चंडीगढ़ (Chandigarh), 24 जनवरी (The News Air): पंजाब में आवारा कुत्तों द्वारा बच्चों पर हो रहे हमलों की बढ़ती घटनाओं ने पूरे राज्य में चिंता बढ़ा दी है। इसी के मद्देनजर, पंजाब राज्य बाल अधिकार आयोग (Punjab State Commission for Protection of Child Rights) ने इस गंभीर समस्या का संज्ञान लेते हुए कड़ा कदम उठाया है। आयोग ने राज्य के स्थानीय निकाय और ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग को आवारा कुत्तों की गिनती और उनकी स्टरलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
आयोग के चेयरमैन कंवरदीप सिंह (Kanwardeep Singh) ने कहा कि यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
लुधियाना और अन्य क्षेत्रों में दर्दनाक घटनाएं
पिछले कुछ दिनों में लुधियाना (Ludhiana) के पास हसनपुर गांव (Hassanpur Village) में दो मासूम बच्चों की आवारा कुत्तों के हमले में मौत हो गई। ये घटनाएं न केवल राज्य प्रशासन बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी हैं।
इसके अलावा, मोहाली (Mohali), जीरकपुर (Zirakpur), अमृतसर (Amritsar), माछीवाड़ा साहिब (Machhiwara Sahib) और नाभा (Nabha) में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं। बच्चों की सुरक्षा पर मंडराते इस खतरे को देखते हुए आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर लिया गया सुओ-मोटो एक्शन
आयोग ने बताया कि मीडिया रिपोर्ट्स से बच्चों पर आवारा कुत्तों के हमले की घटनाएं सामने आई हैं। इस पर आयोग ने सुओ-मोटो (स्वतः संज्ञान) कार्रवाई करते हुए संबंधित विभागों को तुरंत कदम उठाने का निर्देश दिया है।
आयोग ने अपने बयान में कहा,
“हमारे लिए बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता है। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और हमलों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, स्टरलाइजेशन जैसे उपाय जरूरी हैं।”
आदेश में क्या कहा गया?
आयोग ने भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विकास विभाग (Animal Husbandry & Dairying Department) द्वारा 10 मार्च 2023 को जारी एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2023 (Animal Birth Control Rules 2023) का हवाला देते हुए कहा कि इन नियमों का पालन करते हुए आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
स्टरलाइजेशन के फायदे:
- कुत्तों की संख्या नियंत्रित होती है।
- हमलावर प्रवृत्ति को कम करने में मदद मिलती है।
- बच्चों पर हो रहे हमले रोके जा सकते हैं।
स्थानीय निकाय और पंचायत विभाग की जिम्मेदारी
आयोग ने स्थानीय निकाय विभाग (Local Bodies Department) और ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग (Rural Development & Panchayati Raj Department) के सचिवों को निर्देश दिया है कि राज्यभर में आवारा कुत्तों की गिनती की जाए और उनकी स्टरलाइजेशन प्रक्रिया तेज की जाए।
गांवों और शहरों में जागरूकता अभियान:
आयोग ने यह भी सुझाव दिया कि कुत्तों से बचाव और सुरक्षा को लेकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
पंजाब बाल अधिकार आयोग का यह कदम बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने और बच्चों पर हमलों को रोकने के लिए स्टरलाइजेशन और जागरूकता अभियान जैसे उपाय कारगर साबित हो सकते हैं।
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