Punjab High Court Action : पंजाब (Punjab) में मॉडिफाई वाहनों (Modified Vehicles) पर कार्रवाई को लेकर जारी आदेशों की अनदेखी अधिकारियों पर भारी पड़ गई है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने मंगलवार को राज्य के डीजीपी (DGP) गौरव यादव, परिवहन सचिव प्रदीप कुमार, राज्य परिवहन आयुक्त मनीष कुमार (IAS) और संगरूर के उपायुक्त जितेंद्र जोरवाल (IAS) के वेतन से दो लाख रुपए की कटौती का आदेश जारी किया है। यह राशि मुख्यमंत्री राहत कोष (CM Relief Fund) में जमा कराई जाएगी।
कोर्ट ने कहा – “अधिकारियों ने आदेशों की जानबूझकर की अवहेलना”
जस्टिस सुदीप्ति शर्मा (Justice Sudeepti Sharma) की एकल पीठ ने यह आदेश शहीद भगत सिंह मिनी ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (Shaheed Bhagat Singh Mini Transport Welfare Association) की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अदालत ने कहा कि यह मामला 20 सितंबर 2023 को दिए गए उस आदेश के उल्लंघन से जुड़ा है, जिसमें कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 (Motor Vehicles Act, 1988) के तहत अवैध रूप से संशोधित वाहनों पर नियमित कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
कोर्ट ने कहा कि इन वरिष्ठ अधिकारियों का रवैया न्यायिक आदेशों के प्रति “लगातार और जानबूझकर की गई अवमानना” को दर्शाता है। इससे पहले भी इन अफसरों पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन वे संतोषजनक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने में विफल रहे।
रिपोर्ट दाखिल न करने पर फटी अदालत की फटकार
अदालत ने कहा कि कई बार मौके देने के बावजूद अधिकारी कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर पाए। यहां तक कि पहले 2 सितंबर 2025 को लगाए गए एक लाख रुपए जुर्माने को भरने की बजाय, अधिकारियों ने आदेश में संशोधन और वापसी के लिए दो आवेदन दाखिल किए, जिन्हें कोर्ट ने “बिना आधार और तथ्य-विरोधी” बताते हुए खारिज कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि ऐसा रवैया न्यायिक प्रक्रिया का अपमान है और इससे प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न उठते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि अब वेतन से ₹50,000 प्रति अधिकारी की राशि काटकर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा की जाएगी।
अवैध मॉडिफाई वाहनों पर सख्त था आदेश
पंजाब में अवैध मॉडिफाई वाहनों, ट्रकों और बसों पर लंबे समय से कार्रवाई नहीं होने को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं। 2023 में हाईकोर्ट ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सभी जिलों को नियमित जांच और कार्रवाई के आदेश दिए थे। लेकिन एक साल बीतने के बावजूद अधिकारियों ने कोई ठोस रिपोर्ट पेश नहीं की। इस लापरवाही को देखते हुए अदालत ने अब सीधा वित्तीय दंड लगाया है।
आगे की सुनवाई 27 नवंबर को
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर 2025 को तय की है। तब तक सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जुर्माना राशि जमा हो और पूरी अनुपालन रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए।
मुख्य बातें (Key Points):
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चार वरिष्ठ अधिकारियों पर ₹2 लाख जुर्माना लगाया।
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आदेशों की अवहेलना पर कोर्ट ने कहा—“जानबूझकर की गई अवमानना”।
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जुर्माना राशि अधिकारियों के वेतन से काटकर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा होगी।
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मामला अवैध मॉडिफाई वाहनों पर कार्रवाई में लापरवाही से जुड़ा है।
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अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।






