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आपने जो संपत्ति बनाई, उसकी आधी सरकार ले? क्या है विरासत टैक्स जिसकी…

वकालत पित्रोदा ने की, क्या यह देश को पीछे ले जाएगा

The News Air by The News Air
बुधवार, 24 अप्रैल 2024
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वकालत पित्रोदा
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नई दिल्ली, 24 अप्रैल (The News Air) चुनावी माहौल में संपत्ति के बंटवारे को लेकर गरमाई सियासत के बीच अब इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने भारत में विरासत कर लगाने की वकालत की है। उन्होंने अमेरिका के शिकागो में कहा है कि अमेरिका में विरासत कर लगता है। अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है तो मरने के बाद महज 45 फीसदी उसकी संपत्ति ही उसके बच्चों को ट्रांसफर हो सकती है। कुल संपत्ति का 55 फीसदी सरकार ले लेती है। पित्रोदा ने कहा कि यह एक दिलचस्प कानून है। यह कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं, ऐसे में आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए-पूरी नहीं, आधी। ये जो निष्पक्ष कानून है मुझे अच्छा लगता है।

पित्रोदा ने कहा कि भारत में ऐसा कुछ नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है तो मरने के बाद उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता। इसलिए लोगों को इस तरह के मुद्दों पर बहस और चर्चा करनी होगी। सैम पित्रोदा के इस बयान के बाद भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला है। पीएम ने फिर कहा है कि कांग्रेस की नजर आपकी संपत्ति पर है। वहीं भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस गरीबों को बर्बाद करना चाहती है।आज हम जानेंगे कि क्या है विरासत कर, जिसकी सैम पित्रोदा ने लागू करने की वकालत की है। भारत में इस तरह के टैक्स को लेकर क्या हैं नियम? यह दुनिया के किन देशों में लागू है? इसके फायदे-नुकसान के बारे में भी बात करेंगे।

विरासत या इनहेरिटेंस टैक्स क्या है

फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी के अनुसार, भारत में किसी की बनाई हुई संपत्ति और पैतृक संपत्ति उसकी मृत्यु के बाद उसके कानूनी उत्तराधिकारियों जैसे बच्चों, पोते-पोतियों या संबंधित लोगों को ट्रांसफर हो जाती है। इसी विरासत पर अमेरिका समेत कई देशों में इनहेरिटेंस टैक्स या विरासत कर लगता है, जिसकी पित्रोदा ने वकालत की है। नीचे दिए ग्राफिक से जानते हैं कि दुनिया के किन देशों में विरासत टैक्स लगता है।

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भारत में क्या लगता है विरासत कर

सोलंकी के अनुसार, भारत में विरासत कर नहीं लगता है। चाहे वह संपत्ति अचल हो या चल। अगर नया मालिक विरासत में हासिल की गई संपत्ति को बेचता है तो उसे टैक्स देना होगा। जैसे मान लीजिए नए मालिक को म्यूचुअल फंड्स, गोल्ड, शेयर वगैरह मिलता है तो उसे कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा। मगर जैसे ही वह इन चल संपत्ति को बेचेगा तो उसे इन पर टैक्स देना पड़ेगा। हालांकि, इस तरह की संपत्ति से होने वाली कमाई पर टैक्स जरूर देना पड़ता है। मान लीजिए किसी के मरने के बाद उसके उत्तराधिकारी को कमर्शियल कॉम्लेक्स के रूप में कोई संपत्ति मिलती है तो उससे मिलने वाले रेंट और ब्याज पर नए मालिक को टैक्स देना होगा। ऐसे में संपत्ति के नए मालिक को अपनी इस इनकम का ब्यौरा देना होगा और उसी के मुताबिक टैक्स चुकाना होगा।

ऐसे समझिए भारत में विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स के बारे में

आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, वसीयत या विरासत से हासिल की गई सपंत्ति टैक्स के दायरे में नहीं आएगी। एक बार अगर आप विरासत में मिली संपत्ति के मालिक बन जाते हैं तो उसका नफा-नुकसान भी आपको ही झेलना होगा। फायदा होने की स्थिति में आपको कैपिटल गेंस टैक्स देना होगा। इस कैपिटल गेंस का निर्धारण प्रॉपर्टी पर कब्जे की समयसीमा से तय होगी। अगर आपको अपने पिता से कोई संपत्ति 2022 में मिली है और आप इसे अप्रैल, 2024 में बेचना चाहते हैं तो इस प्रॉफिट पर आपको कैपिटल गेंस देना होगा। अगर आप और आपके पिता ने इस प्रॉपर्टी को 2 साल से ज्यादा अपने कब्जे में रखा है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस में माना जाएगा और आपको टैक्स भी इसी के हिसाब से देना होगा।

क्या NRI को भारत में विरासत वाली संपत्ति पर टैक्स देना होगा

नहीं। किसी प्रवासी भारतीय (NRI) को भारत में विरासत में संपत्ति मिलती है तो वह उसका मालिक बन सकता है। फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट(FEMA) के तहत इनहेरिटेंस प्रॉपर्टी पर टैक्स नहीं लगेगा।

भारत में कभी लागू थी एस्टेट ड्यूटी

भारत में एस्टेट ड्यूटी एक्ट, 1953 कभी लागू था। इसके तहत विरासत में प्राप्त की गई संपत्ति के कुल मूल्य का 85 फीसदी तक एस्टेट ड्यूटी देनी पड़ जाती थी। यहां तक कि कानूनी रूप से विरासत में मिली संपत्ति को उपहार मान लिया जाता था। इस एक्ट काे 1985 में हटा दिया गया था।

रिसर्च कहती है कि एस्टेट या इनहेरिटेंस टैक्स खराब आर्थिक नीति में से एक

टैक्स फाउंडेशन की 2015 में छपी एक रिसर्च के अनुसार, एस्टेट या इनहेरिटेंस टैक्स खराब आर्थिक नीति है। ये घरेलू जमा पूंजियों पर एक बोझ की तरह ही हैं। इससे धन और संपत्ति जरूर जमा होती है, जिसने अमेरिका को ज्यादा अमीर बनाया। स्टडी में कहा गया है कि अगर अमेरिका एस्टेट टैक्स वसूलना बंद कर दे तो करीब 1.5 लाख नौकरियां पैदा होंगी और हर साल संघीय टैक्स में 8 बिलियन डॉलर का इजाफा होगा। भले ही अमेरिका जैसे देशों में एस्टेट टैक्स या इनहेरिटेंस टैक्स लागू है, मगर इससे राजस्व में बढ़ोतर बहुत ही कम होती है। इससे जनता पर बोझ बढ़ता ही है। दुनिया के बहुत से देशों ने एस्टेट और इनहेरिटेंस टैक्स को राजस्व का खराब सोर्स करार दिया है और इन दोनों ही टैक्स को हटा दिया है। भारत में भी एस्टेट टैक्स को काफी पहले ही हटाया जा चुका है।

जिन देशों ने हटाए हैं विरासत या एस्टेट टैक्स, उसकी वजह क्या है

रिसर्च के अनुसार, जिन देशों ने एस्टेट या इनहेरिटेंस टैक्स हटाया है, उसका मकसद दो है। पहला ये है कि इन दोनों टैक्स को हटाना आपको ज्यादा प्रगतिशील बनाता है और दूसरा ऐसे टैक्स वसूलने में बड़ी लागत आती है। इसके अलावा किसी की प्रॉपर्टी की वैल्यू आंकना भी बेहद जटिल काम है। भारत, रूस, मकाऊ, पुर्तगाल, स्लोवाक रिपब्लिक, स्वीडन, हांगकांग, हंगरी, सिंगापुर, ऑस्ट्रिया और नॉर्वे जैसे देशों में विरासत कर लागू नहीं है।

चंद हाथों में संपत्ति को जाने से रोकने के लिए विरासत कर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में विरासत कर लागू है। ब्रिटेन में एस्टेट ड्यूटी के रूप में विरासत कर लागू है। यह 1894 से बैक टैक्स के रूप में लागू किया गया था। वहां इसे रिहायशी प्रॉपर्टी की कीमतें घटाने के हथियार के रूप में माना जाता है। अमेरिका में विरासत कर लगाने के यह तर्क दिया जाता है कि संपत्ति को चंद लोगों के हाथों में जाने से बचाने की यह कोशिश है। इसका मकसद यह है कि नागरिकों को बराबर अवसर प्रदान करना भी है, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। ज्यादातर देशों में विरासत कर की सीमा 40 से 50 फीसदी तक है।

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