Tarique Rahman Anti India Stance : बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आ गया है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बीएनपी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान (Tarique Rahman) लगभग 17 साल के निर्वासन के बाद वतन लौट आए हैं। आते ही उन्होंने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से फोन पर बात की, जिसने भारत की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
बांग्लादेश में चल रही सियासी उथल-पुथल के बीच तारिक रहमान की ‘घर वापसी’ भारत के लिए एक नई कूटनीतिक चुनौती बनकर उभरी है। ढाका एयरपोर्ट पर उतरते ही तारिक ने सबसे पहले मोहम्मद यूनुस से संपर्क किया, जो यह संकेत देता है कि उनकी वापसी मौजूदा सरकार की सहमति और इशारे पर हुई है। 17 साल पहले भ्रष्टाचार और हिंसा के गंभीर आरोपों के चलते उन्हें लंदन भागना पड़ा था, लेकिन अब बदलते हालात में वे देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखे जा रहे हैं।
‘ना दिल्ली, ना पिंडी’ – तारिक का भारत विरोधी रुख
तारिक रहमान की वापसी भारत के लिए चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि उनका और उनकी पार्टी बीएनपी का इतिहास हमेशा से भारत विरोधी रहा है। तारिक रहमान ने साफ तौर पर ‘बांग्लादेश फर्स्ट’ (Bangladesh First) की नीति की वकालत की है। उन्होंने एक नारा दिया था- “ना दिल्ली, ना पिंडी, बांग्लादेश सबसे पहले”, जिसका मतलब है कि वे न तो भारत के साथ और न ही पाकिस्तान के साथ कोई विशेष संबंध रखना चाहते हैं।
शेख हसीना को बताया ‘तानाशाह’
विश्लेषण के मुताबिक, तारिक रहमान ने अपने एक पुराने इंटरव्यू में भारत पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर भारत एक ‘तानाशाह’ (शेख हसीना) को शरण देकर बांग्लादेशी जनता की नाराजगी मोल लेता है, तो इसमें वे कुछ नहीं कर सकते। वे शेख हसीना को तानाशाह मानते हैं और तीस्ता जल बंटवारे जैसे मुद्दों पर भी भारत के खिलाफ आक्रामक रुख रखते हैं। उनका मानना है कि बांग्लादेश के हित ही सर्वोपरि होने चाहिए, चाहे इसके लिए पड़ोसी देशों से रिश्ते खराब ही क्यों न हों।
मोहम्मद यूनुस और तारिक का ‘गठजोड़’
सबसे अहम पहलू यह है कि तारिक रहमान की वापसी मोहम्मद यूनुस के संरक्षण में हो रही है। मोहम्मद यूनुस खुद भारत विरोधी बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं, चाहे वह ‘चिकन नेक कॉरिडोर’ (Chicken Neck Corridor) को लेकर दी गई धमकी हो या चीन को बांग्लादेश में व्यापार का न्योता देना। ऐसे में, अगर तारिक रहमान सत्ता में आते हैं और यूनुस के इशारे पर काम करते हैं, तो भारत के लिए यह दोहरा झटका होगा। यह गठजोड़ (Alliance) भारत-बांग्लादेश सीमा सुरक्षा और नॉर्थ-ईस्ट में शांति के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
अतीत के कड़वे अनुभव
इतिहास गवाह है कि जब भी बीएनपी सत्ता में रही है, भारत और बांग्लादेश के रिश्ते कभी भी सहज नहीं रहे। बीएनपी के शासनकाल में सीमा पर तनाव, अवैध घुसपैठ और नॉर्थ-ईस्ट के उग्रवादी समूहों को पनाह देने जैसे मुद्दे हावी रहे हैं। इसके विपरीत, शेख हसीना के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच अभूतपूर्व सहयोग और मित्रता देखने को मिली थी। अब तारिक की वापसी से पुराने जख्म फिर से हरे होने की आशंका है।
जानें पूरा मामला (Context)
साल 2007-08 में बांग्लादेश में सेना समर्थित कार्यवाहक सरकार के दौरान तारिक रहमान पर भ्रष्टाचार और हिंसा के कई मुकदमे दर्ज हुए थे, जिसके बाद उन्हें देश छोड़कर लंदन जाना पड़ा था। अब शेख हसीना के तख्तापलट और देश छोड़ने के बाद, बीएनपी के लिए सत्ता में वापसी का रास्ता साफ हो गया है। अवामी लीग को चुनावों से दूर रखने की कोशिशें हो रही हैं और बीएनपी को मुख्य धारा में लाया जा रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Return of Tarique Rahman: 17 साल बाद लंदन से बांग्लादेश लौटे बीएनपी के तारिक रहमान।
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Anti-India Stance: तारिक का रुख हमेशा से भारत विरोधी रहा है; उन्होंने ‘बांग्लादेश फर्स्ट’ का नारा दिया है।
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Yunis Connection: ढाका पहुंचते ही मोहम्मद यूनुस से बात की, जिससे दोनों के बीच साठगांठ के संकेत मिलते हैं।
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Potential Threat: बीएनपी की सत्ता में वापसी से भारत के नॉर्थ-ईस्ट में सुरक्षा और सीमा विवाद की समस्याएं फिर बढ़ सकती हैं।






