Naxal Surrender in Chhattisgarh – छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के बस्तर (Bastar) दौरे के बीच नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता सामने आई है। तेलंगाना (Telangana) में भद्राद्रि कोतागुडेम मल्टी जोन-1 (Bhadradri Kothagudem Multi Zone-1) के अंतर्गत कोठागुडेम (Kothagudem) के हेमचंद्रपुरम पुलिस मुख्यालय (Hemachandrapuram Police HQ) में कुल 86 नक्सलियों (Naxals) ने समर्पण कर दिया। इन नक्सलियों में कई हार्डकोर माओवादी (Hardcore Maoists) भी शामिल हैं, जो छत्तीसगढ़ की कई हिंसक घटनाओं में संलिप्त रहे हैं।
आईजी चंद्रशेखर रेड्डी (Chandrashekhar Reddy) ने बताया कि इन सभी नक्सलियों ने तेलंगाना सरकार द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन ‘चेयुथा (Cheyutha)’ के तहत सरेंडर किया है। इन 86 माओवादियों में 66 पुरुष और 20 महिलाएं हैं, जो अलग-अलग जिलों से संबंध रखते हैं। यह समर्पण सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे संयुक्त ऑपरेशन की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
नक्सलियों का यह सरेंडर इस बात का संकेत है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे संयुक्त एंटी-नक्सल अभियान (Joint Anti-Naxal Operation) का दबाव माओवादियों पर लगातार बढ़ रहा है। तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में सुरक्षा बलों की बढ़ती सक्रियता से माओवादी संगठन में भारी दहशत है। मुठभेड़ों में मारे जाने के डर से अब नक्सली सरेंडर करने को मजबूर हो रहे हैं।
आईजी रेड्डी ने बताया कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों को 25,000 रुपये की तत्काल प्रोत्साहन राशि (Immediate Incentive Amount) दी गई है। वहीं दूसरी ओर, रायपुर (Raipur) में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नक्सल मुद्दे पर एक बड़ी बैठक भी प्रस्तावित है, जिसमें भविष्य की रणनीति तय की जाएगी।
गौरतलब है कि हाल ही में नक्सली संगठनों द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी कर हिंसा रोकने की बात कही गई थी। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय (Vishnudev Sai) के नेतृत्व में बनी नई सरकार भी शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन नक्सलियों की शर्तों पर नहीं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ सरेंडर करते हैं, तभी बातचीत संभव होगी।
सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का पूरी तरह से सफाया कर दिया जाए। इसके लिए बस्तर जैसे दुर्गम इलाकों में नए फोर्स कैंप स्थापित किए जा रहे हैं। भाजपा सरकार के गठन के बाद से एंटी नक्सल ऑपरेशन (Anti-Naxal Operation) में जबरदस्त तेजी आई है। अब तक 350 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें कई शीर्ष इनामी माओवादी भी शामिल हैं।
स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में नक्सलियों के लिए सरेंडर करना ही एकमात्र रास्ता बचेगा, क्योंकि फोर्स की सक्रियता लगातार बढ़ रही है और माओवादियों में डर गहराता जा रहा है।