नई दिल्ली, 7 जून
Bank Privatisation: सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर गहमागहमी बढ़ती ही जा रही है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने उन सरकारी बैंकों के नामों की फाइनल लिस्ट विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को सौंपी थी। इनमें से कुछ बैंकों का निजीकरण किया जाना है, हालांकि नामों पर अब तक खुलासा नहीं किया गया है।
कौन-कौन से बैंकों का हो सकता है निजीकरण?- बता दें कि नीति आयोग को दो सरकारी बैंकों व एक बीमा कंपनी का नाम का चयन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिनका निजीकरण किया जाना है और उसका ऐलान वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में किया गया था। हालांकि किन-किन बैंकों का निजीकरण होगा यह नाम अभी तक जनतक नहीं किए गए हैं। परन्तु मीडिया के अनुसार कई नामों की चर्चा हो रही है। इसमें इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas bank), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), सेंट्रल बैंक (Central Bank), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) जैसे बैंकों के नाम शामिल हैं। पहले चरण में सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक के नामों पर मुहर लगाने की संभावना है। सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों की लिस्ट में United India Insurance, Oriental Insurance के नाम सबसे ऊपर आ रहे हैं।
नीति आयोग के सुझाए हुए यह नाम?- इन नामों के बीच Times of India में छपी खबर के अनुसार सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas bank) में अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है, परन्तु इस बीच एक और नाम सामने आ रहा है। अगर सूत्रों की माने तों सरकार बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) में भी अपनी हिस्सेदारी को घटा सकती है। सूत्रों के अनुसार नीति आयोग के प्रस्तावों पर विनिवेश और वित्तीय मामलों का विभाग में विचार-विमर्श हो रहा है।
अभी कुछ समय पहले ही में केंद्र सरकार ने IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी दी है। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष फरवरी में पेश किए गए आम बजट के भाषण में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण किया जाएगा। इसके लिए बैंकों के नाम का चयन करने की जिम्मेवारी नीति आयोग को दी गई थी।
सीतारमण ने कहा हमें SBI जैसे बड़े बैंकों की है जरूरत- बैंकों के निजीकरण को सही बताते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि देश को SBI जैसे बड़े बैंकों की बहुत जरूरत है। हमें ऐसे बैंकों की जरूरत है जो देश की उम्मीदों को पूर्ण कर सकें। कुछ समय पहले उन्होंने कहा था कि निजीकरण के कारण बैंक के कर्मचारियों के हितों के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया जाएगा। उनकी सैलरी या स्केल या फिर पेंशन का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
‘बैंक कर्मचारियों के बारे में रखेंगे पूरा ख्याल’- सरकार ने सरकारी कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सा बेचकर इस वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये इकट्ठे करने का लक्ष्य रखा हुअ है। इसमें 2 सरकारी बैंक और 1 जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण भी शामिल है। बता दें कि पिछले वित्त वर्ष में यह लक्ष्य 2.10 लाख करोड़ रुपए का था, जिसे सरकार ने कम कर दिया है।