Silver Price vs Rupee Fall का यह दौर आपकी जेब पर दोतरफा मार करने वाला है। एक तरफ चांदी के दाम रॉकेट की रफ्तार से बढ़कर नए रिकॉर्ड बना रहे हैं, तो दूसरी तरफ भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर यानी ‘पाताल लोक’ में पहुंच गया है। यह सिर्फ अर्थशास्त्रियों का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका सीधा ताल्लुक आपकी रोजमर्रा की जिंदगी, आपकी रसोई के बजट और आपकी भविष्य की योजनाओं से है।
आज (3 दिसंबर) चांदी की कीमतें ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई हैं। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के मुताबिक, एक किलो चांदी का भाव करीब 1 लाख 79 हजार रुपये हो गया है। सिर्फ पिछले 10 दिनों की बात करें तो 24 नवंबर को जो चांदी 1 लाख 53 हजार रुपये किलो थी, वह आज 26 हजार रुपये महंगी हो चुकी है।
क्या 2 लाख के पार जाएगी चांदी?
चांदी की यह ऐतिहासिक तेजी बाजार के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स को भी हैरान कर रही है। पिछले एक साल में चांदी ने 108% का जबरदस्त रिटर्न दिया है। दिसंबर 2023 में 86,000 रुपये किलो बिकने वाली चांदी आज दोगुनी से भी ज्यादा कीमत पर है। अब सवाल यह है कि क्या इसकी रफ्तार पर ब्रेक लगेगा या यह 2 लाख का आंकड़ा भी पार कर जाएगी? एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि 2026 के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत 58 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर 80 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है। इसकी बड़ी वजह ईवी सेक्टर, इंडस्ट्री और मैन्युफैक्चरिंग में चांदी की बढ़ती मांग है।
रुपये की ‘पाताल लोक’ यात्रा जारी
दूसरी तरफ, रुपये की हालत खस्ता है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 90.05 पर पहुंच गया। साल 2025 में अब तक रुपया 5.16% कमजोर हो चुका है। रुपये की इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं—विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना, भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर सस्पेंस और ट्रंप का टैरिफ वाला ‘टॉर्चर’।
आपकी जेब पर कैसे पड़ेगा असर?
रुपये के कमजोर होने का मतलब है महंगाई का बढ़ना। भारत अपनी जरूरत का करीब 80% कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है, जिसका भुगतान डॉलर में होता है। रुपया कमजोर होने से तेल का आयात महंगा होगा, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसका सीधा असर माल ढुलाई पर पड़ेगा और सब्जियां, फल और अन्य जरूरी सामान महंगे हो जाएंगे। इसके अलावा, विदेश यात्रा, विदेशी पढ़ाई और आयातित सामान भी आपकी जेब पर भारी पड़ेंगे।
जानें पूरा मामला
अमेरिकी कारोबारी जेपी मॉर्गन ने कभी कहा था, “गोल्ड इज मनी, एवरीथिंग एल्स इज क्रेडिट।” लेकिन आज के दौर में चांदी भी ‘असली पैसा’ साबित हो रही है। निवेशकों के बीच सोने और चांदी में से किसे चुनें, इसे लेकर कन्फ्यूजन है। वहीं, रुपये की गिरावट ने भारतीय अर्थव्यवस्था और आम आदमी के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं। रिजर्व बैंक की कोशिशें और जीडीपी के अच्छे आंकड़े भी रुपये को संभाल नहीं पा रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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चांदी की कीमतें 1 लाख 79 हजार रुपये प्रति किलो के ऑल टाइम हाई पर पहुंचीं।
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पिछले एक साल में चांदी ने 108% का रिटर्न दिया है, 2 लाख के पार जाने का अनुमान।
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डॉलर के मुकाबले रुपया 90.05 के अपने सबसे निचले स्तर पर गिरा।
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रुपये की कमजोरी से पेट्रोल-डीजल, विदेश यात्रा और पढ़ाई महंगी होने का खतरा।






