बीच मझधार में लटका भारत के एक करोड़ 60 लाख क्रिप्टोकरेंसी यूजर्स का भविष्य : WazirX विवाद

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Wazirx Controversy: भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, WazirX ने हाल ही में एक विवादास्पद और अप्रत्याशित कदम उठाया है. जुलाई 18 को हुए एक बड़े साइबर हमले में कंपनी को $230 मिलियन का भारी नुकसान हुआ. अब, WazirX ने इस नुकसान को अपने सभी ग्राहकों के बीच ‘सामाजिक’ रूप से बांटने की योजना की घोषणा की है. ये निर्णय भारतीय क्रिप्टो बाजार में न केवल अराजकता का कारण बन गया है, बल्कि इसने निवेशकों और नियामकों के बीच कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं.

WazirX के अनुसार, वो अगले एक सप्ताह के भीतर अपने ऑपरेशन्स को फिर से शुरू करने की योजना बना रहा है. इस पुनर्संचालन के तहत, कंपनी ग्राहकों के पोर्टफोलियो का ‘रीबैलेंस’ करेगी. इसका मतलब है कि यूजर्स को उनके होल्डिंग्स का केवल 55% हिस्सा ही वापस मिलेगा, जबकि बाकी 45% हिस्से को USDT (एक स्थिर क्रिप्टो टोकन) के समकक्ष टोकन में लॉक कर दिया जाएगा. ये कदम उन ग्राहकों पर भी लागू होगा जिनके टोकन सीधे इस साइबर हमले से प्रभावित नहीं हुए थे. कंपनी का दावा है कि ये एक ‘निष्पक्ष और पारदर्शी’ समाधान है, लेकिन इसके आलोचकों का कहना है कि ये एकतरफा और अन्यायपूर्ण है, जो WazirX के यूजर्स के हितों के खिलाफ है.

WazirX का ये कदम भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है. ये पहला मौका नहीं है जब किसी क्रिप्टो एक्सचेंज ने हैक के बाद नुकसान को ‘सामाजिक’ बनाने की कोशिश की हो. 2016 में Bitfinex नामक एक अन्य क्रिप्टो एक्सचेंज ने इसी रणनीति का सहारा लिया था. Bitfinex ने अपने ग्राहकों के नुकसान को उनके बीच बांटकर अगले आठ महीनों में उनकी भरपाई की थी. हालांकि, WazirX का मामला Bitfinex से भिन्न है और इसने निवेशकों के बीच व्यापक असंतोष उत्पन्न कर दिया है.

WazirX के इस कदम को फरेब बताया जा रहा है, क्योंकि कंपनी ने कभी अपने मुनाफे को अपने ग्राहकों के साथ साझा नहीं किया, लेकिन अब वो केवल नुकसान साझा कर रही है. ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्रिप्टोकरेंसी, जिसे शुरू में विकेंद्रीकृत और स्वतंत्र वित्तीय प्रणाली के रूप में देखा गया था, अब कैसे ‘सामाजिक’ जिम्मेदारी की बात करने लगी है. क्रिप्टोकरेंसी के मूल विचारों के खिलाफ इस कदम ने निवेशकों को हैरान कर दिया है. WazirX के इस फैसले ने न केवल निवेशकों का विश्वास हिलाया है, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी की पूरी अवधारणा पर भी सवाल उठाए हैं.

लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि भारतीय नियामक इस मामले पर चुप क्यों हैं? SEBI, जो आमतौर पर निवेशकों की सुरक्षा के लिए आक्रामक कदम उठाता है, इस मुद्दे पर खामोश है. SEBI का क्रिप्टोकरेंसी पर रुख अब तक स्पष्ट नहीं है. कुछ महीने पहले, Reuters की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि SEBI ने निजी तौर पर क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की निगरानी के लिए कई नियामकों को शामिल करने की सिफारिश की थी. लेकिन इसके बावजूद, अभी तक कोई स्पष्ट नीति सामने नहीं आई है. ये अस्पष्टता WazirX जैसे एक्सचेंजों को अपने तरीके से कदम उठाने का मौका देती है.

इसके अलावा, RBI का रुख भी क्रिप्टोकरेंसी पर स्पष्ट रूप से नकारात्मक रहा है. RBI ने पहले भी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया. हालांकि, RBI का क्रिप्टोकरेंसी के प्रति दृष्टिकोण आज भी कठोर है। यह भी एक वजह है कि नियामक इस मामले पर कुछ करने में हिचक रहे हैं.

इस पूरी स्थिति ने WazirX के 16 मिलियन भारतीय यूजर्स को एक अनिश्चित स्थिति में छोड़ दिया है. उनके सामने न केवल उनके निवेश की सुरक्षा का सवाल है, बल्कि उनकी पहचान और भविष्य की वित्तीय स्थिरता का भी. WazirX के इस फैसले ने भारतीय क्रिप्टो निवेशकों के लिए अनगिनत समस्याएं खड़ी कर दी हैं.

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति आज बेहद धुंधली है. ये न केवल एक कानूनी और नियामक चुनौती है, बल्कि ये एक ऐसी वित्तीय व्यवस्था है, जो अभी भी अपने अस्तित्व की तलाश में है. इस धुंधले क्षेत्र के बीच, WazirX जैसे एक्सचेंज अपने हितों के अनुसार निर्णय ले रहे हैं, जबकि निवेशकों की सुरक्षा और अधिकारों की अनदेखी हो रही है. WazirX के 16 मिलियन भारतीय यूजर्स इस असमंजस और असुरक्षा के बीच खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं, और उनकी वित्तीय भविष्य की राह अब और भी अनिश्चित हो गई है.

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