Smartphone Price Hike India: अगर आप नया स्मार्टफोन खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो यह खबर आपको थोड़ा परेशान कर सकती है। भारत में सैमसंग (Samsung), विवो (Vivo), रियलमी (Realme), आईकू (iQOO), ओप्पो (OPPO) और रेडमी (Redmi) जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने फोन्स के दाम चुपके से बढ़ा दिए हैं। अब आपको पुराने फीचर्स वाले फोन के लिए भी पहले से ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। इसकी सबसे बड़ी वजह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूख है, जो बाजार से ‘रैम’ (RAM) को निगले जा रही है।
16GB वाला फोन हो जाएगा सपना?
बाजार के हालात ऐसे बन रहे हैं कि आने वाले साल में 16GB रैम वाले स्मार्टफोन शायद आपको देखने को भी न मिलें। इतना ही नहीं, यह भी आशंका है कि 4GB रैम वाले फोन फिर से मार्केट में लौट आएंगे, लेकिन उनके दाम 6GB या 8GB रैम वाले फोन के बराबर होंगे।
यह महंगाई सिर्फ हवा में नहीं है, बल्कि आंकड़ों में भी दिख रही है। ऑनलाइन मार्केट में मेमोरी कार्ड के दामों में आग लगी हुई है। अमेज़न पर जो 128GB का सैनडिस्क कार्ड पहले सस्ता मिलता था, वह अब 1599 रुपये का हो गया है, जबकि सैमसंग का कार्ड 1909 रुपये तक पहुंच गया है। पिछले कुछ महीनों में मेमोरी की कीमतों में 5 गुना तक की बढ़ोतरी हुई है।
AI है असली विलेन
अब सवाल उठता है कि आखिर रैम (RAM) इतनी महंगी क्यों हो रही है? क्या इसका उत्पादन कम हो गया है? जवाब है- नहीं। उत्पादन कम नहीं हुआ है, बल्कि इसकी खपत कई गुना बढ़ गई है। रैम को ‘सुरसा’ की तरह निगलने वाली चीज का नाम है- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)।
पिछले 18 महीनों में रैम की डिमांड तीन गुना बढ़ गई है। एआई का पूरा खेल ही मेमोरी पर टिका है। चाहे वह चैटजीपीटी (ChatGPT) हो या कोई लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM), उन्हें सीखने और काम करने के लिए अरबों डेटा पॉइंट्स को याद रखना पड़ता है, जिसके लिए भारी-भरकम रैम की जरूरत होती है।
कंपनियों का खेल और हमारी जेब पर असर
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 512GB मेमोरी के दाम में 65% की बढ़ोतरी हुई है। अकेले सैमसंग ने मोबाइल चिप के दाम 60% तक बढ़ा दिए हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, ओपन एआई और मेटा जैसी कंपनियां बड़े-बड़े डेटा सेंटर बना रही हैं, जहां सुपर कंप्यूटरों के लिए सारी रैम इस्तेमाल हो रही है। उदाहरण के लिए, गूगल भारत में 88,000 करोड़ रुपये से नया डेटा सेंटर बना रही है।
इस डिमांड को पूरा करने में कंपनियां असमर्थ हो रही हैं। ऊपर से रैम बनाने वाली बड़ी कंपनी ‘माइक्रोन’ ने अपना धंधा समेट लिया है, जिससे संकट और गहरा गया है। इसका सीधा असर यह है कि सैमसंग अपनी A-सीरीज और विवो अपनी T-सीरीज के जरिए दामों में बढ़ोतरी की शुरुआत करेंगी।
आम आदमी पर असर
इस खबर का आम आदमी पर सीधा असर यह है कि अब सस्ता और अच्छा फोन खरीदना मुश्किल होगा। आपको कम रैम और स्टोरेज के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। अगर आपको फोन खरीदना है, तो यही सही समय है, वरना बाद में पछताना पड़ सकता है। ट्रांसक्रिप्ट के अनुसार, ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर तो iPhone 17 भी आउट ऑफ स्टॉक बताया जा रहा है।
जानें पूरा मामला (RAM की कहानी)
रैम (RAM) डिवाइस का वह हिस्सा है जो चीजों को याद रखता है, ठीक हमारे दिमाग की तरह। प्रोसेसर दिल है तो रैम याददाश्त। जीरो से 1 सेकंड के बीच डेटा ट्रांसफर की स्पीड जितनी ज्यादा होगी, रैम उतनी तगड़ी होगी। आज के दौर में DDR4 और LPDDR5 रैम का चलन है, लेकिन एआई की वजह से इनकी किल्लत हो गई है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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महंगाई: 6 बड़ी स्मार्टफोन कंपनियों ने दाम बढ़ाए हैं।
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रैम संकट: 16GB रैम वाले फोन गायब हो सकते हैं, 4GB वाले महंगे होंगे।
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वजह: AI और डेटा सेंटर्स द्वारा रैम की भारी खपत के कारण कीमतें 65% तक बढ़ीं।
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चेतावनी: सैमसंग A-सीरीज और विवो T-सीरीज के फोन सबसे पहले महंगे होंगे।
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सलाह: फोन खरीदना है तो अभी खरीद लें, स्टॉक खत्म हो रहे हैं।






