नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक अनोखे मामले में दूसरी पत्नी को पेंशन देने का फैसला सुनाया है। मामला इसलिए भी खास है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कई बार कह चुका है कि पहली शादी के रहते हुए दूसरी शादी करना गैरकानूनी है।
जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर. महादेवन की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए यह फैसला सुनाया। मामला साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के एक कर्मचारी से जुड़ा है। कर्मचारी की मौत के बाद उसकी दूसरी पत्नी ने पेंशन के लिए अर्जी दी थी, जिसे कंपनी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह शादी गैरकानूनी थी।
महिला ने इसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और लगभग 23 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में कहा कि महिला की ‘पत्नी’ के रूप में स्थिति पर कोई विवाद नहीं है, सिवाय इसके कि उसने उस व्यक्ति से तब शादी की थी जब उसकी पहली पत्नी जीवित थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि तीनों एक साथ रहते थे। कोर्ट ने मामले के तथ्यों को बहुत ही असामान्य बताते हुए अपने स्पेशल पावर का इस्तेमाल करते हुए महिला को राहत दी।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि हम मानते हैं कि जय नारायण महाराज और राधा देवी, 20 अप्रैल 1984 को राम सवारी देवी (पहली पत्नी) की मौत के बाद एक-दूसरे के साथ रहे। एक-दूसरे की देखभाल की। राधा देवी को इस उम्र में ‘पत्नी का दर्जा’ देने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, जो उन्हें पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने का अधिकार देता है। यह उन्हें सम्मान के साथ जीने और आर्थिक रूप से हेल्प में सहयोग करेगा। ऐसी परिस्थितियों में, मामले के विशिष्ट तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और पूर्ण न्याय करने के लिए कोर्ट ने फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और निर्देश देते हैं कि राधा देवी को पेंशन मिलेगी। 1 जनवरी 2010 से आज तक या 31 दिसंबर को या उससे पहले पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जाएगा। उन्हें अपनी मृत्यु तक पारिवारिक पेंशन मिलेगी। जय नारायण महाराज साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड में काम करते थे और 1983 में रिटायर हुए थे। उनकी पहली पत्नी का देहांत 1984 में हुआ था और 2001 में उनका निधन हो गया था। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी दूसरी पत्नी ने पेंशन के लिए आवेदन किया था, जिसे कंपनी ने खारिज कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी महिला को राहत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राधा देवी को पेंशन देने का आदेश दिया है।