नई दिल्ली: डीआरडीओ ने मंगलवार को ओडिशा के तट पर भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमके-आई लड़ाकू विमान से लंबी दूर के ग्लाइड बम ‘गौरव’ का पहला सफल परीक्षण किया है। इसकी जानकारी रक्षा मंत्रालय की तरफ से दी गई। जिसमें बताया गया कि ओडिशा तट से परीक्षण किया गया। गौरव एक हजार किलोग्राम वर्ग का हवा से छोड़ा जाने वाला ग्लाइड बम है जो लंबी दूरी पर लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। इसे हैदराबाद के रिसर्च सेंटर इमारत द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई
उड़ान परीक्षण के दौरान ग्लाइड बम ने लॉन्ग व्हीलर द्वीप पर बनाए गए लक्ष्य को सटीकता से भेद दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षण के लिए DRDO, IAF और उद्योग को बधाई दी। उन्होंने इसे सशस्त्र बलों की क्षमता को और मजबूत करने के लिए स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के देश के प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर बताया।
गेम चेंजर साबित हो सकता है ‘गौरव’
अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर दो अत्याधुनिक ग्लाइड बम विकसित किए हैं – गौरव और गौतम। आज इन्हीं में से एक बम गौरव का सफल परीक्षण किया गया। ये बम हवाई जहाज से छोड़ा जा सकता है और बिना किसी इंजन के लंबी दूरी तक ग्लाइड करते हुए अपने लक्ष्य को भेद सकता है। ‘गौरव’ भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। ये बम न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता को बढ़ाएंगा बल्कि देश की रक्षा क्षमताओं को भी मजबूत करेगा।
4 मीटर का बम करेगा दुश्मनों को खत्म
गौरव बम 1000 किलोग्राम का है और इसकी लंबाई लगभग 4 मीटर है। इस बम में पंख लगे हुए हैं जो इसे ग्लाइड करने में मदद करते हैं। जिसके जरिए ये बम 100 किलोमीटर दूर दुश्मनों के ठिकाने को तबाह करता है। इस बम में पावरफुल नेविगेशन सिस्टम लगा है। जिसकी मदद से इसे कंट्रोल किया जाता है और लक्ष्य को भेदा जा सकता है। इस बम की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसके जरिए दुश्मन के ऐसे लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं जो हवाई जहाज की सीमा से बाहर हैं।