वैज्ञानिकों ने जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म के धरती से आज टकराने की आशंका जताई है। इससे पूरी दुनिया में अंधेरा छा सकता है। नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेश एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और नेशनल ओशेनिक एंड एटमॉस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने इस बारे में बताया है। उन्होंने बताया है कि कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के धरती से टकराने की आशंका है। इससे जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म पैदा हो सकता है।
जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म के पृथ्वी से टकराने से इलेक्ट्रिकल ग्रिड और इस तरह की दूसरी चीजों को नुकसान हो सकता है। इस स्टॉर्म की स्पीड 429 से 575 किमी प्रति सेकेंड हो सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि सूरज की एक्टिविटी में बदलाव देखने को मिला है।
//CESSI SPACE WEATHER BULLETIN//11 April 2022//SUMMARY: QUIET TO MODERATE SPACE WEATHER CONDITIONS// A halo CME was detected by SOHO LASCO on 11 April. Our model fit indicates a very high probability of Earth impact on 14 April, 2022 with speeds ranging between 429-575 km/s + pic.twitter.com/MRFNuLI2hS
— Center of Excellence in Space Sciences India (@cessi_iiserkol) April 11, 2022
सोलर जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म का मतलब है कि सूरज से बहुत ज्यादा मात्रा में कोरोनल मास इजेक्शन होने वाला है। ऐसा होने पर धरती और कुछ दूसरे प्लेनेट्स की तरफ हाई इंटेंसिटी एनर्जी रिलीज होगी। नासा ने कहा है कि धरती से टकराने के बाद स्टॉर्म विकराल रूप ले सकता है। इसकी वजह सोलर विंड स्ट्रीम की तेज रफ्तार है।
सेंटर ऑफ एक्सेलेंस इन स्पेस साइंस इंडिया (CESSI) ने इस बारे में एक ट्वीट किया है। इसमें कहा गया है, “हमारे मॉडल फिट से यह संकेत मिलता है कि 14 अप्रैल को अर्थ इम्पैक्ट की बहुत ज्यादा संभावना है।” अगर पृथ्वी से जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म टकराता है तो धरती पर इलेक्ट्रिक ग्रिड और ऐसी दूसरी चीजों को नुकसान पहुंच सकता है। इससे बिजली जा सकती है, जिसके चलते अंधेरा छा सकता है। साथ ही बिजली से होने वाली कई कामकाज ठप हो सकते हैं।
NOAA ने कहा है कि ज्यादा ऊंचाई वाली जगहों पर इसका ज्यादा असर दिख सकता है। इसके चलते रेडियो सिग्नल में भी डिस्टरबेंसेज आ सकते हैं। उसने कहा है कि मध्यम उंचाई वाली जगहों पर असर कम पड़ेगा। लेकिन, बिजली की सप्लाई बाधित हो सकती है।
पिछले साल 13 जुलाई को भी सोलर स्टॉर्म के धरती से टकराने का अनुमान व्यक्त किया गया था। तब वैज्ञानिकों ने इसके चलते बिजली सप्लाई बाधित होने के साथ ही कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई थी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ था। दरअसल, हमारे सौर मंडल की रचना बहुत जटिल है। वैज्ञानिकों को भी इसे ठीक तरह से समझने में दिकक्त आती है।