Sivagiri Pilgrimage 2025 – भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन (C.P. Radhakrishnan) ने सोमवार, 30 दिसंबर 2025 को केरल की आध्यात्मिक नगरी वर्कला में एक भव्य समारोह के दौरान 93वीं शिवगिरि तीर्थयात्रा (Sivagiri Pilgrimage) का शुभारंभ किया। शिवगिरि मठ में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल एक धार्मिक रस्म या तीर्थयात्रा नहीं है, बल्कि यह श्री नारायण गुरु द्वारा दिखाई गई सामाजिक जागृति, आत्मसम्मान और मानवता की एक ऐसी यात्रा है जो जीने का सही तरीका सिखाती है।
Vice-President of India, Shri C. P. Radhakrishnan, offered prayers and paid reverential homage at the sacred Samadhi of Sree Narayana Guru at Sivagiri Mutt in Varkala, Kerala. pic.twitter.com/Go3fGVWdNF
— Vice-President of India (@VPIndia) December 30, 2025
‘एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर’ का मंत्र
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में समाज सुधारक श्री नारायण गुरु के उस क्रांतिकारी विचार को याद किया जिसने सदियों पुरानी सामाजिक बेड़ियों को तोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि गुरु ने समाज से एक तीखा सवाल पूछा था—”एक मनुष्य को दूसरे से कमतर क्यों समझा जाना चाहिए?” इस अन्याय के जवाब में उन्होंने दुनिया को “मानवता के लिए एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर” का मूल मंत्र दिया। राधाकृष्णन ने जोर देकर कहा कि गुरु की यह क्रांति शांत और करुणामय थी, लेकिन इसका असर इतना गहरा था कि इसने भेदभाव की जड़ों को हिलाकर रख दिया।
आस्था और तर्क का अनूठा संगम
आज के दौर में जहां अक्सर आस्था और विज्ञान को अलग-अलग देखा जाता है, उपराष्ट्रपति ने शिवगिरि को इसका अपवाद बताया। उन्होंने कहा कि श्री नारायण गुरु ने तर्क का त्याग किए बिना आस्था को कायम रखा। उन्होंने अंधविश्वास को नकारा और विवेकपूर्ण जिज्ञासा का स्वागत किया। शिवगिरि तीर्थयात्रा को गुरु ने केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे शिक्षा, स्वच्छता, संगठन और परिश्रम के जरिए समाज को जगाने का माध्यम बनाया।
केरल की दुनिया को देन
उपराष्ट्रपति ने केरल की महानता का जिक्र करते हुए कहा कि इस धरती ने दुनिया को आदि शंकराचार्य और श्री नारायण गुरु जैसे महान दार्शनिक दिए हैं। भारतीय आध्यात्मिकता में प्रेम ही पूजा का सर्वोच्च रूप है, और नारायण गुरु ने इसे अपने कर्मों से सिद्ध किया। उन्होंने दिखाया कि कर्मकांड से बेहतर समाज सेवा है और साथी मनुष्यों से प्रेम करना ही असली ईश्वर भक्ति है।
विश्लेषण: परंपरा और आधुनिकता का सेतु (Expert Analysis)
उपराष्ट्रपति का यह संबोधन ऐसे समय में बहुत महत्वपूर्ण है जब समाज में धार्मिक और सामाजिक विभाजन की चुनौतियां मौजूद हैं। शिवगिरि तीर्थयात्रा को ‘परिवर्तन की यात्रा’ बताकर उन्होंने युवाओं को यह संदेश दिया है कि असली धर्म वह है जो आपको बेहतर इंसान बनाए। श्री नारायण गुरु का दर्शन आज के ‘न्यू इंडिया’ के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है, जहां सरकार ‘प्रसाद योजना’ और ‘वंदे भारत’ के जरिए तीर्थस्थलों को आधुनिक बना रही है। यह आयोजन आस्था के साथ-साथ ‘संवैधानिक मूल्यों’—समानता, बंधुत्व और न्याय—को भी मजबूत करता है।
आम लोगों पर असर (Human Impact)
हजारों श्रद्धालु जो हर साल पीला वस्त्र धारण कर शिवगिरि आते हैं, उनके लिए यह संदेश नई ऊर्जा लेकर आया है। जब देश का उपराष्ट्रपति कहता है कि “तीर्थयात्रा पर्यटन नहीं, परिवर्तन है”, तो यह आम आदमी को अपनी धार्मिक यात्राओं को एक नए और सकारात्मक नजरिए से देखने के लिए प्रेरित करता है। यह युवाओं को अंधविश्वास से दूर होकर तर्क और शिक्षा की ओर बढ़ने का हौसला देता है।
पुस्तक विमोचन और गणमान्य अतिथि
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने सांसद शशि थरूर द्वारा लिखित पुस्तक “द सेज हू रीइमैजिन्ड हिंदूइज्म” सहित चार पुस्तकों का विमोचन किया। कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी और जोहो (Zoho) के सीईओ श्रीधर वेम्बू जैसे दिग्गज भी मौजूद रहे।
जानें पूरा मामला (Background)
शिवगिरि मठ, केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के वर्कला में स्थित है। इसकी स्थापना महान समाज सुधारक श्री नारायण गुरु ने की थी। हर साल यहां आयोजित होने वाली तीर्थयात्रा का उद्देश्य गुरु के आदर्शों का प्रचार करना है। यह तीर्थयात्रा शिक्षा, सफाई, ईश्वर भक्ति, संगठन, कृषि, व्यापार, हस्तशिल्प और तकनीकी प्रशिक्षण जैसे आठ लक्ष्यों पर केंद्रित होती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Vice President C.P. Radhakrishnan ने 93वीं शिवगिरि तीर्थयात्रा का उद्घाटन किया।
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यह आयोजन 30 दिसंबर 2025 को केरल के Sivagiri Mutt, Varkala में हुआ।
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उपराष्ट्रपति ने Sri Narayana Guru के ‘एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर’ के संदेश को दोहराया।
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उन्होंने कहा कि गुरु ने Faith and Logic (आस्था और तर्क) का अद्भुत संतुलन बनाया।
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इस मौके पर Shashi Tharoor सहित कई लेखकों की पुस्तकों का विमोचन किया गया।






