चंडीगढ़ (Chandigarh), 24 जनवरी (The News Air): संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति फ्रेमवर्क (NPFAM) को खारिज करते हुए इसे तीन काले कृषि कानूनों का नया संस्करण बताया है। SKM ने इसे सरकारी मंडियों (APMCs) और किसानों के हितों पर सीधा हमला करार दिया।
एच.एस. सुरजीत भवन (H.S. Surjeet Bhavan) में हुई SKM की महासभा (General Body Meeting) में 12 राज्यों के 73 किसान संगठनों के 165 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि इस नीति के खिलाफ देशभर में आंदोलन छेड़ा जाएगा। SKM ने 10 फरवरी 2025 को सांसद कार्यालयों के बाहर धरना देने और जरूरत पड़ने पर ‘ग्रामीण भारत हड़ताल’ करने का ऐलान किया है।
NPFAM: मंडियों पर हमला या सुधार?
किसान नेताओं का कहना है कि NPFAM का उद्देश्य सरकारी मंडियों (APMCs) का निजीकरण करना और बहुराष्ट्रीय कंपनियों व कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाना है।
SKM ने इसे डब्ल्यूटीओ (WTO) और विश्व बैंक (World Bank) की सिफारिशों के तहत बनाई गई किसान विरोधी नीति करार दिया। नीति में सरकारी खरीद, MSP (Minimum Support Price) की कानूनी गारंटी और PDS (Public Distribution System) जैसे प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया है।
क्या है SKM की आपत्ति?
- सरकारी मंडियों का निजीकरण: नीति के तहत मंडियों को कमजोर किया जाएगा और ई-नाम (e-NAM) और एफपीओ (FPO) के माध्यम से निजी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा।
- ठेका खेती का खतरा: किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (Contract Farming) की शर्तों में फंस जाएंगे।
- MSP की गैर-मौजूदगी: नीति में C2+50% के फॉर्मूले पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी का कोई जिक्र नहीं है।
- किसानों के अधिकारों का हनन: यह नीति किसानों को उनके अधिकारों और समर्थन से वंचित करने की साजिश है।
SKM का आंदोलन: क्या होगा आगे?
SKM ने देशव्यापी आंदोलन का खाका तैयार किया है:
10 फरवरी को सांसद कार्यालयों पर धरना:
किसानों की मांगों और NPFAM के विरोध में सांसदों को इस नीति के दुष्प्रभाव बताए जाएंगे।पक्के मोर्चे और जन जागरण अभियान:
राज्यों के जिला स्तर पर पक्के मोर्चे लगाए जाएंगे। SKM राज्य विधानसभाओं से इस नीति को खारिज करने का प्रस्ताव पारित कराने की मांग करेगा।महापंचायत और सम्मेलन:
किसानों को इस नीति के खतरों से जागरूक करने के लिए महापंचायत और जन सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।ग्रामीण भारत हड़ताल:
अगर सरकार ने किसानों की मांगों को नजरअंदाज किया, तो SKM ग्रामीण भारत हड़ताल का ऐलान करेगा।
MSP की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी की मांग
SKM ने सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं:
- MSP की कानूनी गारंटी: सभी फसलों पर C2+50% के फॉर्मूले पर MSP तय किया जाए।
- कर्ज माफी: सभी किसानों और कृषि श्रमिकों के कर्ज माफ किए जाएं।
- 9 दिसंबर 2021 की लंबित मांगें: किसान आंदोलन के दौरान किए गए वादों को पूरा किया जाए।
NPFAM: तीन काले कानूनों की वापसी?
किसान नेताओं ने दावा किया कि NPFAM, केंद्र सरकार के पहले लाए गए तीन कृषि कानूनों का ही नया रूप है। SKM ने इसे पिछले दरवाजे से किसानों पर थोपने का प्रयास बताया।
SKM का बयान: “यह नीति मंडियों और किसानों पर हमला है। सरकार को इसे तुरंत रद्द करना चाहिए।”
संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन केंद्र सरकार के लिए एक और बड़ी चुनौती बन सकता है। किसानों की मांगें और NPFAM के प्रति उनके विरोध से साफ है कि यह विवाद आने वाले दिनों में और गहरा सकता है।
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