Trump Tariff Impact on Stock Market – अमेरिका (America) के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा घोषित टैरिफ नीति को लेकर दुनिया भर के शेयर बाजारों में अफरा-तफरी मच गई है। ट्रंप ने जिस फैसले को अमेरिका की ‘दवा’ (medicine) बताया था, अब वही दवा दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए साइड इफेक्ट बन गई है। सोमवार को भारत (India) समेत प्रमुख वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई, जिससे निवेशकों को ₹19 लाख करोड़ (19 lakh crore rupees) तक का नुकसान उठाना पड़ा।
बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) प्री-ओपनिंग में ही 5% तक लुढ़क गए थे। हालांकि बाद में हल्की रिकवरी देखी गई, फिर भी बाजार 3% से ज्यादा गिरावट के साथ ट्रेड करता रहा। आईटी (IT) और मेटल्स (Metals) सेक्टर सबसे ज्यादा दबाव में दिखे। टाटा स्टील (Tata Steel) 8% और टाटा मोटर्स (Tata Motors) 10% तक गिर गया। एचसीएल टेक (HCL Tech), टेक महिंद्रा (Tech Mahindra), इन्फोसिस (Infosys), टीसीएस (TCS) और रिलायंस (Reliance) जैसे दिग्गज कंपनियों के शेयर भी लाल निशान में रहे।
एशियाई बाजार (Asian Markets) भी मंदी की चपेट में आ गए। हॉन्गकॉन्ग (Hong Kong) का हैंगसेंग (Hang Seng) 11%, जापान (Japan) का निक्केई 225 (Nikkei 225) 7%, शंघाई (Shanghai SSE) 6% और दक्षिण कोरिया (South Korea) का कॉस्पी (KOSPI) 5% तक गिरा। अमेरिका (US) में भी शुक्रवार को S&P 500, NASDAQ Composite और Dow Jones में 5% से ज्यादा की गिरावट आई थी।
विश्लेषकों के अनुसार, निवेशक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि टैरिफ से कीमतें (Prices) बढ़ेंगी, मांग (Demand) कमजोर होगी और वैश्विक स्तर पर मंदी (Recession) का खतरा बढ़ेगा। ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) की कीमत भी 2.74% गिरकर 63.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। विदेशी निवेशकों (FII) ने भी 3,483.98 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले।
जेपी मॉर्गन (JP Morgan) की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिकी जीडीपी (GDP) इस वर्ष 0.3% तक घट सकती है और बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) बढ़ सकती है। भारतीय जीडीपी पर भी आधे प्रतिशत तक का असर संभावित है। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) के अनुसार, यह संकट लंबे समय तक चल सकता है और कंपनियों के लिए अनिश्चितता बना रहेगा।
अब सवाल उठता है कि निवेशक क्या करें? एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन कंपनियों का बिजनेस एक्सपोर्ट पर निर्भर है, उनके शेयरों से दूरी बनाएं। जैसे कि आईटी, मेटल्स, ऑटो और केमिकल सेक्टर। वहीं, जिन सेक्टर्स को कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से फायदा होता है, जैसे कि ऑयल मार्केटिंग, एविएशन और पेंट इंडस्ट्री, वहां जोखिम कम है। यदि बाजार में रिकवरी शुरू होती है तो बैंकिंग और एनबीएफसी (NBFC) सेक्टर तेजी में रह सकते हैं।
इस पूरी परिस्थिति ने दुनियाभर के निवेशकों को चौंका दिया है। ट्रंप की ‘दवा’ अब एक वैश्विक वित्तीय संकट की आहट बन चुकी है, और निवेशकों को अब बेहद सावधानी से कदम उठाने की जरूरत है।