एक और दिल्ली सीमा से शहीद किसानों की लाशें गावों की ओर आने से रुकने का नाम नहीं ले रही, हर गांव में शहीद किसानों के दर्द का मातम कराह बन चित्कार रहा है आँसू रुक नहीं रहे गम कम नहीं हो रहे लड़ाई अभी जारी है। इसी बीच सोनिया दरबार से कुर्सी पर प्रधानी का नाम लिखवा जीत के जश्न में डूबे सिद्धू पंजाब की जमीन पर ता ता थैया करने ढोल नगाड़ों के साथ घूम घूम कर खुशियां मना रहे हैं। आँसुओं में डूबे पंजाब में नाचता सिद्धू का कारवां और सिद्धू की तान पर नाचती कांग्रेस क्या संदेश पंजाब को देना चाहती है? कि भूल जाओ सब रंजो गम अश्क शहादत खुशियां मनाओ, सिद्धू के साथी नाच नाच कर पंजाब को क्यों जला रहे हैं? जो लौटकर अब कभी घर नहीं आएंगे ये सिद्धू के ढोल नगाड़े उन किसानों का अपमान नहीं कर रहे क्या? गम के इस बेदर्द मौसम और हक के लिए डटे किसानों की जिद के बीच कुर्सी कब्जा क्या सिद्धू इतने मदहोश हो गए कि खुद को नाचने से ही नहीं रोक पा रहे? ढोल की थाप यह भांगड़ा किसानों की कुर्बानी को दबा पाएगा क्या? शहादत के बीच आए पंजाब में नए प्रधान की नृत्य शैली किसानों के जख्म पर नमक सरीका नहीं है तो क्या है?
नाचो खूब नाचो, ठोको ताली ठोको पर ख्याल रहे ये पंजाब है जख्म का बदला जख्म से लौटाता है। याद रखना क्या जवाब दोगे कल के बने प्रधान जी उन माताओं को जिनका लाल सरहद पर शहीद हो सदा सदा के लिए सो गया? क्या जवाब दोगे उन सुहागिनों को जिनका सिंदूर सिंघु बॉर्डर पर बह गया? पूछेगी तो बहन भी जिसका भाई हंसता खेलता गया था और सफेद चादर में लिपट कर कभी न आने के लिए लौट आया है। इस दर्द के आलम में आपका दिल इतना खुश कैसे हो गया? कि पांव जमीं पर ही नहीं पड़ रहे हैं। माना आपने कैप्टन को चित कर मनचाही कुर्सी पर कब्जा कर लिया है, पर यह आपकी जीत हो सकती है पर आपने अपने नाचने ढोल बजाने का मंच शहीद-ए-आजम के गांव में सजा लिया मातम के माहौल यह ढोल का ना यह शहीद-ए-आजम को रास आया होगा न किसानों को आपका भांगड़ा शुभ आ रहा होगा प्रधान बनकर उम्मीद थी आप जिम्मेदार होंगे आप सब नाचने लगे आपका नृत्य आपकी प्रशंसा आपकी जंग जीत जश्न से लबरेज दौरा आपके हित में हो सकता है क्या यह ढोल की थाप चाहिए नाच कांग्रेस के हित में भी होगा प्रधान जी सोचना जरूर क्योंकि जवाब आपको ही देना है आपने ही पूछा था कांग्रेस मुन्नी से ज्यादा बदनाम क्यों है? आपने कई ट्विटर बम किसानों के हक में कैप्टन पर ताबड़ तोड़ दाग बार बार सवालों के बौछार किए, आपने बड़े शान से अपने घर की मुंडेर पर काला रंग का झंडा फैला शोक में डूबे पंजाब का संकेत भी दिया था, वो शोक का संदेश, वो सवालों पर सवाल, कैप्टन के खिलाफ बवाल सारा तमाशा बातों का बतासा बन घुल गया। क्या यह शोर जोर बस कुर्सी पाने का खेल भर था? आपको नाचता नचाता घूमता झूमता देख पंजाब पूछेगा जरूर। आपके कदम तो गुरु साहिबान के दर पर भी थिरके घूमो खूब झूम झूम कर घूमो पर सीखो भी उस पुण्य, पवित्र, पावन दर से जहाँ का जर्रा जर्रा कुर्बानियों से अटा पड़ा है।
पंजाब का किसान सीमा पर खुद को झोंक रहा है और सौ साल पुरानी कांग्रेस का नया नया बना प्रधान ढोल की थाप पर नाचता नचाता घूम रहा है। याद रखना यह वीर भूमि धरती पुत्रों की सरजमीं है किसी टीवी शो का अड्डा नहीं जहां बात बात पर ठोको ताली बोल बच निकलोगे, पंजाब में ऐसा नहीं होगा। यहां बात बात पर घेरे जाओगे, सवाल पूछे जाएंगे जवाब से आप बच नहीं पाओगे। आपकी बेहतरीन नृत्य शैली सवालों की बौछार से आपको बचा नहीं पाएगी। आपको याद रखना ही होगा आप पर नजर पंजाब की ही नहीं दिल्ली दरबार की भी है और महाराजा की भी साथ ही विरोधी दलों की भी। आपको खुश होने का पूरा हक है पर अश्कों में डूबे, सरहद पर शहीद होते किसानों को आपका मनमोहक नृत्य क्या संदेश देगा इसका जवाब सोच कर रखना, ढूंढकर रखना, पंजाब पूछेगा जरूर।