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  • ऐतिहासिक नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस देश को हुआ समर्पित,

    ऐतिहासिक नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस देश को हुआ समर्पित,

    बिहार, 19 जून (The News Air) बिहार के राजगीर में ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन पीएम मोदी ने कर दिया है। बिहार के राजगीर में स्थित नालंदा युनिवर्सिटी कैंपस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह पहुंचे। इसके बाद उन्होंने बौधि वृक्ष लगाया और इसके बाद नया कैंपस का उद्घाटन किया।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन कर दिया है। बिहार के राजगीर में स्थित नालंदा युनिवर्सिटी कैंपस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह पहुंचे। इसके बाद उन्होंने बौधि वृक्ष लगाया और इसके बाद नया कैंपस का उद्घाटन किया।

  • आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री पिता की सरकार में बेटा बना मंत्री, जानिए देश में कब-कब पिता की सरकार में बेटा मंत्री बना है

    आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री पिता की सरकार में बेटा बना मंत्री, जानिए देश में कब-कब पिता की सरकार में बेटा मंत्री बना है

    आंध्र प्रदेश में टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। नायडू की सरकार में फिल्म एक्टर पवन कल्याण ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। मंत्री पद की शपथ लेने वाले तीसरे व्यक्ति नारा लोकेश थे। नई सरकार में सीएम और डिप्टी सीएम सहित कुल 25 मंत्री होंगे। लेकिन, इस सरकार की सबसे खास बात मुख्यमंत्री पिता की सरकार में बेटे का मंत्री बनना है। यह राजनीति में वंशवाद का बड़ा उदाहरण है। मजेदार बात यह है कि जो बीजेपी क्षेत्रीय दलों पर वंशवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाती रही है वह आंध्र में टीडीपी की सरकार में शामिल है। आइए जानते हैं देश में ऐसा कब-कब हुआ है जब मुख्यमंत्री पिता की सरकार में बेटा मंत्री बना है।

    सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि चंद्रबाबू नायडू की सरकार में उनके बेटे पहली बार मंत्री नहीं बने हैं। ऐसा पहले हो चुका है। नायडू 2014 से 2019 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। तब उनके बेटे नारा लोकेश इस सरकार में मंत्री थे। उनका दर्जा कैबिनेट मंत्री का था। उनके पास आईटी, पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी थी। इसलिए नायडू की सरकार में उनके बेटे का कैबिनेट मिनिस्टर बनना आश्चर्य की बात नहीं है।

    पिता की सरकार में बेटे के मंत्री बनने का मामला तमिलनाडु में भी हो चुका है। 2022 में तमिलनाडु में डीएमके की सरकार बनी थी। एमके स्टालिन मुख्यमंत्री बने। तब उनके बेटे उदयनिधि स्टालिन ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। उदयनिधि विधायक हैं। वह पार्टी की युवा इकाई के सचिव भी रह चुके हैं। डीएमके इंडिया अलायंस का हिस्सा है। लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद दिल्ली में इंडिया अलायंस की बैठक हुई थी। उसमें शामिल होने के लिए स्टालिन दिल्ली आए थे।

    तमिलनाडु में स्टालिन की सरकार में बेटे का मंत्री बनना ऐसा पहला मामला नहीं था। स्टालिन के पित एम करुणानिधि 1969 से 2011 के बीच पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। स्टालिन 2009 में अपने पिता की सरकार में मंत्री बने थे। इससे साफ है कि न सिर्फ उत्तर भारत बल्कि दक्षिण भारत में भी राजनीति में परिवारवाद हावी रहा है। इसकी जड़े काफी पुरानी हैं।

    महाराष्ट्र में भी पिता की सरकार में बेटे के मंत्री बनने का मामला हो चुका है। शिवसेना-उद्धव गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे जब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री थे तब उनके बेटे आदित्य ठाकरे मंत्री थे। आदित्य ठाकरे के पास पर्यटन और पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी थी। शिवसेना उद्धव गुट अब महा विकास अगाड़ी का हिस्सा है। महाराष्ट्र में एनडीए की सरकार है। एमवीए विपक्ष में है। एमवीए में एनसीपी-शरद और कांग्रेस शामिल हैं।

    तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी अपनी सरकार में बेटे को मंत्री बनाया था। उनके बेटे का नाम केटी रामा राव है। 2018 में राज्य में चंद्रशेखर राव की दूसरी बार सरकार बनने पर उनके बेटे केटी रामाराव को आईटी, कपड़ा, एनआरआई मामलों और शहरी विकास विभाग जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई थी। हरियाण में ऐसा हो चुका है। देवीलाल दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। पहली बार वह 1977 से 1979 तक राज्य के सीएम रहे। दूसरी बार 1987 से 1989 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। 1987-1989 के दौरान पिता की सरकार में उनके बेटे रंजीत चौटाला कृषि मंत्री थे।

  • Amit Shah Interview: ‘क्या शरिया के आधार पर देश चलेगा?’

    Amit Shah Interview: ‘क्या शरिया के आधार पर देश चलेगा?’

    Lok Sabha Elections 2024: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र बनाने का काम अल्पसंख्यकों और वामपंथियों को सौंप दिया है। उन्होंने पर्सनल लॉ को बढ़ावा देने और देश को तुष्टीकरण की राजनीति में दोबारा वापस ले जाने के लिए भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधा। Network18 के ग्रुप एडिटर-इन-चीफ राहुल जोशी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उसके खिलाफ चुनाव लड़ने वालों के इरादों को उजागर करने के लिए घोषणापत्र का मुद्दा उठाया है।

    अमित शाह (Amit Shah) ने कहा, “मुझे बताओ, क्या इस युग में कोई राजनीतिक दल पर्सनल लॉ की बात कर सकता है? क्या शरीयत के आधार पर देश चलेगा? एक तरफ हम अपने संकल्प पत्र (घोषणापत्र) में समान नागरिक संहिता (UCC) लाने की बात करते हैं। कांग्रेस कह रही है कि वह पर्सनल लॉ को बढ़ावा देगी। कांग्रेस को जवाब देना चाहिए क्योंकि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है।”

    ‘कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप’

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दावे को दोहराते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है। गृह मंत्री ने कहा, “वह कह रहे हैं कि देश के कॉन्ट्रैक्ट्स में वे अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता देंगे। कॉन्ट्रैक्ट्स फर्स्ट पुअरेस्ट कौन है? पास्ट परफॉर्मेंस क्या है? उनमें काम करने की क्षमता है या नहीं। कॉन्ट्रैक्ट इस आधार पर तय होंगे या धर्म के आधार पर? वे देश को कैसे चलाना चाहते हैं? देश की जनता को फैसला करना होगा। बहुत समय बाद नरेंद्र मोदी जी ने देश को तुष्टिकरण की राजनीति से बाहर निकाला है। वे इसे फिर से उसी दिशा में ले जाना चाहते हैं, क्योंकि कांग्रेस में जीतने का आत्मविश्वास नहीं है।”

    शाह ने कहा कि इस बात पर कोई अस्पष्टता नहीं है कि अल्पसंख्यकों के बीच डिस्ट्रीब्यूशन के लिए संसाधन कहां से आएंगे। उन्होंने कहा, “यह देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान से आता है, जो एक बहुत प्रसिद्ध बयान था कि इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। अल्पसंख्यकों में भी विशेष रूप से मुसलमानों का…। अब जब धन बांटने की बात होगी तो वह संसाधनों से ही होगा। सरकार लोगों की संपत्ति लेकर उसका वितरण करेगी। मैं कहता हूं कि अगर ये सच नहीं है तो कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए कि इसका मतलब क्या है।”

    राहुल गांधी पर पलटवार

    लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति निर्धारित करने और उसके अनुसार धन का पुनर्वितरण करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘राष्ट्रव्यापी एक्स-रे’ के विचार पर केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “यह उनकी सोच है। मुझे लगता है कि इतनी पुरानी पार्टी ने अपना घोषणापत्र बनाने का काम अल्पसंख्यकों और अति वामपंथी लोगों को सौंप दिया है।” बीजेपी और पीएम मोदी के ‘मंगलसूत्र छीन लिए जाएंगे’ वाले बयान के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि धन के मुद्दे में लोगों की बचत, संपत्ति और ‘स्त्रीधन’ शामिल हैं।

    विरासत टैक्स पर दिया जोर

    अमित शाह ने विरासत टैक्स बहस पर भी जोर दिया। उन्होंने कांग्रेस के विदेशी विंग के अमेरिका स्थित अध्यक्ष सैम पित्रोदा पर कटाक्ष किया, जिन्होंने हाल ही में धन के पुनर्वितरण के मुद्दे पर चर्चा करते हुए अमेरिका में विरासत कर के बारे में बात की थी। शाह ने कहा, “मुझे लगता है कि सैम पित्रोदा एक आइवरी टॉवर में रह रहे हैं। उनका इस देश की संस्कृति, लोगों के मूड और इस देश की परंपराओं से कोई संबंध नहीं है।”

    यह पूछे जाने पर कि क्या BJP कभी कोई विरासत टैक्स नहीं लाएगी, गृह मंत्री ने कहा, “हमने अपना संकल्प पत्र पूरी पारदर्शिता के साथ लोगों के सामने रखा है। सारे तथ्य मौजूद हैं। हम छुपकर कुछ नहीं करेंगे।”

    अमित शाह ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी (BJP) क्या करने की योजना बना रही है, यह हमारे घोषणापत्र में लिखा है… BJP की विचारधारा स्पष्ट है। हम अपने घोषणापत्र और कार्यों को लेकर देश के सामने जाते हैं। कृपया अपने महान विचार हम पर न थोपें।” गुरुवार रात 9 बजे CNN-News18 पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पूरा इंटरव्यू देख सकते हैं।