Supreme Court Railway Insurance: भारतीय रेलवे में यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और बीमा कवरेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और अहम सवाल खड़ा किया है। कोर्ट ने रेलवे से पूछा है कि आखिर ऐसा क्यों है कि दुर्घटना बीमा का लाभ केवल ऑनलाइन टिकट बुक करने वाले यात्रियों को ही मिलता है, जबकि ऑफलाइन यानी काउंटर से टिकट खरीदने वाले करोड़ों यात्री इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं।
कोर्ट ने पूछा- ‘जान की कीमत में अंतर क्यों?’
जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए रेलवे के इस भेदभावपूर्ण रवैये पर सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “यात्री चाहे ऑनलाइन टिकट ले या ऑफलाइन, दुर्घटना में जान तो दोनों की ही जाएगी। फिर इंश्योरेंस कवरेज में यह भेदभाव क्यों है?”
पीठ ने जोर देकर कहा कि टिकट खरीदने के तरीके से किसी यात्री की जान की कीमत कम या ज्यादा नहीं हो सकती। रेलवे को यह समझाना होगा कि ऑफलाइन टिकट खरीदने वाले लोगों को इस महत्वपूर्ण सुविधा से दूर क्यों रखा गया है।
रेलवे की दलील और कोर्ट का सख्त रुख
सुनवाई के दौरान, रेलवे का पक्ष रख रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) विक्रमजीत बनर्जी ने कोर्ट को जानकारी दी कि वर्तमान में दुर्घटना बीमा कवर केवल ऑनलाइन टिकट बुकिंग करने वाले यात्रियों के लिए ही लागू है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए रेलवे को निर्देश दिया है कि वह इस भेदभाव का कारण बताए। कोर्ट ने रेलवे से 13 जनवरी तक इस सवाल का विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है।
लाखों यात्रियों के लिए उम्मीद की किरण
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाया गया यह सवाल उन लाखों-करोड़ों यात्रियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो आज भी रेलवे काउंटर से ऑफलाइन टिकट खरीदकर सफर करते हैं। अगर कोर्ट का फैसला उनके हक में आता है और ऑफलाइन टिकटों पर भी बीमा लागू होता है, तो यह देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट सिस्टम में एक क्रांतिकारी बदलाव होगा।
दुर्घटना की स्थिति में बीमा कवर मिलने से पीड़ित परिवारों को तुरंत आर्थिक सहायता और घायल होने या मृत्यु की स्थिति में उचित मुआवजा मिल सकेगा।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहे रेलवे सुरक्षा से जुड़े एक केस का हिस्सा है। वरिष्ठ अधिवक्ता शिखिल सूरी ने रेलवे दुर्घटना मुआवजा मामले में सुरक्षा से संबंधित कई सवाल उठाए थे। इसी दौरान बीमा कवरेज में भेदभाव का मुद्दा भी सामने आया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि रेलवे का प्राथमिक फोकस ट्रैक और रेलवे क्रॉसिंग की सुरक्षा पर होना चाहिए। अगर यह व्यवस्था दुरुस्त होगी, तो बाकी समस्याएं अपने आप कम हो जाएंगी।
मुख्य बातें (Key Points)
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सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से पूछा है कि ऑफलाइन टिकट खरीदने वालों को दुर्घटना बीमा क्यों नहीं मिलता।
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कोर्ट ने कहा कि टिकट ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, यात्री की जान की कीमत बराबर है।
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रेलवे को 13 जनवरी तक इस भेदभाव पर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
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अगर कोर्ट ऑफलाइन टिकटों पर भी बीमा लागू करने का आदेश देता है, तो यह करोड़ों यात्रियों के लिए बड़ी राहत होगी।






