चंडीगढ़, 5 जुलाई (The News Air)
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कांग्रेस सरकार से कहा है कि वह पंजाबियों को सस्ती बिजली चैबीसों घंटे के लिए उपलब्ध कराएं, जैसा कि पूर्ववर्ती शिरोमणी अकाली दल सरकार दिया किया गया था, बजाए कि सभी थर्मल प्लांटों को दिए जाने वाले फिक्सड पावर पेड मुददे का राजनीतिकरण करने के ताकि बिजली कुप्रबंधन को रोका जा सके।
यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी द्वारा फिक्सड बिजली के चार्ज पर राजनीति की जा रही है, हालांकि उन्हे सच्चाई पता थी कि यह चार्ज निजी तथा सरकारी थर्मल प्लांटस तथा जो बिजली राज्य के बाहर से खरीदी गई, उन पर लागू होती है। उन्होने कहा कि जबकि निजी थर्मल प्लांटस के लिए फिक्सड चार्ज 1.50 रूपये प्रति यूनिट था, जबकि बंद होने पर सरकारी थर्मल प्लांटस को 2.35 रूपये का भुगतान किया गया था। ‘ पंजाब ने राज्य बिजली रेगुलेटरी कमिशन के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच सालों के दौरान पंजाब ने सरकारी थर्मल प्लांटों को 7000 करोड़ रूपये का फिक्सड चार्ज का भुगतान किया है।
सुखबीर सिंह बादल ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि पंजाबियों को सस्ती बिजली दी जानी चाहिए, अगर यह तीनों निजी थर्मल प्लांट की कंपनियों के साथ किए गए निजी खरीद समझौतों (पीपीए) को रदद करके यह संभव हो तो इसे रदद किया जाना चाहिए। ‘ कैप्टन अमरिंदर सिंह को सस्ती दरों पर 4500 मेगावाट बिजली की कमी को कवर करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए ताकि इस कदम के कारण पंजाबियों को परेशानी न हो’।
कांग्रेस सरकार निजी थर्मल प्लांटों की स्थापना के मुददे का राजनीतिकरण कर रही है। बादल ने कहा कि 2007 में भारी कमी के बाद काफी सोच विचार के बाद प्लांटों को स्थापित किया गया था। उन्होने कहा कि यह कमी इसी लिए हुई क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राज्य में एक भी मेगावाट बिजली की बढ़ोतरी नही की है, जिससे सब स्टेशन ओवरलोड हो गए तथा रोजाना दस घंटे भारी बिजली की कटौती की गई। उन्होने कहा कि शिरोमणी अकाली दल के नेतृत्व वाली सरकार ने पंजाब को बिजली सरप्लस बनाया था तथा यूपीए सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में कैप्टिव थर्मल प्लांट स्थापित किया था। उन्होने कहा कि पीपीए को 2.86 रूपये से 2.89 रूपये प्रति यूनिट के बीच बिजली खरीदने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे, जोकि उस समय सबसे सस्ता था। ‘ यहां तक कि हाल ही में मध्य प्रदेश ने 4.75 रूपये प्रति यूनिट के लिए पीपीए हस्ताक्षर किए गए हैं, जिससे कि पता चलता है कि शिरोमणी अकाली दल की अगुवाई वाली सरकार ने प्राइवेट कंपनियों से कम रेट तय करवाए थे’।
बादल ने कहा कि तत्कालीन शिरोमणी अकाली दल के नेतृत्व वाली सरकार ने ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशरन नेटवर्क को अपग्रेड करने में 5000 करोड़ रूपये खर्च किए ताकि जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त भार उठाया जा सके। ‘ कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरारन ट्रांसमिशन तथा डिस्ट्रीब्यूशन घाटे को 32 प्रतिशत है, तथा शिरोमणी अकाली दल के कार्यकाल के दौरान यह 14 फीसदी था तथा पीएसपीसीएल को 2015 में यूपीए कार्यकाल के दौरान सर्वश्रेष्ठ बिजली उपयोगिता पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था’।
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि यह उपलब्धियां होने के बजाय, कांग्रेस सरकार कने एक भी मेगा वाट बिजली नही दी, जबकि मांग हर साल 500 मेगावाट बढ़ रही है। ‘ यही कारण है कि 2017 में सरप्लस राज्य से जिसमें 12500 मेगावाट की मांग के बावजूद 13000 मेगावाट की आपूर्ति की गई , जबकि आज मांग 14,500 मेगावाट की है तथा बठिंडा थर्मल प्लांट तथा रोपड़ प्लांट की दो यूनिट बंद किए जाने के बाद 13000 मेगावाट से भी कम बिजली की आपूर्ति की जा रही है’।
बादल ने कहा कि ‘ सिर्फ इतना ही नही’ पीएसपीसीएल और सरकारी विभाग के पास 2200 करोड़ रूपये का बकाया होने के कारण सरकार 5000 करोड़ रूपये देने में विफल रही है। उन्होने कहा कि यही कारण है कि वर्तमान में गर्मी के मौसम में आम आदमी की अनकहे दुख के लिए कोई मरम्मत तथा रखरखाव के लिए कोई पैसा निर्धारित नही किया गया है। उन्होने कहा कि सुधारात्मक उपाय करने के बजाय कांग्रेस सरकार 12 फीसदी बिजली शुल्क कर, दो फीसदी नगर निगम कर, पांच फीसदी बुनियादी ढ़ांचा विकास कर तथा गाय सैस लगारकर उपभोक्ताओं को सजा दे रही है। सरदार बादल ने कहा कि इन सभी को वापिस लेने की आवश्यकता है ताकि पंजाबियों को राहत दी जा सके , जो पहले ही ज्यादा बिजली टैरिफ के कारण पीड़ित हैं तथा 2017 के बाद 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए वादों के बारे में बोलते हुए बादल ने कहा कि पहले आप पंजाब में इस तरह के वादे करने से पहले दिल्ली में 300 यूनिट बिजली मुफत करे। उन्होने कहा कि यह वादा अपने आप में फर्जी है, क्योंकि केजरीवाल ने स्पष्ट रूप से अपनी प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि वादा किए गए 300 यूनिट से एक भी यूनिट ज्यादा होने पर पूरे बिजली बिल का भुगतान करना होगा। बादल ने कहा कि दिल्ली में देश में सबसे ज्यादा बिजली मंहगी है।