Umesh Makwana Resignation from AAP Gujarat — गुजरात (Gujarat) में आम आदमी पार्टी (AAP) को उस वक्त बड़ा राजनीतिक झटका लगा जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और बोटाद (Botad) से विधायक उमेश मकवाना (Umesh Makwana) ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पार्टी उपचुनाव में विसावदर (Visavadar) सीट पर गोपाल इटालिया (Gopal Italia) की जीत का जश्न मना रही थी। एक दिन पहले ही आप (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने इटालिया की जीत पर मिठाई खिलाई थी और 2027 में गुजरात में सरकार बनाने का विश्वास जताया था।
उमेश मकवाना ने पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर सभी जिम्मेदारियों और पदों से इस्तीफा दिया। हालांकि पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने समाजसेवा में कमी को कारण बताया, लेकिन स्पष्ट रूप से पार्टी नेतृत्व पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि वह पार्टी में रहते हुए अब अपनी विधायकी पर भी फैसला लेंगे।
इस इस्तीफे के बाद गुजरात (Gujarat) में आप के संयोजक इसुदान गढ़वी (Isudan Gadhvi) ने तुरंत मकवाना को पार्टी से निलंबित कर दिया। पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए उन्हें 5 साल के लिए निलंबित कर दिया गया है।
गांधीनगर (Gandhinagar) में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उमेश मकवाना ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि विसावदर उपचुनाव में गोपाल इटालिया को जिताने के लिए पूरी पार्टी एकजुट हो गई, लेकिन कडी (Kadi) में दलित उम्मीदवार को अकेला छोड़ दिया गया। मकवाना ने कहा, “एक दलित उम्मीदवार ने 10 लाख रुपये का कर्ज लेकर चुनाव लड़ा और कोई भी बड़ा नेता वहां प्रचार के लिए नहीं गया। यह स्पष्ट करता है कि पार्टी दलितों को चुनावी मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रही है।”
मकवाना ने पार्टी की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आप पार्टी पिछड़े और दलित वर्ग के मुद्दों को उठाने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गुजरात (Gujarat) में जातिवादी विचारधारा को अब भी प्रमुखता दी जा रही है और जब बात कोली समुदाय (Koli Community) या अन्य पिछड़ों की आती है, तब हर पार्टी पीछे हट जाती है।
उन्होंने यह भी संकेत दिए कि वह भविष्य में निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं या अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। फिलहाल उन्होंने यह साफ किया कि वह आप पार्टी से सिर्फ पदों से हटे हैं, लेकिन विधायकी को लेकर अपने समर्थकों से बातचीत कर निर्णय लेंगे।
यह घटनाक्रम ऐसे वक्त सामने आया है जब आम आदमी पार्टी गुजरात में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए सक्रियता दिखा रही है। गोपाल इटालिया की जीत के बाद पार्टी को जो ऊर्जा मिली थी, उस पर उमेश मकवाना के इस्तीफे ने पानी फेर दिया है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि अंदरखाने में पार्टी में दलित और पिछड़े नेताओं की उपेक्षा को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है।