केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2023-24 में विशाखापत्तनम स्टील प्लांट की विनिवेश प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाएगी। वित्त राज्य मंत्री भागवत किशनराव कराड ने 1 अगस्त को राज्यसभा में लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, ‘इस डील के लिए बिडिंग प्रोसेस के जरिये सलाहकारों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी रखने वाले पक्षों की तरफ से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI)अब तक जारी नहीं किया गया है। ‘
यह पूछे जाने पर कि विनिवेश प्रक्रिया में क्या इस बात का प्रावधान होगा कि किसी भी मौजूदा कर्मचारी को नहीं हटाया जाएगा, कराड ने कहा कि इस सौदे की शर्तें तय करते वक्त कमर्चारियों की वाजिब चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने जनवरी 2021 में राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) में केंद्र सरकारी की पूरी हिस्सेदारी के विनिवेश की मंजूरी दी थी। साथ ही, RINL की सब्सिडियरी और ज्वाइंट वेंचर में भी RINL के स्टेक के विनिवेश को मंजूरी दी गई थी। RINL, विशाखापत्तनम स्टील प्लांट की कॉरपोरेट इकाई है।
अप्रैल 2023 में स्टील मिनिस्ट्री ने कहा था कि RINL के विनिवेश की प्रक्रिया चल रही है और कंपनी की परफॉर्मेंस को भी बेहतर बनाने के लिए भी कोशिश जारी है। हालांकि, ट्रेड यूनियन और विपक्षी पार्टियां विशाखापत्तनम स्टील प्लांट में विनिवेश के फैसले का विरोध कर रही हैं। ट्रेड यूनियनों और विपक्षी पार्टियां विनिवेश के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर रही हैं। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में विनिवेश से 51,000 करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य तय किया है।
कराड ने सरकार के निजीकरण अभियान से जुड़े अलग-अलग सवालों के जवाब में कहा कि विनिवेश की प्रक्रिया चल रही है और इससे जुड़े सौदों को बेचेने या संबंधित प्रक्रिया को पूरा करना बाजार की स्थितियों, डोमेस्टिक और ग्लोबल आउटलुक, भूराजनीतिक माहौल, निवेशक की दिलचस्पी और प्रशासनिक तौर पर डील की व्यावहारिकता आदि चीजों पर निर्भर करता है।