हवाई में स्थित जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलीस्कोप (JCMT) की मदद से ग्रीव्स और उनकी रिसर्च टीम ने शुक्र ग्रह के वायुमंडल के निचले इलाकों में फॉस्फीन गैस का पता लगाया है। इससे पता चलता है कि जीवित जीव शुक्र ग्रह के बादलों के नीचे या उसके स्तर पर रह सकते हैं।
रिसर्च टीम को लगता है कि शुक्र ग्रह पर कुछ प्रकार के जीवित जीव (living organisms) हो सकते हैं। हालांकि ऐसा पुख्ता तौर पर नहीं कहा गया है, लेकिन यह रिसर्च भविष्य के लिए नए दरवाजे खोलती है।
इससे पूर्व, MIT के वैज्ञानिकों की एक स्टडी में भी कहा गया था कि शुक्र ग्रह के बादल वहां जिंदगी बसर कर सकते हैं। स्डटी का दावा था कि शुक्र ग्रह के वातावरण में मौजूद अमोनिया वहां सल्फ्यूरिक एसिड को बेअसर कर सकता है। MIT के वैज्ञानिकों का कहना था कि अमोनिया केमिकल रिएक्शन कर सकती है। यह शुक्र के बादलों को बदल सकती है। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में पब्लिश हुए पेपर में रिसर्चर्स ने निष्कर्ष दिया था कि “जिंदगी शुक्र ग्रह पर अपना वातावरण बना सकती है।