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Surya Arghya Vidhi: तांबे के लोटे में ये 3 चीजें भूलकर भी न डालें!

सूर्य देव को अर्घ्य देने की सटीक विधि और किस भगवान के लिए कौन सी माला है उपयुक्त, यहां जानें हर जरूरी बात।

The News Air by The News Air
बुधवार, 10 दिसम्बर 2025
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Surya Arghya Vidhi
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Surya Arghya Vidhi: क्या आप जानते हैं कि सूर्य देव को जल अर्पित करते समय हुई एक छोटी सी गलती आपके पुण्य को कम कर सकती है? अक्सर लोग इस असमंजस में रहते हैं कि जल कैसे चढ़ाएं, लोटा कैसा हो या फिर किस भगवान का जाप किस माला पर करें। शास्त्रों में इसके लिए बहुत ही सरल लेकिन सटीक नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है, ताकि आपको पूजा का पूरा फल मिल सके।

सूर्य को अर्घ्य देने की विधि में कोई बहुत बड़ी तकनीकी पेचीदगी नहीं है, लेकिन कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहली बात आती है बर्तन के चुनाव की। यदि आप जल में कोई मीठी चीज जैसे शहद, गुड़ या चीनी नहीं डाल रहे हैं, तो तांबे का लोटा सबसे उपयुक्त है। लेकिन अगर आप इन तीनों में से कोई भी चीज जल में मिला रहे हैं, तो आपको तांबे के बर्तन का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

‘जल में क्या मिलाएं और दिशा का ज्ञान’

तांबे के लोटे में स्वच्छ जल भर लें। इसमें थोड़ा सा चावल और रोली डालें। यदि लाल फूल और दूर्वा (दूर्वांकुर) मिल जाए, तो उसे भी जल में मिला लेना शुभ होता है। अब दिशा का ध्यान रखें। सूर्य जिधर से उदय होते हैं, यानी पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हो जाएं। चाहे बादलों के कारण सूर्य देव दिखाई दे रहे हों या नहीं, आपको मुख उसी दिशा में रखना है।

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‘मंत्र और जल चढ़ाने का सही तरीका’

अब लोटे को अपने माथे की सीध में उठाएं। मंत्र बोलें- ‘ओम ब्रह्म स्वरूपिणे सूर्य नारायणाय नमः’। यह कहते हुए लोटे का एक तिहाई जल गिरा दें और लोटे को सीधा कर लें। फिर दूसरी बार यही मंत्र बोलते हुए जल का दूसरा हिस्सा गिराएं और लोटा सीधा करें। अंत में, तीसरी बार मंत्र बोलते हुए पूरा जल अर्पित कर दें। यही शास्त्रों में बताई गई सही विधि है।

यह समझना बहुत जरूरी है कि आप अर्घ्य पृथ्वी को नहीं, बल्कि सूर्य को दे रहे हैं। लोटे से जल निकलते ही वह सूर्य तक पहुंच जाता है। इसलिए यह चिंता छोड़ दें कि जल जमीन पर कहां गिर रहा है, उसका इतिहास-भूगोल क्या है या पैरों पर छींटे पड़ रहे हैं। इसका कोई मतलब नहीं है।

‘अगर सूर्योदय के 2 घंटे बाद जल चढ़ाएं तो?’

कई बार दिनचर्या के कारण लोग देर से जल चढ़ाते हैं। अगर आप सूर्योदय के दो घंटे बाद जल चढ़ा रहे हैं, तो विधान के अनुसार आपको एक ‘प्रायश्चित तर्क’ भी देना होगा। इसका तरीका यह है कि सबसे पहले बिना मंत्र पढ़े एक बार जल गिरा दें, उसके बाद तीन बार मंत्र के साथ विधिवत जल अर्पित करें। इन नियमों का पालन करने से मन में संतोष रहता है कि पूजा सही विधि से संपन्न हुई।

‘किस भगवान के लिए कौन सी माला?’

पूजा पद्धति में सिर्फ जल चढ़ाना ही नहीं, बल्कि मंत्र जाप के लिए सही माला का चुनाव भी मायने रखता है। अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग मालाओं का विधान है। भगवान विष्णु, मां पीतांबरा बगलामुखी और बृहस्पति ग्रह के मंत्रों का जाप हल्दी की माला पर किया जाता है।

शुक्र ग्रह और मां लक्ष्मी के मंत्रों के लिए स्फटिक की माला उपयुक्त मानी गई है। हनुमान जी और मंगल ग्रह के जाप के लिए मूंगे की माला का प्रयोग होता है। वहीं, भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, राधा रानी, किशोरी जी, सीता माता और भगवान श्री हरि विष्णु के मंत्रों के लिए तुलसी की माला सर्वश्रेष्ठ है। महालक्ष्मी और दुर्गा जी के मंत्रों का जाप कमलगट्टे की माला पर किया जाता है।

‘रुद्राक्ष: सर्वशक्तिमान माला’

इन सबके बीच, एक माला ऐसी है जो सर्वमान्य है—रुद्राक्ष की माला। यह एक ऐसी अद्भुत माला है जिस पर किसी भी देवी-देवता का मंत्र जाप किया जा सकता है और उस पर किए गए सभी जाप फलीभूत होते हैं। इसमें कोई संशय नहीं है। अंत में, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अगर ग्रह अशांत भी हों, तो भी आपके सत्कर्म और सद्विचार उस अशांति को शांति में बदल सकते हैं।

‘मुख्य बातें (Key Points)’
  • सूर्य को जल चढ़ाते समय यदि उसमें शहद, गुड़ या चीनी मिला रहे हैं, तो तांबे के लोटे का प्रयोग न करें।

  • जल चढ़ाते समय ‘ओम ब्रह्म स्वरूपिणे सूर्य नारायणाय नमः’ मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार में जल अर्पित करें।

  • सूर्योदय के 2 घंटे बाद जल चढ़ाने पर पहले एक बार बिना मंत्र के जल गिराकर प्रायश्चित करना चाहिए।

  • रुद्राक्ष की माला पर किसी भी देवी-देवता के मंत्रों का जाप किया जा सकता है, यह सभी जापों के लिए उपयुक्त है।

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