• About
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Disclaimer & DMCA Policy
🔆 शनिवार, 6 दिसम्बर 2025 🌙✨
The News Air
No Result
View All Result
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • पंजाब
  • राज्य
    • हरियाणा
    • चंडीगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • राजस्थान
  • अंतरराष्ट्रीय
  • सियासत
  • नौकरी
  • LIVE
  • बिज़नेस
  • काम की बातें
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • खेल
  • लाइफस्टाइल
    • हेल्थ
    • धर्म
  • स्पेशल स्टोरी
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • पंजाब
  • राज्य
    • हरियाणा
    • चंडीगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • राजस्थान
  • अंतरराष्ट्रीय
  • सियासत
  • नौकरी
  • LIVE
  • बिज़नेस
  • काम की बातें
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • खेल
  • लाइफस्टाइल
    • हेल्थ
    • धर्म
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
The News Air
No Result
View All Result
Home Breaking News

वंदे मातरम् की असली कहानी: क्यों यह सिर्फ देशभक्ति का गान है, पॉलिटिकल टूल नहीं!

150 साल पुराना गीत जो अंग्रेजों को डराता था, आज हमें आपस में लड़ाता दिख रहा है

The News Air by The News Air
शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
A A
0
Vande Mataram Controversy
104
SHARES
696
VIEWS
ShareShareShareShareShare
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now

Vande Mataram Controversy : 150 साल पहले बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने जो दो शब्द लिखे थे, वो आज भी दिल में आग लगा देते हैं – वंदे मातरम। यह गीत आजादी की लड़ाई का नारा था, क्रांतिकारियों का हथियार था, लाखों लोगों की जुबान पर था। लेकिन आज वही गीत संसद में बहस का मुद्दा बनने जा रहा है। सवाल सिर्फ इतना नहीं कि इसे गाना चाहिए या नहीं, सवाल यह है कि क्या हम इस गीत को सिर्फ राजनीति का हथियार बनाकर रहने देंगे?


जब स्कूल में वंदे मातरम गाना अनिवार्य करने पर मंत्री ही बर्खास्त हो गए

1998 की बात है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। सरकार ने फैसला लिया कि हर सरकारी स्कूल में रोज सुबह वंदे मातरम और सरस्वती वंदना गाई जाएगी, यह अनिवार्य होगा। फैसला हुआ तो बवाल मच गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया, आम लोग सड़क पर उतर आए। बात दिल्ली पहुंची, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई तक। वाजपेई जी यूपी के दौरे पर थे। लौटते ही उन्होंने हाई लेवल मीटिंग बुलाई और खुद अध्यक्षता की। फैसला पलट दिया गया। अनिवार्य गायन का आदेश वापस ले लिया गया। इतना ही नहीं, जिस बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री रविंद्र शुक्ल ने यह आदेश जारी किया था, उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। वजह सिर्फ इतनी थी कि कैबिनेट को भरोसे में नहीं लिया गया था।

जबरन गवाना ही सबसे बड़ा अपमान है

प्रख्यात अर्थशास्त्री स्वामीनाथन अंकलेश्वर अय्यर, जो टाइम्स ऑफ इंडिया में हर रविवार कॉलम लिखते हैं, ने 2017 में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर लिखा था – “मैंने कई बार वंदे मातरम गाया है, लेकिन जबरन गवाने का आदेश मुझे आक्रोश भर देता है। मुझे अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए ऑफिस में गाना पड़ेगा? यह अपमान है। सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला तुरंत रद्द करना चाहिए।” बाद में मद्रास हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी संशोधन किया और कहा – गाना या न गाना सरकार पर छोड़ दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा – खड़ा होना सम्मान है, गाना जरूरी नहीं

1987 का केस याद कीजिए। केरल में तीन बच्चे थे जो Jehova’s Witness समुदाय से थे। स्कूल असेंबली में राष्ट्रगान हुआ तो वे खड़े तो हुए, लेकिन गाने नहीं गाए क्योंकि उनके धर्म में मूर्ति पूजा या किसी की स्तुति गाना मना है। स्कूल ने तीनों को सस्पेंड कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जस्टिस चिनप्पा रेड्डी और जस्टिस दत्त की बेंच ने फैसला दिया – “खड़ा होना ही सम्मान है। राष्ट्रगान न गाना उसका अपमान नहीं। अभिव्यक्ति की आजादी में चुप रहने की आजादी भी शामिल है।” यह फैसला आज भी किताबों में लिखा जाता है।

यह भी पढे़ं 👇

Bank NPA Scam

जनता का ₹3500000,00,00,000 रूपए ‘डूब गया’! सरकार के इस बयान पर क्यों भड़की राजनीति?

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
Indian Coast Guard Recruitment 2025

Indian Coast Guard Recruitment 2025: 10वीं पास के लिए सरकारी नौकरी का मौका, जल्द करें आवेदन

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
EIL Recruitment 2025

EIL में चीफ जनरल मैनेजर बनने का मौका, सैलरी और रुतबा शानदार! EIL Recruitment 2025

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
AAI Non-Executives Recruitment 2026

AAI Non-Executives Recruitment 2026: सरकारी नौकरी का सुनहरा मौका, जल्द करें ऑनलाइन आवेदन!

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान का ड्रामा भी खत्म हो चुका

2016 में जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने आदेश दिया था कि हर फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजेगा और सभी खड़े होंगे। फिर मारपीट की घटनाएं होने लगीं। लोग एक-दूसरे की देशभक्ति परोसने लगे। फिर सुप्रीम कोर्ट ने ही अपना फैसला पलटा और कहा – राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं, वैकल्पिक है।

वंदे मातरम का पहला प्रसारण 15 अगस्त 1947 को ही हुआ था

15 अगस्त 1947 की आधी रात को जब भारत आजाद हुआ, तो आजाद भारत के आजाद रेडियो का पहला गीत क्या बजाया गया? वंदे मातरम। गायक थे मास्टर कृष्ण राव। यह धुन इतनी प्यारी थी कि आज भी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, फिर भी वंदे मातरम को सबसे पहले जगह दी गई। तो यह झूठ है कि वंदे मातरम को कभी कम महत्व मिला या भुला दिया गया।

रवींद्रनाथ टैगोर ने खुद पहले दो अंतरे चुने थे

1937 में कांग्रेस कार्यसमिति ने फैसला लिया कि वंदे मातरम के केवल पहले दो अंतरे ही गाए जाएंगे। इस समिति में थे – गांधी जी, नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद, सरोजनी नायडू। इसी फैसले को 1950 में संविधान सभा ने भी माना और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने प्रस्ताव रखा कि वंदे मातरम राष्ट्रगीत होगा और पहले दो अंतरे ही गाए जाएंगे। यह फैसला रवींद्रनाथ टैगोर की राय पर आधारित था। टैगोर ने नेहरू को लिखा था – “इस गीत का पहला हिस्सा इतना कोमल और सुंदर है कि मैं इसे बाकी किताब से आसानी से अलग कर पाया। बाकी हिस्से से मैं सहमत नहीं।” क्या टैगोर पर आरोप लगेगा कि उन्होंने वंदे मातरम को तोड़ा?

वंदे मातरम की यात्रा – 150 साल का सफर

1875 में बंकिम चंद्र ने लिखा। 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार गाया। 1905 में स्वदेशी आंदोलन का नारा बना। 1906 में पहली बार ग्रामोफोन पर रिकॉर्ड हुआ (टैगोर की आवाज में)। 1939 में सुभाष बोस ने कोरस के लिए नई धुन बनवाई। 15 अगस्त 1947 को आजाद भारत के रेडियो का पहला गीत बना। 1950 में संविधान सभा ने राष्ट्रगीत घोषित किया। 1952 में आनंद मठ फिल्म में हेमंत कुमार और लता मंगेशकर ने गाया। 1997 में ए आर रहमान ने नया रंग दिया। यह गीत जन-जन की संपत्ति है। किसी एक पार्टी की नहीं।

राजनीति इसे हथियार क्यों बना रही?

प्रधानमंत्री मोदी ने 2025 में कहा – “1937 में वंदे मातरम को तोड़ दिया गया, उसके टुकड़े कर दिए गए और यही देश के विभाजन का बीज था।” अमित शाह ने भी यही बात दोहराई। लेकिन सच यह है कि 1937 का फैसला गांधी, नेहरू, पटेल, बोस, आजाद सबकी सहमति से हुआ था। टैगोर की राय पर हुआ था। संविधान सभा ने भी वही माना। फिर यह कहना कि वंदे मातरम तोड़ने से देश टूट गया – क्या यह इतिहास है या सिर्फ वोट की राजनीति?

जानें पूरा मामला

वंदे मातरम कोई एक धर्म का गीत नहीं है। यह मातृभूमि का गीत है। रहमान ने जब गाया तो उसमें हिंदू मां या मुस्लिम मां नहीं, सिर्फ भारत मां थी। लता, हेमंत, मन्ना डे, टैगोर, मास्टर कृष्ण राव – सबने इसे अपने-अपने अंदाज में गाया। करोड़ों लोग इसे रोज गाते हैं, बिना किसी के आदेश के। जिस गीत ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए, उसे आज हम आपस में लड़ने का हथियार बना रहे हैं। यह गीत देशभक्ति का इम्तिहान नहीं, देशभक्ति का जज्बा है। इसे गाओ या न गाओ, दिल में रखो – बस इतना काफी है।

मुख्य बातें (Key Points)
  • वंदे मातरम को 15 अगस्त 1947 को आजाद भारत के रेडियो का पहला गीत चुना गया था।
  • 1937 में कांग्रेस कार्यसमिति (गांधी, नेहरू, पटेल, बोस सहित) ने पहले दो अंतरे ही गाने का फैसला लिया था – यही राष्ट्रगीत बना।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा – राष्ट्रगान न गाना अपमान नहीं, खड़ा होना ही सम्मान है।
  • वंदे मातरम जनता का गीत है, किसी एक पार्टी का नहीं – 150 साल से हर दिल में बसता है।
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now

Related Posts

Bank NPA Scam

जनता का ₹3500000,00,00,000 रूपए ‘डूब गया’! सरकार के इस बयान पर क्यों भड़की राजनीति?

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
Indian Coast Guard Recruitment 2025

Indian Coast Guard Recruitment 2025: 10वीं पास के लिए सरकारी नौकरी का मौका, जल्द करें आवेदन

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
EIL Recruitment 2025

EIL में चीफ जनरल मैनेजर बनने का मौका, सैलरी और रुतबा शानदार! EIL Recruitment 2025

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
AAI Non-Executives Recruitment 2026

AAI Non-Executives Recruitment 2026: सरकारी नौकरी का सुनहरा मौका, जल्द करें ऑनलाइन आवेदन!

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
UPSC CGPDTM Examiner Recruitment 2025

UPSC CGPDTM Examiner Recruitment 2025: 102 पदों पर निकली सरकारी नौकरी, जानें कैसे करें आवेदन

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
CBSE Recruitment 2025

CBSE में सरकारी नौकरी का सुनहरा मौका, 124 पदों पर भर्ती! CBSE Recruitment 2025

शनिवार, 6 दिसम्बर 2025
0 0 votes
Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
The News Air

© 2025 THE NEWS AIR

The News Air

  • About
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Disclaimer & DMCA Policy

हमें फॉलो करें

No Result
View All Result
  • प्रमुख समाचार
    • राष्ट्रीय
    • पंजाब
    • अंतरराष्ट्रीय
    • सियासत
    • नौकरी
    • बिज़नेस
    • टेक्नोलॉजी
    • मनोरंजन
    • खेल
    • हेल्थ
    • लाइफस्टाइल
    • धर्म
    • स्पेशल स्टोरी
  • राज्य
    • चंडीगढ़
    • हरियाणा
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • महाराष्ट्र
    • पश्चिम बंगाल
    • उत्तर प्रदेश
    • बिहार
    • उत्तराखंड
    • मध्य प्रदेश
    • राजस्थान
  • वेब स्टोरीज

© 2025 THE NEWS AIR