कांग्रेस पंजाब प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने स्वयं ही बड़े रोचक अंदाज में यह घोषणा कर दी है कि वो सरे बाजार खडे सरेआम बोल रहे है, पर बोली किसकी लगा रहे हैं यह पूरा पंजाब सन्न हो सुन रहा है । शब्दों की सरहद पार कर व्याख्यानमाला में सराबोर हो जाना सिद्धू की एक मात्र सिद्धि है। बातों के रसिया नए नवेले प्रधान जी बतरस में इतना डूब जाते हैं कि मान ही नहीं रहता कि उपमा, अलंकार, छंद, दोहे, शेर ,कहावत, मुहावरे बोलने के चक्कर में अर्थ का अनर्थ कर,गुड का गोबर बना रहे है। उनका ही फैलाया बातबाजी का रायता लोग अब उन्हें लौटा लोटा कर घेर रहे हैं।
शब्द सदैव जिंदा रहते हैं यही वजह है कि कभी आसाराम के दरबार में,तो कभी नरेंद्र भाई मोदी की आराधना में, तो कभी सोनिया गांधी की स्तुति में दी गई उनकी प्रस्तुति के दोहे जिसमें नाम बदल बदल कर उन्होंने अवसर और सुविधानुसार आसाराम, नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, के सामने महीमांडन के लिए परोस तालियां बटोरी आज वही चार लाइन इधर-उधर से बटोर बटोर लोग पूरे पंजाब में एक दूसरे के मोबाइल में धड़ल्ले से पहुंचा रहे है । आपके मोबाइल तक यदि अभी नही पहुंचा तो भी घबराने की बात नहीं यह सिद्ध याचना मंत्र आपने बहुत बार सुना ही होगा, याद नहीं आ रहा है तो लो हाज़िर है सिद्धू की जुबानी कमान का सबसे नायाब तीर जो तुक्का बन पूरे पंजाब में धक्का खा रहा है।
“आकाश की कोई सीमा नहीं, पृथ्वी का कोई तोल नहीं।
साधु की कोई जात नहीं, आसाराम, नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी और पारस का कोई मोल नहीं”।।
यही चार सिद्धू जी की सर्वप्रिय,सर्वोत्तम, असरदार,महिमाभाव से भरी पंक्तियां है।
सिद्धू की यादगार शब्दावली की चार सुनहरी लकीरें उनके शानदार शब्दो के बाग की बहार हैं । जब जब मंच, दिल,दल, नेता सिद्धू के बदलते गए नए-नए आराध्य के सम्मुख नतमस्तक होते रहे तब तब इन्ही अपनी शब्दो की पूंजी का हार इन चार पंक्तियों को चरणो में वार उनका नाम शान से जोड़ते और पुराने वाले नेता जी का नाम बड़े ही करीने से हटाते मंच दर मच दल दर दल बदलते बोलते बढ़ते रहे। शब्दो के प्रति दृढ़ता,बात का वजन ही किसी नेता की ईमानदारी का सबसे बड़ा परिचायक है,किंतु यह बात इन बदलते नाम के कसीदे में जो गढ़े गए,उससे पंजाब कांग्रेस के नव प्रधान पूरे पंजाब के जनमंच में प्रश्नवाचक दृष्टि से देखे जा रहे हैं। सवाल पूछ रहे है की किसका मोल नही आशाराम का नरेंद्र मोदी या सोनिया गांधी का सिद्धू ने सच किसके लिए बोला या सब को एक ही तराजू से तोला।
दिल्ली दरबार से प्रधान की कुर्सी पर सवार हो ताजपोशी के जश्न में अहंकार के रथ पर सवार सिद्धु ने किसान विरोधी बयान से जगह-जगह अपमानित होने वाले नए प्रधान जी लच्छेदार बोलने के चक्कर में बेहद दागदार बोल दिया। बोलने की बीमारी से ग्रसित साहब ने बिना बात ही किसान आंदोलन से जुड़े किसानों से बैर मोल ले लिया। किसानों के प्यासा और खुद को सिद्धू बड़े शान से कुआ बोल अलंकृत किया। कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं से सजे मंच मुख्यमंत्री कैप्टन की मौजूदगी और खचा खच भरे मीडिया के सामने शान से बोल गए “प्यासे को कुएं के पास आना होगा” अभी स्वयं को कुआ घोषित किए उन्हें कुछ पल भी नहीं बीते होंगे कि किसानों ने दिल्ली से लेकर पंजाब तक नए प्रधान को कुएं के मेंढक बता टर टर न करने की चेतावनी देते हुए घेरा डाल घेर लिया । अब आलम यह है कि प्रधान जी घिरते घिराते बचते बचाते पूरे पंजाब में कुआं का मेंढक बन घूम रहे हैं।
अतिवादी आत्मघाती हो जाता है। यही हो रहा है शब्दों के तीरबाज नवजोत सिद्धू के साथ, जुबान के ज्यादा घुमाव के चक्कर में किसानों के घेरे में घिरे सिद्धू एक और बड़ी गलती कर गए। पावन गुरुबाणी में अंकित कबीर साहेब के सैकड़ों साल पहले लिखे दोहे से सिद्धू जी ने कबीर जी को ही हटा, खुद को फिट कर बाजार में खड़ा कर दिया ,और बड़े शान से सिद्धू पंजे के जोर पर अकड़ जोर जोर से भरी बाजार बोल पड़े
“सिद्धू खड़ा बाज़ार में कांग्रेस की मांगे खैर”
कबीर साहब के शब्दों से सिद्धू के खिलवाड़ करने पर कबीरपंथी और पंजाब का दलित समाज इन दिनों बहुत आक्रोशित हैं। गुरुजनों की बेअदबी का अधिकार नहीं है किसी की प्रधानी का पद। सिद्धू जी कबीर साहेब का नाम हटा जिस बाजार में आज खड़े हैं उस बाजार का सेठ
सदा सदा ही मतदाता रहा है ,और पंजाब के मतदाता का मन कभी संतों की बेअदबी कर आगे बढ़ने वालों के साथ नहीं जुड़ा। बाजार में खड़े हो सिद्धू की कांग्रेसी खैर की मांग कहीं लोगों से कांग्रेस का बैर ना बढ़ा दें। सिद्धू जी अब आप प्रधान हो कांग्रेस के इस बात का ख्याल रखना ही होगा, वैसे भी कैप्टन और कप्तान का कुर्सी बैर, माफी बैर, चिट्ठी बैर, गली-गली में गूंज रहा है। ऊपर से सिद्धू का यह नया नया जुबानी बैर का तड़का पंजाब के जख्मों पर नमक का काम कर रहा है। सिद्धू जी की अपनी ही जुबान उनकी दुश्मन बन उनके सामने खड़ी है,जिस पर सवार होने की नहीं साधने की जरूरत है। यह ध्यान रखना होगा कि शब्द का अपना मोल है जो कद और पद बढ़ने के साथ शब्दों का मोल भी बड़ी जाता है। नाप तोल, जांच परख, मान अपमान का ख्याल रखे बगैर सिद्धू जी अगर यूं ही बातों के बतासे बांटते रहे तो कांग्रेस का के ख़ैर की फरियाद एक सपना बन कर ही रह जाएगी।