पिछले महीने पेश किए गए बजट में शेयर बाजार के निवेशकों के लिए कुछ नई चुनौतियां सामने आई हैं। बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव के साथ-साथ सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) की दर में वृद्धि का ऐलान किया। हालांकि, लंबे समय से एसटीटी को समाप्त करने की मांग उठाई जा रही थी, लेकिन वित्त मंत्री ने इसे बनाए रखने का कारण स्पष्ट किया है।
एसटीटी को बनाए रखने का कारण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में शेयर बाजार और इससे जुड़े टैक्सेशन पर चर्चा के दौरान एसटीटी को बनाए रखने का कारण स्पष्ट किया। उन्होंने राज्यसभा में कहा कि एसटीटी को बनाए रखने का उद्देश्य राजस्व संग्रह नहीं है, बल्कि बड़े लेन-देन की निगरानी करना और टैक्स बेस को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों को टैक्स के दायरे में लाने में मदद करता है, जो बड़े अमाउंट में निवेश करते हैं।
एसटीटी का इतिहास
सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) को भारत में 2004 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पेश किया गया था। उस समय, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) को समाप्त करते हुए एसटीटी को लागू किया गया था। हालांकि, 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को फिर से लागू कर दिया, जिसके बाद एसटीटी को हटाए जाने की उम्मीद जताई गई थी।
बजट 2024-25 में एसटीटी की दर में वृद्धि
हाल के बजट में, वित्त मंत्री ने एसटीटी की दर को 0.01 फीसदी से बढ़ाकर 0.02 फीसदी करने का ऐलान किया। यह वृद्धि विशेष रूप से डेरिवेटिव सेगमेंट यानी फ्यूचर एंड ऑप्शंस के लिए की गई है। इसका मतलब यह है कि एसटीटी की दर को सीधे दोगुना कर दिया गया है।
निवेशकों की उम्मीदें और सरकार का रुख
2018 के बाद से, हर बजट में शेयर बाजार के निवेशक एसटीटी को समाप्त किए जाने की उम्मीद करते रहे हैं। हालांकि, इस बार सरकार ने एसटीटी की दर को बढ़ाकर निवेशकों को एक नई चुनौती दी है। वित्त मंत्री का स्पष्टीकरण इस बात पर जोर देता है कि एसटीटी को बनाए रखना आवश्यक है, ताकि टैक्सेशन प्रणाली में पारदर्शिता और न्यायसंगतता बनी रहे।
ऐसे सभी बदलावों पर उन लोगों को ख़ास नज़र रखने की ज़रूरत है जो शेयर मार्केट, आदि क्षेत्रों में निवेश करते हैं। 23 जुलाई को संसद में बजट प्रस्तुति के बाद इंडेक्स में ऊँची उछाल वाले शेयर रहे ITC, टाटा कंज्यूमर, डाबर इंडिया और HUL के। इनमें से डाबर इंडिया के शेयरों में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी तेजी देखने को मिली थी। कंपनी के पोर्टफोलियो में डाबर च्यवनप्राश प्रमुख ब्रांड है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुणों के चलते मार्केट में ग्राहकों की पहली पसंद बना हुआ है।