Supreme Court on Delhi Pollution : देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। जहरीली हवा से लोगों का दम घुट रहा है। इस गंभीर मुद्दे पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की और एक अहम टिप्पणी की, जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि प्रदूषण की समस्या अमीर वर्ग पैदा करता है, जबकि इसका सबसे बुरा असर गरीब और मजदूर वर्ग पर पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि वह प्रभावी आदेश जारी करेगा जिन्हें लागू किया जा सके। इस मामले पर अगली सुनवाई 17 दिसंबर, बुधवार को तीन जजों की बेंच के सामने होगी।
‘पैसे वाले समस्या पैदा करते हैं, गरीब प्रभावित होता है’
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अमीर लोग अपनी जीवनशैली, जैसे कारों और एसी का ज्यादा इस्तेमाल, बदलने को तैयार नहीं हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। लेकिन, इसकी कीमत उन गरीबों और मजदूरों को चुकानी पड़ती है जो खुले में काम करते हैं।
CJI ने इसे ‘पर्यावरणीय न्याय’ का मुद्दा बताते हुए कहा कि अमीर वर्ग प्रदूषण फैलाता है और गरीब, जो महंगे एयर प्यूरीफायर या N95 मास्क नहीं खरीद सकते, इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतते हैं।
निर्देशों का पालन नहीं हो रहा: एमिकस क्यूरी
मामले में एमिकस क्यूरी (न्यायमित्र) अपराजिता सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकारें तब तक कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं करतीं, जब तक कि अदालत सख्ती न दिखाए। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि प्रदूषण का स्तर खतरनाक होने के बावजूद कुछ स्कूलों ने अपने खेल कार्यक्रम जारी रखे हुए हैं।
यह दर्शाता है कि प्रोटोकॉल और निर्देश मौजूद हैं, लेकिन जमीन पर उन्हें मजबूती से लागू नहीं किया जा रहा है।
‘लाखों लोगों की आजीविका को नजरअंदाज नहीं कर सकते’
CJI सूर्यकांत ने इस बात को स्वीकार किया कि कुछ निर्देश ऐसे होते हैं जिन्हें जबरदस्ती लागू करना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि हम समस्या को समझते हैं और ऐसे प्रभावी आदेश पारित करेंगे जिनका पालन किया जा सके।
उन्होंने तर्क दिया कि लाखों लोगों की जीवनशैली और आजीविका को नजरअंदाज करके आदेश नहीं दिए जा सकते। उदाहरण के लिए, सभी वाहनों को बंद करना या निर्माण कार्यों को पूरी तरह रोक देना व्यावहारिक समाधान नहीं हो सकता।
प्रभावी आदेश जारी करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की जहरीली हवा पर चिंता जताते हुए प्रदूषण पर दिशा-निर्देश जारी करने के महत्व पर जोर दिया। अदालत की यह टिप्पणी दिल्ली में वायु गुणवत्ता के गंभीर स्तर को देखते हुए आई है।
यह कदम प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त उपायों की जरूरत को दिखाता है और नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब सबकी निगाहें 17 दिसंबर को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण पर चिंता जताई।
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CJI ने कहा- अमीर प्रदूषण फैलाते हैं, गरीब इसका खामियाजा भुगतते हैं।
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एमिकस क्यूरी ने कहा- कोर्ट की सख्ती के बिना निर्देशों का पालन नहीं हो रहा।
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17 दिसंबर को तीन जजों की बेंच मामले की अगली सुनवाई करेगी।






