सत्र में महिलाओं को बिना किसी भेदभाव और पूर्वाग्रह के अपना उद्यम स्थापित करने की अनुमति देने वाली रूपरेखा स्थापित करने पर जोर दिया गया।
जलवायु परिवर्तन पर डब्ल्यू-20 टास्क फोर्स की अध्यक्ष मार्टिना रोगैटो ने इस बात पर जोर दिया कि ‘जलवायु परिवर्तन अब कोई सिद्धांत नहीं है। यह दुख की बात है कि अब यह एक वास्तविकता है।’
इस सत्र के पैनलिस्टों में जीसीईएफ की संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष एंजेला जू-ह्यून कांग; एशियाई विकास बैंक में लैंगिक समानता विषयक समूह की प्रमुख सामंथा जेन हंग; नताशा जरीन, सह-संस्थापक और एमडी, सेंटर फॉर एप्लाइड रिसर्च एंड पीपल्स एंगेजमेंट, औरंगाबाद; एलेना मायकोटिकोवा, सीईओ और सलाहकार, सिबुर; और प्राची शेवगांवकर, युवा जलवायु परिवर्तन-निर्माता और सलाहकार जलवायु नेतृत्व गठबंधन के सदस्य मौजूद रहे।
वहीं विश्व के 20 देशों से आए जी-20 देशों की सदस्यों के समक्ष अपने विचार व्यक्त करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि जलवायु कार्रवाई और वित्तीय समाधानों की आवश्यकता पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हैं, हमें महिलाओं के लिए पहले उत्तरदाताओं के रूप में रूपरेखा के बारे में सोचने की आवश्यकता है। परिषद में महिलाओं के उन्नति के लिए होने वाला मंथन विश्व को आगे ले जाने वाला साबित होगा। क्योंकि, भारत महिला सक्षमीकरण के लिए काफी बेहतर है।
भारत की अध्यक्षता के तहत डब्ल्यू-20 के पांच प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं, जिनमें उद्यमिता में महिलाएं, जमीनी स्तर पर महिला नेतृत्व, लैंगिक डिजिटल विभाजन को कम करना, शिक्षा और कौशल विकास और जलवायु लचीलेपन कार्य में परिवर्तन निमार्ताओं के रूप में महिलाएं और लड़कियां शामिल हैं।