Supreme Court Rape Case Judgment ने एक बार फिर से पूरे देश में बहस छेड़ दी है कि अवैध संबंधों के मामलों में किसकी जिम्मेदारी ज्यादा बनती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रेप का आरोप लगाने वाली महिला को ही सख्त लहजे में फटकार लगाई और आरोपी को राहत देते हुए उसकी अग्रिम जमानत बरकरार रखी।
रेप के एक चर्चित मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को हुई सुनवाई में महिला याचिकाकर्ता को ही आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) को बरकरार रखते हुए महिला से सख्त सवाल पूछे और उसके आचरण पर सवाल उठाए। बेंच में शामिल जस्टिस एम.एम. सुंदरेश (Justice M.M. Sundresh) और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह (Justice N. Kotiswar Singh) ने कहा कि महिला खुद शादीशुदा थी और दो बच्चों की मां होने के बावजूद उसने किसी अन्य पुरुष से अवैध संबंध बनाए, जो अपने आप में एक गंभीर मामला है।
महिला की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि आरोपी की अग्रिम जमानत खारिज की जाए। उसका आरोप था कि आरोपी ने शादी का वादा करके उससे संबंध बनाए और बाद में शादी से इनकार कर दिया। इस पर बेंच ने कहा कि आप परिपक्व महिला हैं, आपके बच्चे हैं, और आप अच्छी तरह जानती थीं कि विवाहेतर संबंध (Extramarital Affair) क्या होते हैं। ऐसे में आप खुद ही एक गंभीर गलती की भागीदार बनी हैं।
महिला के वकील ने तर्क दिया कि आरोपी ने कई बार होटल (Hotel) में बुलाया और संबंध बनाए, इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा, “आप बार-बार होटल क्यों गईं?” कोर्ट ने कहा कि यदि आप जानती थीं कि शादी नहीं होने वाली, तो फिर बार-बार मिलना और संबंध बनाना आपकी अपनी मर्जी से हुआ है, जिसे आप बाद में रेप नहीं कह सकतीं।
महिला और आरोपी की बातचीत सोशल मीडिया (Social Media) पर शुरू हुई थी, जिसके बाद दोनों रिलेशनशिप में आ गए। महिला का कहना है कि उसने उस युवक से शादी के लिए अपने पहले पति से तलाक भी ले लिया, लेकिन युवक ने बाद में शादी करने से मना कर दिया। इसके बाद महिला ने पुलिस (Police) में शिकायत दर्ज कराई और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
इससे पहले पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने भी आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए यह टिप्पणी की थी कि तलाक के बाद दोनों के बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने। इसी आधार पर हाई कोर्ट ने बेल दी थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है।