MNREGA Scheme Changes को लेकर संसद में सियासी पारा चढ़ गया है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर ग्रामीण भारत की जीवनरेखा माने जाने वाली मनरेगा योजना को कमजोर करने और उस पर ‘बुलडोजर’ चलाने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मनमाने ढंग से योजना का रूप बदल दिया है।
संसद में अपनी बात रखते हुए सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा और सीधा हमला बोला। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मोदी सरकार ने अभी हाल ही में मनरेगा पर ‘बुलडोजर’ चला दिया है। यह बयान उस वक्त आया है जब संसद में मनरेगा का नाम बदल दिया गया है और अब इस बदलाव को सिर्फ राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतजार है।
भाई और बहनों.. नमस्कार
मुझे आज भी याद है, 20 साल पहले डॉ. मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे, तब संसद में मनरेगा कानून आम राय से पास किया गया था। यह ऐसा क्रांतिकारी कदम था, जिसका फायदा करोड़ों ग्रामीण परिवारों को मिला था। खासतौर पर वंचित, शोषित, गरीब और अतिगरीब लोगों के लिए… pic.twitter.com/mjH4CfYRVe
— Congress (@INCIndia) December 20, 2025
‘महात्मा गांधी का नाम हटाया’
सोनिया गांधी ने सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बहुत अफसोस की बात है कि न सिर्फ इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया गया है, बल्कि इसका पूरा रूप और स्वरूप ही बदल दिया गया है। उनका आरोप है कि यह सब कुछ पूरी तरह से मनमाने ढंग से किया गया है।
सरकार ने इतने बड़े बदलाव से पहले किसी से कोई विचार-विमर्श नहीं किया। सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा कि बिना किसी से सलाह-मशविरा किए और बिना विपक्ष को विश्वास में लिए यह कदम उठाया गया है।
‘गरीबों के हितों की अनदेखी’
केंद्र सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगारों, गरीबों और वंचितों के हितों को पूरी तरह नजरअंदाज किया है और मनरेगा को कमजोर करने की हर संभव कोशिश की है।
इस योजना का महत्व बताते हुए उन्होंने याद दिलाया कि कोरोना (कोविड) महामारी के मुश्किल वक्त में यही मनरेगा योजना गरीब वर्ग के लिए ‘संजीवनी’ साबित हुई थी, लेकिन अब सरकार इसी पर प्रहार कर रही है।
विश्लेषण: ‘बुलडोजर’ शब्द के सियासी मायने
सोनिया गांधी द्वारा संसद में ‘बुलडोजर’ शब्द का इस्तेमाल करना केवल एक राजनीतिक कटाक्ष नहीं, बल्कि सरकार की कार्यशैली पर एक बड़ा और तीखा हमला है। इस रूपक के जरिए उन्होंने यह दर्शाने की कोशिश की है कि सरकार संसदीय प्रक्रियाओं और संवाद को दरकिनार कर, एकतरफा और विध्वंसक तरीके से फैसले ले रही है। एक ऐसी योजना जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और जिसने कोविड जैसे संकट काल में करोड़ों लोगों को सहारा दिया, उसके ढांचे में बिना विपक्ष या हितधारकों से चर्चा किए बुनियादी बदलाव करना, जमीनी स्तर पर गरीब जनता के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर सकता है।
क्या है पृष्ठभूमि
यह पूरा सियासी विवाद तब खड़ा हुआ है जब संसद के भीतर मनरेगा योजना का नाम बदलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। फिलहाल यह बदलाव अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतजार कर रहा है, जिस पर सोनिया गांधी ने संसद में अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है।
मुख्य बातें (Key Points)
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सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ने मनरेगा योजना पर ‘बुलडोजर’ चला दिया है।
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उन्होंने कहा कि योजना से महात्मा गांधी का नाम हटा दिया गया है और इसका स्वरूप बदल दिया गया है।
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सरकार पर बिना विपक्ष से सलाह-मशविरा किए मनमाने ढंग से बदलाव करने का आरोप लगा।
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सोनिया गांधी ने कहा कि कोविड के समय जो योजना ‘संजीवनी’ थी, सरकार उसे कमजोर कर रही है।






