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  • बाइडेन की जगह लिया पूर्व राष्ट्रपति ओबामा का नाम, व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी की फिसली जुबान (The News Air)

    बाइडेन की जगह लिया पूर्व राष्ट्रपति ओबामा का नाम, व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी की फिसली जुबान (The News Air)

    America: अमेरिका में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे से एक बड़ी भूल हो गई, जिसका उन्हें तुरंत एहसास हो गया. दरअसल, काराइन जीन-पियरे की जुबान फिसल गई और उन्होंने गलती से मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन को ‘प्रेसीडेंट ओबामा कह दिया. हालांकि, जीन ने तुरंत अपनी गलती सुधार ली और माफी भी मांग ली, लेकिन तब तक पूरी घटना लाइव टीवी पर कैद हो गयी थी. 

    बताते चलें कि व्हाइट हाउस की तरफ से प्रतिदिन मीडिया को अलग-अलग मुद्दों पर ब्रीफ किया जाता है. इसी क्रम में गुरुवार को प्रेस ब्रीफिंग चल रही थी. हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरीन जीन पियरे विश्व बैंक के नए अध्यक्ष को लेकर मीडिया को बता रहीं थीं. इसी दौरान गलती से उनकी जुबान फिसल गई और उनसे बड़ी भूल हो गयी.

    तुरंत हो गया अपनी गलती का एहसास  

    प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जीन-पियरे ने कहा कि जैसा कि आप सभी ने लगभग एक घंटा पहले देखा, राष्ट्रपति ओबामा ने घोषणा की, माफ करें, राष्ट्रपति बाइडन. इस दौरान जीन को अपनी गलती का एहसास हो गया था. जीन की बातें सुन वहां मौजूद पत्रकार भी हैरत में पड़ गए. जुबान फिसलने के बाद काराइन ने कहा कि हां, अब यह खबर है. मुझे पता है, हम आगे नहीं पीछे जा रहे हैं. हमें आगे बढ़ना होगा.

    अपनी भूल को तत्काल सुधारने के बाद पियरे ने कहा कि अमेरिका ने अजय बंगा को वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष के रूप में नामित किया है. राष्ट्रपति बाइडेन ने स्वयं कहा कि अजय बंगा विश्व बैंक का नेतृत्व करने के लिए विशिष्ट रूप से सुसज्जित हैं. वह एक मशहूर बिजनेस सीईओ रहे हैं, जिन्होंने विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार और निवेश लाने वाली कंपनियों का प्रबंधन किया है.

  • रूस-यूक्रेन जंग के बीच जेलेंस्की को दो बिलियन डॉलर की मदद देगा अमेरिका (The News Air)

    रूस-यूक्रेन जंग के बीच जेलेंस्की को दो बिलियन डॉलर की मदद देगा अमेरिका (The News Air)

    America: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध को आज ठीक एक साल हो गए. दोनों देश मैदान-ए-जंग में डटे हुए हैं. एक तरफ जहां अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश यूक्रेन की जमकर मदद कर रहे हैं. वहीं, रूस अपना आक्रामक रुख अपनाए हुए है. इसी बीच अमेरिका के व्हाइट हाउस के अधिकारी ने पुष्टि की कि अमेरिका यूक्रेन को सुरक्षा सहायता में 2 बिलियन डॉलर और दे रहा है. इससे पहले भी अमेरिका यूक्रेन की मदद करता रहा है. 

    हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन का दौरा किया. तब उन्होंने मदद का आश्वासन दिया था. बाइडेन के अचनाक कीव पहुंचने पर रूस हैरत में पड़ गया था. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की थी. इस दौरान अमेरिका ने यूक्रेन को 50 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता देने का एलान किया था.

    पश्चिमी देशों ने यूक्रेन का दिया है साथ 

    यूक्रेन पहुंच बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका यूक्रेन को 50 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता देगा. बताते चले कि रूस के आक्रमण के बाद से पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार मुहैया कराए हैं. जिसपर चीन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यूक्रेन को हथियार भेजने से शांति नहीं आएगी. यह आग में घी डालने जैसा है और इससे केवल तनाव बढ़ेगा. संघर्ष को लंबा खींचने से आम लोगों को और भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की पहल करनी चाहिए.

    बाइडेन ने कहा कि जब पुतिन ने एक साल पहले अपने आक्रमण को शुरू किया था तब उन्होंने सोचा था कि यूक्रेन कमजोर है और पश्चिमी देश एकजुट नहीं हैं. उन्होंने सोचा कि ऐसे में उन्हें कोई चुनौती नहीं मिलेगी लेकिन वो पूरी तरह गलत साबित हुए.

    जेलेंस्की ने जो बाइडेन से मुलाकात के बाद कहा कि आपकी यात्रा सभी यूक्रेनी लोगों के समर्थन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण संकेत है. जेलेंस्की ने कहा कि बाइडेन के साथ उन्होंने लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले हथियारों पर चर्चा की. साथ ही अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई.

  • युद्ध के एक सालों में तीन हिस्सों में बंट गई दुनिया, जानें भारत किसके साथ (The News Air)

    युद्ध के एक सालों में तीन हिस्सों में बंट गई दुनिया, जानें भारत किसके साथ (The News Air)

    Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को आज एक साल पूरे हो गए. पिछले साल आज के ही दिन (24 फरवरी) से दोनों देशों के बीच भीषण जंग शुरू हुई. दोनों के बीच अभी भी  जंग जारी है. इस जंग का असर अब दुनिया पर देखने को मिलने लगा है. अगर कहा जाए कि दुनिया तीन धड़े में बंट चुकी है तो गलत नहीं होगा. 

    जैसा कि युद्ध के शुरुआत में यह कयास लगाया जा रहा था कि रूस जैसी महाशक्ति के आगे यूक्रेनी सेना जल्‍द ही घुटने टेक देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. यूक्रेन रूस के सामने तनकर खड़ा रहा. अब तक इस जंग में अमेरिका और नाटो संगठन के देशों से मिली मदद और हथियारों के दम पर यूक्रेन ने रूस को कड़ी टक्‍कर दी है.

    तीन धड़ों में बंट गयी दुनिया 

    युद्ध के एक साल बाद दुनिया तीन धड़ों में बंटती दिख रही है. जर्मनी की फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस के पूर्व उपाध्यक्ष रुडोल्फ एडम कहना है कि दुनिया तीन समूहों में बंटी रहेगी जो एक-दूसरे को पहले से ज्यादा संदेह करेंगे और कभी कभी खुली दुश्मनी भी दिखाएंगे.

    पहला खेमे की बात करें तो इसमें अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश हैं. वहीं दूसरे खेमे में चीन, रूस, बेलारूस, ईरान, सीरिया, वेनेजुएला और उत्तर कोरिया जैसे देश शामिल हैं. इसके साथ ही तीसरे खेमे की बात करें तो इसमें भारत समेत दक्षिण एशिया, अरबी देश, लैटिन अमेरिकी देश हैं.

    पहला खेमा 

    यूक्रेन के खिलाफ जंग में रूस का भरोसेमंद साथी चीन है. चीन पहले ही कह चुका है कि नाटो यूक्रेन में मनमानी कर रहा है. इसके साथ ही क्यूबा भी रूस के साथ मजबूती से खड़ा है. क्यूबा और चीन के अलावा आर्मेनिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और बेलारूस भी रूस के साथ हैं. अमेरिका के विरोध में ईरान और उत्तर कोरिया का सहयोग भी रूस को है. चीन का करीबी होने के नाते पाकिस्तान का भी रूस को समर्थन है.

    दूसरा खेमा 

    यूक्रेन के खेमे की बात करें, तो उसे अमेरिका का समर्थन हासिल है. नाटो में शामिल बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देश भी यूक्रेन के समर्थन में हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन तो खुलकर सामने आ चुके हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि पुतिन यूरोप पर जंग थोपने की कोशिश कर रहे हैं. जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भी यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं.

    तीसरा खेमा

    इसमें भारत समेत दक्षिण एशिया, अरबी देश, लैटिन अमेरिकी देश हैं. भारत की बात करें, तो इसने फिलहाल मौन साध रखा है. उम्मीद है कि आगे भी भारत का यही रुख रहने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के संबंध अमेरिका और रूस दोनों से बेहतर हैं. ऐसे में भारत किसी एक गुट का समर्थन करके दूसरे को नाराज करने का जोखिम बिल्कुल नहीं उठाना चाहेगा.

    भारत पर पड़ेगा असर 

    एक्सपर्ट की  माने तो तीन धड़ो में बंटी दुनिया में संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन ज्यादा कारगर होते दिखाई नहीं दे रहे ऐसे में इलाकाई संघों को मजबूती मिलेगी. इसके साथ ही सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए दबाव भी बढ़ेगा, लेकिन इसमें भारत के लिए सफलता की संभावना ज्यादा दिखाई नहीं दे रही क्योंकि सबसे ज्यादा अड़ंगा लगाने वाला चीन रणनीतिक तौर पर मजबूत होता दिखाई दे रहा है जबकि भारत समर्थक रूस कमजोर पड़ेगा.

  • दया की भीख मांगने वाले हार्वे वीनस्टीन को रेप केस में 16 साल की जेल, पहले से जेल में बंद है फिल (The News Air)

    दया की भीख मांगने वाले हार्वे वीनस्टीन को रेप केस में 16 साल की जेल, पहले से जेल में बंद है फिल (The News Air)

    HollyWood: अमेरिकी फिल्म निर्माता हार्वे वीनस्टीन को इटली के एक एक्टर के साथ रेप के मामले में 16 साल की जेल की सजा सुनाई गई. बता दें कि फिल्म निर्माता हार्वे वीनस्टीन यौन उत्पीड़न और रेप के एक अन्य मामले में पहले से ही जेल में 23 साल की सजा काट रहे हैं और अब उन्हें 16 साल और अधिक जेल में गुजारने होंगे यानी अब उन्हें पूरी ज़िन्दगी जेल में गुजारनी होगी.

    मामले की सुनवाई में लॉस एंजिल्स की अदालत ने आदेश दिया गया है कि वह न्यूयॉर्क में एक और यौन अपराधों की अपनी 23 साल की सजा पूरी करने के बाद नए सिरे से सजा काटेंगे. गौरतलब है कि 10 साल पहले हार्वे वीनस्टीन पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हार्वे वाइंस्टीन पर कई गंभीर आरोप लगे थे.

    वकीलों ने दावा किया था कि फिल्म निर्माता ने यंग एक्ट्रेसेस के साथ एक नहीं बल्कि कई बार ऐसा काम किया है. दिसंबर 2020 में हुई सुनवाई के दौरान सारी जांच और सबूत को देखते हुए हार्वे वाइंस्टीन को रेप और यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गया था.  हार्वे विंस्टीन ने तब सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी थी जब उनपर मीटू के तहत करीब 80 महिलाओं ने रेप और यौन शोषण के आरोप लगा था. हालांकि कुछ मामलों में उन्हें बरी भी कर दिया गया था. 

    जज से रहम की भीख मांग रहे थे हार्वे 

    इससे पहले जब हार्वे वीनस्टीन को सजा सुनाई गई थी तब उन्होंने उन्होंने जज से रहम की भीख मांगी थी. उन्होंने जज से कहा था कि प्लीज मुझे आजीवन कारावास की सजा न दें. इस मामले में बहुत सी चीजें गलत हैं. फिल्म निर्माता के दया के भीख के बावजूद भी जज ने उनकी एक न सुनी. बता दें कि उनको इस मामले में अभी 20 साल की सजा और काटनी होगी. 

    रोते हुए पीड़िता ने मांगी थी अधिक से अधिक सजा

    मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जिस एक्ट्रेस ने हार्वे विंस्टीन पर आरोप लगाए, उसकी पहचान उजागर नहीं गई थी. लेकिन उसने रोते हुए जज से गुहार लगाई थी विंस्टीन को अधिक से अधिक सजा दी जाए. 

  • इस दवा को खाने के बाद जॉम्बी जैसी हरकतें करने लग रहा है इंसान, खौफ में हैं अमेरिकी (The News Air)

    इस दवा को खाने के बाद जॉम्बी जैसी हरकतें करने लग रहा है इंसान, खौफ में हैं अमेरिकी (The News Air)

    Xylazine Drug In America: अमेरिका के लोग एक दवा के कारण खौफ में हैं. दरअसल, इस दवा ने हाहाकार मचा रखा है. दवा का नाम जाइलाज़ीन (Xylazine) है. इसके सेवन के बाद होने वाले साइड इफेक्ट के चलते लोगों की त्वचा धीरे-धीरे सड़ रही है. इसको लेकर कहा जा रहा है कि यह इंसानों को जॉम्बी में तब्दील कर दे रही है. 

    मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जो लोग भी इस दवा का इस्तेमाल करते हैं उनमें अधिकतर लोगों की त्वचा पर असर पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि इसके सेवन के बाद स्किन सड़ रही है. एक्सपर्ट की माने तो, इस दवा का इस्तेमाल पशुओं को बेहोश करने में किया जाता है, लेकिन अब इसका इस्तेमाल हेरोइन जैसे ड्रग्स की काट के तौर पर भी किया जा रहा है.

    ऐसे कर रही है असर 

    जाइलाज़ीन की बात करें इसका प्रभाव बेहोशी वाली दवा की तरह का ही है. इसे लेने वाले शख्स की सांसें धीमी हो जाती हैं, इसे खाने वाला धीरे धीरे नींद की चपेट में चला जाता है. साइड इफ़ेक्ट के रूप में शरीर पर जख्म दिखने लगते हैं. वहीं एक वक्त ऐसा आता है कि इंसान की त्वचा इस कदर सड़ जाती है. जिसके बाद  उस अंग को काट कर निकालना पड़ रहा है.

    सबसे पहले यहां पाई गयी थी ये दवा 

    कहा जा रहा है कि यह दवा सबसे पहले फिलाडेल्फिया में मिली. इसके बाद यह सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजिलिस से होते हुए देश भर के कई ठिकानों में पहुंची और इसकी खपत बढ़ने लगी. दावा किया जा रहा है कि इस दवा को लेते ही लोग जॉम्बी जैसी हरकतें करने लगते हैं. जिससे अधिकारियों की टेंशन बढ़ गयी है.

  • अमेरिकी पायलट की स्पाई बैलून के साथ सेल्फी ने दुनिया को दिखाया जासूसी का सच (The News Air)

    अमेरिकी पायलट की स्पाई बैलून के साथ सेल्फी ने दुनिया को दिखाया जासूसी का सच (The News Air)

    US Pilot Captures Chinese Spy Balloon: जासूसी बैलून को लेकर अमेरिका और चीन के बीच विवाद अभी तक बरकरार है. इस बीच चीन की ओर से की जा रही जासूसी का सच दुनिया के सामने आ गया है. अमेरिकी पायलट (US Pilot) की ओर से स्पाई बैलून के साथ ली गई सेल्फी की तस्वीर सामने आई है. जानकारी के मुताबिक ये तस्वीर 3 फरवरी को ली गई थी, जब चाइनीज स्पाई बैलून (Chinese SPY Balloon) अमेरिकी आसमान में उड़ रहा था.

    अमेरिकी विमान के पायलट ने 60,000 फीट की ऊंचाई पर चीन (China) के जासूसी गुब्बारे को देखा था और फिर सेल्फी ली थी.

    चाइनीज स्पाई बैलून के साथ सेल्फी

    पेंटागन ने एक U2 जासूसी विमान के पायलट की ओर से ली गई एक सेल्फी तस्वीर जारी की. ये विमान इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी सेना की ओर दक्षिण कैरोलिना के तट पर मार गिराए जाने से पहले चीनी जासूसी गुब्बारे पर नज़र रख रहा था. तस्वीर में देखा जा सकता है कि गुब्बारे से पैनल लटक रहे हैं. चीन ने इसे सिविल बैलून बताया था.

    फाइटर जेट से मार गिराया गया था बैलून

    सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक ये तस्वीर 3 फरवरी को फ्लाइट डेक पर एयरमैन ने ली थी, जब गुब्बारा अधिक ऊंचाई पर अमेरिका के हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था. स्पाई बैलून को मोंटाना के ऊपर देखा गया था और अमेरिकी अधिकारियों ने इसे ट्रैक किया था. अमेरिकी वायुसेना ने फिर अटलांटिक महासागर के ऊपर F-22 फाइटर जेट से दागी गई एक मिसाइल के साथ मार गिराया गया था.

    अमेरिका-चीन के बीच तल्खी बढ़ी!

    ये चाइनीज गुब्बारा करीब 60,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था. राष्ट्रपति जो बाइडेन के अलावा अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि बैलून उनके देश के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा कर रहा था, जबकि चीन ने कहा था कि यह एक मौसम का गुब्बारा था और भटककर यूएस हवाई क्षेत्र में चला गया था. अमेरिका की ओर से 4 फरवरी को दक्षिण कैरोलिना के तट पर चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई.

    अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) ने 18 फरवरी को चीन (China) के टॉप डिप्लोमेट वांग यी से मुलाकात की थी. इस दौरान स्पाई बैलून को लेकर चीन को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा था कि वो दोबारा ऐसी हरकत न करे. वहीं, चीन के भी तेवर तल्ख दिखे थे.

  • जेलेंस्की ने दी तीसरे विश्‍वयुद्ध की चेतावनी तो रूस की परमाणु सेना अलर्ट पर (The News Air)

    जेलेंस्की ने दी तीसरे विश्‍वयुद्ध की चेतावनी तो रूस की परमाणु सेना अलर्ट पर (The News Air)

    Russia’s Nuclear Army On Alert: यूक्रेन से युद्ध को एक साल पूरा होने से ठीक पहले आज रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन देश को संबोधित करने जा रहे हैं. दुनिया भर की नजरें पुतिन के भाषण पर टिकी हुई हैं.रूस का अगला कदम क्या होगा, इस बात को लेकर अभी तक महज अंदाजा ही लगाया जा रहा है लेकिन आज का भाषण बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. 

    इसी बीच यूक्रेन का दावा है कि रूस ने अपनी परमाणु सेना को पूरी तरह से अलर्ट पर रखा हुआ है. साथ ही व्‍यापक स्‍तर पर’ परमाणु अभ्‍यास शुरू किया है. हालांकि यूक्रेन ने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की ने वार्निग देते हुए कहा है कि अगर चीन रूस के साथ जाता है तो दुनिया में तीसरा विश्‍वयुद्ध छिड़ जाएगा.

    अमेरिका ने की यूक्रेन की मदद 

    इसी कड़ी में अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच 50 करोड़ डॉलर के सैन्‍य पैकेज का ऐलान किया है. जिस बात से रूस के अंदर छटपटाहट दिख रही है. इससे पहले भी रूस ने यूक्रेन की मदद करने वाले देशों को चेतावनी दे डाली है. मौजूदा परिवेश की बात करें तो यूक्रेन के जासूसी ने सूचना दी है कि रूस ने अपनी परमाणु सेना को पूरी तरह से अलर्ट पर रखा हुआ है.

    पश्चिमी देशों को ब्‍लैकमेल करना चाहता है रूस 

    इसके साथ ही यूक्रेन ने कहा कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन पश्चिमी देशों को ब्‍लैकमेल करना चाहते हैं और इसी वजह से वह परमाणु ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं. गौरतलब है कि युद्ध के दौरान अब तक पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की भरसक मदद की है जो बात रूस को कही न कही नागवार गुजरी है.

    यूक्रेन का दावा है कि रूस ने अपने परमाणु सेना का अभ्‍यास शुरू किया है. इसमें परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के सभी अंगों सबमरीन, मिसाइल और फाइटर जेट शामिल हैं. बताते चलें कि सुपरपावर कहे जाने वाले रूस को उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं मिले. कयास लगाया जा रहा था कि यूक्रेन रूस के सामने बहुत दिनों तक मैदान में नहीं टिक पायेगा लेकिन इसके उलट यूक्रेन तनकर खड़ा रहा. साथ ही यूक्रेन को पश्चिमी देशों से खूब मदद भी मिली. ऐसे में रूस पर परमाणु शक्ति के दम मैदान मारने की तैयारी में है.

  • ज़ेलेंस्की के बाद अब व्लादिमीर पुतिन करेंगे अपने देश को संबोधित (The News Air)

    ज़ेलेंस्की के बाद अब व्लादिमीर पुतिन करेंगे अपने देश को संबोधित (The News Air)

    Vladimir Putin: यूक्रेन से युद्ध को एक साल पूरे होने से ठीक पहले आज यानी मंगलवार को रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन देश को संबोधित करने जा रहे हैं. राष्‍ट्रपति का यह सम्बोधन कई मायने में बेहद अहम माना जा रहा है. गौरतलब है कि पश्चिमी देशों ने युद्ध के दौरान यूक्रेन की मदद की है जिस बात से रूस आहत है. ऐसे में परिस्थिति तीसरे वर्ल्ड वॉर की भी बनती दिख रही है.

    उधर यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की ने चेतावनी देते हुए कह दिया है कि अगर चीन रूस के साथ जाता है तो दुनिया में तीसरा विश्‍वयुद्ध छिड़ जाएगा. गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के पहुंचने और 50 करोड़ डॉलर की मदद के बाद से यूक्रेन उत्साहित है. उम्मीद है कि पुतिन आज अपने सम्बोधन में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे.

    रूस के बारे में सब जानना चाहते हैं 

    दुनिया भर की नजरें भी पुतिन के संबोधन पर टिकी हुई हैं. माना जा रहा है कि पुतिन पश्चिमी देशों को लेकर भी अपनी राय रखेंगे.क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने सरकारी टेलीविजन को बताया कि मौजूदा समय हमारे लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है. हर कोई हमपर नजरें गड़ाए हुए हैं. हर कोई एक संदेश का इंतजार कर रहा है, सब जानना चाहते हैं कि क्या हो रहा है.

    संसद के दोनों सदनों के सदस्यों और सैन्य कमांडरों और सैनिकों के लिए भाषण मध्य मास्को में भारतीय समयानुसार दोपहर 2:30 शुरू होने वाला है. गौरतलब है युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी सेना को तीन बड़े युद्धक्षेत्र उलटफेर का सामना करना पड़ा है लेकिन अभी भी यूक्रेन के पांचवें हिस्से पर नियंत्रण है.

    इसके साथ ही खबर आ रही है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तबीयत ख़राब है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन के स्वास्थ्य में गिरावट आई है. वो जल्द ही अस्पताल में भर्ती होंगे और एक नए उपचार से गुजरेंगे. ऐसे समय में उनका भाषण और महत्वपूर्ण हो जाता है.

    भाषण को किया गया छोटा 

     मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो पुतिन की तबीयत को देखते हुए उनके भाषण को काफी छोटा किया जा रहा हैं. ऐसा इसलिए कि उन्हें बार-बार खांसी, चक्कर आना, नींद की गड़बड़ी, पेट में दर्द जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है.

  • रूस-यूक्रेन युद्ध के 12 महीने: चीन का एक फैसला क्यों पूरी दुनिया के लिए बना बड़ा खतरा?  (The News Air)

    रूस-यूक्रेन युद्ध के 12 महीने: चीन का एक फैसला क्यों पूरी दुनिया के लिए बना बड़ा खतरा?  (The News Air)

    The News Air: अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक इंटरव्यू में कहा कि चीन रूस को हथियार और गोला-बारूद देने पर विचार कर रहा है. अगर ऐसा होता है तो आगे चल कर यूक्रेन में हालात और बदतर हो जाएंगे. एंटनी ब्लिंकन ने आगे कहा कि चीन रूस की कार्रवाई की ना तो आलोचना करता है ना ही वो रूस पर यूक्रेन के हमले को गलत मानता है. उन्होंने बीजिंग को चेतावनी दी कि चीन की तरफ से कोई भी आपूर्ति “गंभीर समस्या पैदा करेगी.”
    कुल मिलाकर अमेरिका की टिप्पणी रूस-यूक्रेन जंग में चीन के लिए अभी तक की सबसे साफ चेतावनी के रूप में दिखाई दे रही है. इससे ये भी संकेत मिल रहा है कि यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरा होने पर चीन रूस को राजनीतिक या कूटनीतिक समर्थन से आगे बढ़कर यूक्रेन के खिलाफ जारी लड़ाई में मदद करने के लिए तैयार हो सकता है.

    दूसरी तरफ चीन ने रूस की तरफ से आए किसी भी सैन्य उपकरणों की मांग को सिरे से नकारा है. वहीं चीन ये भी कहा है कि रूस को अमेरिका ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए मजबूर किया. रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को हमला किया था. हमले से कुछ हफ्ते पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शीतकालीन ओलंपिक के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी. तब दोनों की मुलाकात पर पश्चिमी देशों ने आपत्ति जताई थी. उस वक्त भी चीन ने पश्चिमी देशों की आलोचनाओं को नजरअंदाज कर दिया था.
    ब्लिंकन ने रविवार को एनबीसी से कहा कि चीन रूस और पश्चिमी देशों को अपने तरीके से लुभाने की कोशिश करता आया है, ये तब भी ठीक था, लेकिन अगर चीन ने रूस को किसी भी तरह की कोई सैन्य मदद पहुंचाई तो ये रूस को जंग के लिए प्रोत्साहित करना माना जाएगा और इसके नतीजे सबसे खतरनाक होंगे.
    ब्लिंकन क्यों कर रहा है दावा?
    अब तक रूस के लिए चीन का समर्थन और बयानबाजी अमेरिका को खटकता आया है. ब्लिंकन ने इस का जिक्र म्यूनिख, जर्मनी में एक सुरक्षा सम्मेलन में भी किया था. उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से इस बात को लेकर चिंतित रहा है कि चीन रूस को हथियार प्रदान करेगा और ” घातक मदद यानी गोला -बारूद जैसे हथियारों से मदद पहुंचाना यूक्रेन के खिलाफ चीन का एक बड़ा कदम माना जाएगा.
    बता दें कि ब्लिंकन का ये बयान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे वरिष्ठ विदेश नीति अधिकारी वांग यी से बातचीत करने के बाद आया है. ब्लिंकन ने कहा कि “मैंने वांग यी के साथ यूक्रेन मामले पर साफ बातचीत की और ये कहा कि चीन की तरफ से रूस को कोई भी मदद पहुंचाए जाने पर सिर्फ समस्या ही पैदा होगी.
    संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने भी इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर की है.  लिंडा ने कहा कि रूस को हथियार देने के चीन के किसी भी प्रयास खतरे के निशान को और गहरा करेगा. जिसका हर्जाना चुकाना पड़ेगा. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद रूसी और चीनी सेनाओं ने संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया है.
    चीन ने इस मामले पर क्या कहा है?
    वांग और ब्लिंकन के बीच बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया था. बयान में ये कहा गया था कि चीन ने हमेशा यूक्रेन संघर्ष में एक रचनात्मक भूमिका निभाई है. चीन का मकसद सिर्फ शांति को बनाए रखना है और सिद्धांतों का पालन करते हुए वार्ता को आगे बढ़ाना है.
    बीजिंग का कहना है कि उसने रूस के साथ एक सामान्य व्यापार संबंध जारी रखा है, जिसमें तेल और गैस की खरीद अहम है. ये ठीक वैसा ही है जैसे भारत दूसरे देशों के साथ चीजों की खरीद-फरोख्त करता है. ये एक बिजनेस से ज्यादा और कुछ नहीं है. दूसरी तरफ चीन की तरफ से रूस को हथियार देने के कोई भी कागजात अबतक सामने नहीं आए हैं.
    अगर चीन रूस की मदद करता है तो क्या हो सकता है?
    ब्लिंकन ने एनबीसी को बताया, “हमारी जानकारी के अनुसार, चीन ने अभी तक उस रेखा को पार नहीं किया है. ब्लिंकन ने यह भी नहीं बताया कि चीन के जवाब में अमेरिका ने क्या तैयारियां की हैं, लेकिन ये इशारा दिया कि चीन का रूस के लिए सैन्य समर्थन संबंधों को पूरी तरह से बिगाड़ देगा. और इसका परिणाम अब तक सबसे खराब होगा. अमेरिका का कहना है कि ताइवान चीन का सबसे संवेदनशील मुद्दा है. और रूस के समर्थन के बाद हम अपना ताइवान को देने वाला समर्थन और बढा देंगे.
    बता दें कि चीन ताइवान पर अपना हक जताता है वहीं ताइवान वहीं खुद को स्वतंत्र देश समझता है. अमेरिका ताइवान को सपोर्ट करता है, और चीन के लिए अमेरिका को ताइवान का सपोर्ट सरदर्द बना हुआ है. ताइवान अमेरिकी रक्षात्मक हथियारों का बड़ा खरीदार भी है. ये बात भी चीन को परेशान करती है.
    यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की मदद को लेकर अमेरिका ने कई चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने और कई चीनी फर्मों; पर रोक लगाने की बात कही है. अमेरिका का कहना है कि ये चीनी फर्म चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से संचालित होती हैं और वो मीडिया से लेकर विपक्षी दलों की आवाज को दबाने का काम करती हैं.
    अमेरीका ने चीन के खिलाफ पहले ही ट्रेड वॉर छेड़ रखा है. अगर चीन रूस को यूक्रेन मामले में मदद पहुंचाता है तो ये ट्रेड वॉर और बढ़ जाएगा.
    एशिया प्रशांत क्षेत्र की मुख्य अर्थशास्त्री एलिसिया गार्सिया-हेरेरो ने एक रिपोर्ट में लिखा कि चीन रूस को 90 अरब डॉलर की मदद कर रहा है . इसके बाद पश्चिमी देशों के बैंकों ने रूस के लगभग 315 बिलियन डॉलर फ्रिज कर दिया. ऐसे में चीन की हथियारों की मदद की वजह से रूस पर कई बड़े बैंक नए प्रतिबंध लगाने को मजबूर हो जाएंगे.
    भारत पर रूस के लिए चीन की मदद का क्या असर पड़ेगा
    रूस यूं तो भारत का पारंपरिक दोस्त रहा है, लेकिन रूस जिस तरह चीन से करीबी बढ़ा रहा है, उसका असर भारत पर भी पड़ेगा. चीन और भारत के बीच 1962 से सीमा विवाद चला आ रहा है. भारत और अमेरीका में करीबी की वजह से भी रूस और भारत के बीच दूरियां बढ़ी हैं.
    स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक 2008-2012 तक भारत के कुल हथियार आयात का 79 फीसदी रूस से होता था जो पिछले पांच सालों में घटकर 62 फीसदी हो गया है.
    यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले चीन और रूस ने मिलकर एक बयान दिया था. इस बयान में कहा गया था कि रूस और चीन की दोस्ती की कोई सीमा नहीं है. साफ है कि रूस और चीन के बीच दोस्ती और सहयोग बड़े स्तर पर है. यूक्रेन हमले के बाद ;रूस और चीन और करीब आ गए हैं. चीन का सहयोग रूस से और बढ़ा है और ये भारत के लिए बुरी खबर है.
    चीन रूस की मदद करता है तो दो धड़े में बट जाएगी दुनिया
    अमेरिका की प्रभुत्वकारी नीतीयों से पहले ही तमाम एशियाई देश नाखुश हैं. रूस यूक्रेन युद्ध के बाद चीन और रूस के बीच ट्रेड बढ़ा है . चीन ने एक तरफ ये भी कहा है कि वो यूक्रेन की प्रभुसत्ता का सम्मान करता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ नाटो देशों के रूस की सीमा पर आने से चीन नाखुश है. ऐसे में अगर चीन रूस को हथियार पहुंचाता है तो देश दो धड़े में बंट जाएगा. नाटो और अमेरिका एक तरफ हो जाएंगे और ये लड़ाई नाटो, अमेरिका vs चीन -रूस की हो जाएगी. इसका शिकार दुनिया के सबी देश होंगे.
    अमेरिका और भारत के रिश्ते में उतार-चढाव आते रहते हैं. वहीं रूस और भारत के संबध बहुत पुराने हैं. भारत का 85 प्रतिशत मिलिट्री फोर्स रूस से ही आता है. वहीं चीन और भारत के बीच पुराना सीमा विवाद हैं. ऐसे में चीन और रूस करीब आते हैं तो भारत पर भी इसका कहीं ना कहीं उल्टा असर पड़ेगा.
    चीन रूस की मदद करेगा तो पूरे विश्व में होगा युद्ध
    इस सब के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने भी चीन को चेतावनी दी है. व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि अगर चीन रूस साथ देता है तो विश्वयुद्ध हो जाएगा.
    जेलेंस्की ने एक जर्मन अखबार से बातचीत के दौरान कहा कि, ‘हमारे लिए यह जरूरी है कि चीन इस युद्ध में रूस का साथ न दे, हम तो ये चाहते हैं कि चीन हमारे साथ रहे, लेकिन ये मुमकिन नहीं लग रहा है . उन्होंने आगे कहा, ‘अभी यह युद्ध सिर्फ दो देशों में हो रहा है लेकिन अगर चीन ने रूस का साथ समर्थन किया विश्व युद्ध होगा. मुझे लगता है चीन भी इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है.
    रूस और चीन की बढ़ रही है करीबी
    पिछले दिनों ये भी खबर आई थी कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मॉस्को में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश नीति प्रमुख से मुलाकात कर सकते हैं.  मुलाकात की खबर ऐसे समय में आयी जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से पूर्व सूचना दिए बगैर मुलाकात की . मुलाकात के बाद ब्लिंकन ने ट्वीट कर यूक्रेन में रूस को सहायता देने पर चीन को चेतावनी दी.

  • जीब फरमान हुआ जारी, जंगली गायों को मारने के लिए बुलाए गए खास हेलिकॉप्टर शूटर्स, जानिए वजह (The News Air)

    जीब फरमान हुआ जारी, जंगली गायों को मारने के लिए बुलाए गए खास हेलिकॉप्टर शूटर्स, जानिए वजह (The News Air)

    The News Air: Mexico: अमेरिका के न्यू मेक्सिको में जंगली गायों मारने के लिए खास प्लान बनाया गया है. दरअसल, यहां जंगली गायों को गोली मारने का आदेश जारी किया गया है. दिलचस्प बात यह है कि इन गायों को मारने के लिए हेलिकॉप्टर शूटर्स काम पर लगाया गया है. वन विभाग के अनुसार, ये जंगली गायें यहां खेती को नुकसान पहुंचाते हैं. साथ ही पैदल आने जाने वालों पर हमला किया करते हैं. इनकी वजह से टूरिस्ट खौफ में रहते हैं 

    मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो गुरुवार से शूटरों से भरे हेलीकॉप्टर को मेक्सिको के विशाल गिला वाइल्डरनेस जंगल में भेजा जाएगा. काम पर लगाए गए हेलिकॉप्टर शूटर्स अपने काम में माहिर हैं. उन्हें खास तरह की दूरबीन दी गयी है जिसकी मदद से वे जंगली गायों की तलाश कर, उन्हें ख़त्म करेंगे.

    150 जंगली गायों मारने का लक्ष्य

    मिली जानकारी के मुताबिक यह कार्रवाई चार दिनों तक चलेगी.  जिसमें 150 जंगली गायों मारने का लक्ष्य दिया गया है. विशेषज्ञों की माने तो ये आवारा गाय पहाड़ों और घाटियों में विलुप्त होने वाली प्रजातियों के इकोसिस्टम को नष्ट कर रहे हैं. जिस वजह से इन्हें मारने का फरमान जारी हुआ है.

    फैसले पर हो सकता है विवाद 

    दूसरी तरफ जानकारों का यह भी मानना है कि इस फैसले के बाद विवाद खड़ा हो सकता है. उनका मानना है कि हेलिकॉप्टर से जंगली गायों को शूट कर देना बेहद क्रूर तरीका है. आगे चल इस फैसले पर सवाल खड़े हो सकते हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि मुसीबत बने इन जानवरों से अलग तरीके से निपटा जा सकता था.

    अमेरिका के पश्चिम में जंगली हॉग को हवा से मारना आम बात है. हालांकि, गायों को इस तरह मारने पर विवाद खड़ा हो सकता हैं. बताया जा रहा है कि हेलीकॉप्टर शूटर्स गायों को जंगलों में दौड़ाते हैं और उन्हें शूट करते हैं, इससे मवेशियों की तड़प-तड़प कर मौत हो जाती है.

  • George Soros: कौन हैं जॉर्ज सोरोस, जिन्होंने पीएम मोदी पर उठाए सवाल, जानें क्या लगाए थे आरोप

    George Soros: कौन हैं जॉर्ज सोरोस, जिन्होंने पीएम मोदी पर उठाए सवाल, जानें क्या लगाए थे आरोप

    George Soros On PM Modi: अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर क्रोनी कैपटलिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. सोरोस ने दावा किया कि उनके भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी से मधुर संबंध हैं.

    सोरोस ने यह टिप्पणी गुरुवार (16 फरवरी 2023) को जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से पहले टेक्निकल यूनिवर्सिटी आफ म्यूनिख (TUM) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की. उन्होंने पीएम मोदी पर अडानी के स्टॉक में हेरफेर करने का आरोप है. अडानी विवाद पर उन्होंने कहा, “अडानी एंटरप्राइजेज ने शेयर बाजार में धन जुटाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा. उनका स्टॉक रेत की महल की तरह ढह गया है.”

    अडानी विवाद में पीएम मोदी को घेरा

    सोरोस ने कहा, “भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मसले पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों का जवाब देना होगा.” बता दें कि सोरोस पहले भी पीएम मोदी पर निशाना साध चुके हैं. उन्होंने भारत में नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने का विरोध किया था.

    पीएम मोदी पर लगाया यह आरोप

    सोरोस ने पीएम मोदी पर क्रोनी कैपटलिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. सोरोस ने दावा किया कि पीएम मोदी भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “राष्ट्रवाद अब बहुत आगे निकल गया है. इसका सबसे बड़ा और सबसे भयावह झटका भारत को लगा है, क्योंकि वहां लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नरेंद्र मोदी भारत को एक हिन्दू राष्ट्रवादी देश बना रहे हैं.”

    जानिए कौन हैं जॉर्ज सोरोस?

    जॉर्ज सोरोस अमेरिका के मशहूर व्यापारी, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वह ओपन सोसाइटी यूनिवर्सिटी नेटवर्क (OSUN) के अध्यक्ष हैं. इसके अलावा काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स के निदेशक बोर्ड के पूर्व सदस्य हैं. उन्होंने इसके लिए एक अरब डॉलर ( करीब 7100 करोड़ रुपए ) का निवेश करने की बात कही थी. नास्तिक होने का दावा करने वाले जॉर्ज सोरोस खुद को दार्शनिक कहलाना पसंद करते हैं. उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिखी हैं.

    राजनीति में करते हैं काफी हस्तक्षेप

    राजनीति में सोरोस का काफी दखल रहता है. साल 2004 में वह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जॉर्ज डब्ल्यू. बुश को हराने के लिए चंदे में एक बड़ी रकम दी थी. हाल ही में उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह बताया है. उन्होंने कहा, “ये तीनों नेता सत्ता में पकड़ बनाए रखने के लिए तानाशाही की ओर बढ़ने वाले नेता हैं.”

  • मेडिकल चेकअप से गुजरेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जानें क्या है वजह

    मेडिकल चेकअप से गुजरेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जानें क्या है वजह

    Joe Biden To Undergo Medical Checkup: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) गुरुवार (16 फरवरी) को एक नियमित मेडिकल जांच से गुजरेंगे. 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में लड़ने से पहले इसे अहम कदम बताया जा रहा है. व्हाइट हाउस (White House) ने 80 वर्षीय राष्ट्रपति बाइडेन की मेडिकल रिपोर्ट जारी करने का वादा किया है.

    2021 में उनके पिछले मेडिकल चेकअप के दौरान भी रिपोर्ट जारी की गई थी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) संभावित रूप से 2024 के चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का फिर से सामना कर सकते हैं.

    बाइडेन का मेडिकल चेकअप

    अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एक नियमित मेडिकल जांच पूरी करेंगे. बाइडेन सबसे उम्रदराज अमेरिकी राष्ट्रपति हैं. अमेरिका में 2024 में राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर बाइडेन ने पहले कहा था वह खराब पोल रेटिंग के बीच फिर से पद के लिए रेस में शामिल होने का इरादा रखते हैं. बाइडेन ने एक इंटरव्यू में कहा था, “यह मेरा इरादा है, लेकिन मैंने अभी तक दृढ़ता से निर्णय नहीं लिया है.” वहीं, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है.

    2021 में हुआ था मेडिकल चेकअप

    जानकारी के मुताबिक जो बाइडेन के मेडिकल रिपोर्ट की बारीकी से जांच की जाएगी. न्यूज एजेंसी एएफपी ने बताया कि जो बाइडेन का आखिरी चेकअप 19 नवंबर, 2021 को हुआ था. इस दौरान सामान्य एनेस्थीसिया के तहत एक कोलोनोस्कोपी सहित मेडिकल चेकअप किया गया था. मेडिकल चेकअप के दौरान, उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को एक घंटे 25 मिनट के लिए अपनी शक्तियों को स्थानांतरित कर दिया था.

    2021 में डॉक्टर ने क्या कहा था?

    जो बाइडेन के डॉक्टर केविन ओ’कॉनर ने तब कहा था कि वो अपने राष्ट्रपति पद के कर्तव्यों को पूरा करने के लिए फिट हैं. डॉक्टर केविन ने बढ़ती उम्र की वजह से बाइडेन की कुछ बीमारियों की ओर इशारा किया था. हालांकि बताया जाता है कि बाइडेन धूम्रपान नहीं करते हैं, शराब नहीं पीते हैं, अभी भी खेल में रूचि रखते हैं. साल 1988 में ब्रेन की सर्जरी के बाद से उन्हें कोई बड़ी स्वास्थ्य चिंता नहीं है.

    बाइडेन की उम्र का मसला?

    रिपब्लिकन विपक्ष (Republican Opposition) की ओर से जो बाइडेन की उम्र को लेकर हमला किया जाता रहा है. जो बाइडेन के संभावित प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप 76 वर्ष के हैं. वहीं बाइडेन की उम्र करीब 80 साल है. हालांकि बाइडेन ने पहले भी कहा था कि अमेरिकियों को उनके परिणामों को देखना चाहिए, उम्र सिर्फ एक संख्या है.

  • फायरिंग से फिर दहला अमेरिका, टेक्सास में शॉपिंग मॉल में चलीं ताबड़तोड़ गोलियां, एक की मौत

    फायरिंग से फिर दहला अमेरिका, टेक्सास में शॉपिंग मॉल में चलीं ताबड़तोड़ गोलियां, एक की मौत

    America Gun Firing At Shopping Mall: अमेरिका में फिर से फायरिंग की घटना हुई है. टेक्सास के एल पासो शॉपिंग मॉल में बुधवार (15 फरवरी) को ताबड़तोड़ गोलियां चली हैं. फायरिंग (Firing) की घटना में 1 शख्स की मौत हो गई हैं, जबकि तीन लोग जख्मी बताए जा रहे हैं. इस घटना के बाद मॉल की तलाशी ली गई है. पुलिस ने फिलहाल आम लोगों को इस इलाके में आने से बचने की सलाह दी है.

    पुलिस प्रवक्ता रॉबर्ट गोमेज (Robert Gomez ) ने कहा कि हमने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है. मॉल में गोलियां चलने से वहां दहशत फैल गई थी.

    टेक्सास में शॉपिंग मॉल में फायरिंग

    सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने कहा कि टेक्सास के एल पासो में सिएलो विस्टा मॉल में बुधवार शाम को चार लोगों को गोली मार दी गई. वहीं, रॉयटर्स ने पुलिस के हवाले से बताया कि गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए. मॉल की भी तलाशी ली गई है. एल पासो पुलिस ने एक ट्वीट में कहा, “पुलिस साइलो विस्टा मॉल के फूड कोर्ट में चली गोलियों के बाद सक्रिय है. लोग इस इलाके में आने से अभी बचें. कई एजेंसियां ​​घटना को लेकर रिएक्ट कर रही हैं.”

    फायरिंग की घटना के बाद दहशत

    पुलिस प्रवक्ता रॉबर्ट गोमेज ने बताया कि फायरिंग की घटना के बाद स्थिति अराजक हो गई. जैसे ही मॉल में गोलीबारी हुई लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे थे. वहां मौजूद लोग डरे हुए थे. शॉपिंग मॉल में फायरिंग की घटना के बाद घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां इलाज जारी है. 

    फायरिंग के मामले में गिरफ्तारी

    सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक फायरिंग (Firing) की घटना की वजह साफ नहीं हो पाई है. पुलिस ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है. पुलिस ने फायरिंग के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक और संदिग्ध की तलाश की रही है.

  • अमेरिका में फिर चली गोलियां… मिशिगन यूनिवर्सिटी में 2 जगह फायरिंग, 3 लोगों की मौत

    अमेरिका में फिर चली गोलियां… मिशिगन यूनिवर्सिटी में 2 जगह फायरिंग, 3 लोगों की मौत

    US Firing News: अमेरिका में फिर गोलियां चल गईं. यहां मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी कैंपस में एक शख्स ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी. कई लोग उसकी गोलियां का शिकार हुए. गोलीबारी में अब तक 3 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कम से कम 5 लोग घायल हैं. यह हमला छात्रों पर किया गया.

    MSU पुलिस के बयान में कहा गया कि मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी कैंपस में गोलीबारी 2 जगह हुई है. इसमें अब तक 3 लोगों की मौत हो गई है. पुलिस के मुताबिक, जिस शख्स ने गोलियां चलाई, उसकी उम्र लगभग 43 साल थी.

    हमलावर की नहीं हुई अभी पहचान

    पुलिस ने बताया कि जानलेवा फायरिंग कांड में हमलावर ने खुद को भी चोट पहुंचाई, जिससे उसकी भी मौत हो गई है.  बताया जा रहा है कि कैंपस के बाहर संदिग्ध का शव पाया गया है. यानी हमलावर की अभी पहचान नहीं हुई है, इसलिए पुलिस ने उसे संदिग्ध बताया. वहीं, डरावने हालात को देखते हुए छात्रों को कैंपस न आने का आदेश दिया गया है और गोलीबारी में घायल हुए छात्रों को नजदीकी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है.

    क्लासेज 48 घंटे के लिए सस्पेंड

    अमेरिकन मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया कि इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी में सभी एक्टिविटीज और क्लास अगले 48 घंटे के लिए सस्पेंड कर दी गई हैं.

    बता दें कि इससे पहले अमेरिका के फ्लोरिडा में सोमवार दोपहर हुई फायरिंग में 10 लोग घायल हुए थे, वह घटना फ्लोरिडा के लेक लैंड इलाके में हुई. पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार फायरिंग की घटनाएं हुई हैं.

    एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में पिछले साल यानी 2022 में 600 से ज्यादा ग्रुप फायरिंग की घटनाएं दर्ज की गई थीं. अमेरिका में नागरिकों के लिए एक बंदूक रखने का कानून है, जिसके मुताबिक हर कोई बंदूक रख सकता है, इस कानून पर अब सवाल उठ रहे हैं.

  • Ukraine में ‘खूनी’ जंग जारी, युद्ध के 1 साल पूरे होने के मौके पर बाइडेन करेंगे पोलैंड का दौरा

    Ukraine में ‘खूनी’ जंग जारी, युद्ध के 1 साल पूरे होने के मौके पर बाइडेन करेंगे पोलैंड का दौरा

    Russia Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के एक साल पूरे होने वाले हैं. दोनों देशों के बीच युद्ध खत्म होने के फिलहाल कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं. हालांकि, युद्ध में यूक्रेन (Ukraine) को काफी नुकसान हुआ है. इस बीच जंग के 1 साल पूरे होने के मौके पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) पोलैंड (Poland) की यात्रा करेंगे.

    रूस (Russia) और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 को युद्ध शुरू हुआ था. इस जंग में यूक्रेन को काफी अधिक नुकसान हुआ है.

    बाइडेन करेंगे पोलैंड की यात्रा

    राष्ट्रपति जो बाइडेन 20-22 फरवरी तक पोलैंड जाने की योजना बना रहे हैं. व्हाइट हाउस ने कहा कि वह पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा और वहां के दूसरे नेताओं से मिलेंगे. व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन युद्ध में यूक्रेन का समर्थन करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्प और एकता के महत्व के बारे में बात करना चाहते हैं. बाइडेन यूक्रेन के प्रयासों के लिए निरंतर अमेरिकी समर्थन का संदेश देंगे.

    पुतिन करेंगे राष्ट्र को संबोधित

    उधर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 21 फरवरी को राष्ट्र को संबोधित करेंगे. क्रेमलिन ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन में मॉस्को के हमले की पहली बरसी के पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन 21 फरवरी को देश को संबोधित करेंगे. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि 21 फरवरी को रूस केघ के राष्ट्रपति संघीय विधानसभा को संबोधित करेंगे. जिसमें संसद के दोनों चेंबर के सांसद शामिल होंगे.

    यूक्रेन में खूनी जंग जारी

    24 फरवरी को जंग के 1 साल पूरे हो जाएंगे. इस बीच रूस की ओर से लगातार यूक्रेन में हमले किए जा रहे हैं. शुक्रवार (10 फरवरी) को रूस ने बम, मिसाइलों और ड्रोन हमलों के जरिए मकानों और बिजली घरों को निशाना बनाया. यूक्रेन सरकार का कहना है कि रूस ने हवाई हमलों की एक नई लहर शुरू की. रिपोर्ट के मुताबिक रूस की ओर से करीब एक घंटे में ही 17 मिसाइलें दागी गईं. कई घरों को नुकसान पहुंचा है. यूक्रेन ने भी दावा किया है कि उसकी सेना ने रूस के कई मिसाइलों को मार गिराया.

    सैन्य सहयोग की अपील

    यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने जोर देकर कहा कि रूसी एथलीटों को पेरिस में अगले साल के ओलंपिक से रोक दिया जाए. रूस के हालिया हमले से पहले यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्की ब्रिटेन गए थे और वहां से उन्‍होंने फ्रांस का भी दौरा किया. बुधवार को जेलेंस्की ने पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर से भी मुलाकात करते हुए सैन्य सहयोग की अपील की थी.