नई दिल्ली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि चाय बोर्ड के पास नीतियां बनाने और विभिन्न सब्सिडी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए इस उद्योग का प्रामाणिक आंकड़ा (डेटाबेस) होना चाहिए। हालांकि, चाय बोर्ड द्वारा चाय बागानों के विस्तार, चाय के प्रतिस्थापन और पुनर्रोपण, जिले-वार उपज और चाय उद्योग की श्रम उत्पादकता दर के संबंध में कोई आंकड़े नहीं रखे जाते हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि बोर्ड ने वृक्षारोपण विकास योजना, गुणवत्ता उन्नयन और उत्पाद विविधीकरण योजना और पारंपरिक और हरी चाय उत्पादन योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत कुछ दिशानिर्देशों का पालन किए बिना 12.87 करोड़ रुपए की सब्सिडी वितरित की है। इसमें कहा गया है कि हालांकि रोपण परमिट जारी करने के लिए शुल्क लगाने को बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन इसकी वसूली न होने से 41.36 लाख रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। कैग ने कहा, ‘‘माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रावधानों के कार्यान्वयन में देरी के कारण चाय बोर्ड ने लाइसेंस शुल्क पर वसूली नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को 32.39 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।