आपको भी इंडिया में शेयरों की वैल्यूएशन बहुत ज्यादा लग रही है? तो फिर आपको ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल की नई स्ट्रेटेजी रिपोर्ट पर गौर करना चाहिए। इसमें इस बारे में कुछ बातें बताई गई हैं। पहला, निफ्टी का एक साल का फॉरवर्ड प्राइस अर्निंग्स रेशियो 20.3 गुना है, जो इसके 10 साल के औसत के बराबर है। दूसरा, पिछले कुछ समय से इमर्जिंग मार्केट्स में इंडिया की वैल्यूएशन प्रीमियम पर है। इकोनॉमी की अच्छी सेहत, कंपनियों की अर्निंग्स में लगातार अच्छी ग्रोथ और बेहतर कॉर्पोरेट गवर्नेंस इसके कारण हैं। हमें थोड़ा और गहराई में जाने की जरूरत है। FY14 में निफ्टी 50 के सिर्फ 14 फीसदी स्टॉक्स में 30 गुना ट्रेलिंग पीई से ऊपर ट्रेडिंग हो रही थी। आज यह आंकड़ा बढ़कर 50 फीसदी हो गया है। ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद की वजह से अर्निंग्स मल्टीपल बढ़ रहे हैं, लेकिन इससे शेयरों में उतनी तेजी आने की गुंजाइश सीमित हो गई है, जितनी पिछले दो साल में देखने को मिली है।
Nifty 50 में शामिल शेयरों की बात करें तो एक जैसा ट्रेंड नहीं दिख रहा। 17 स्टॉक्स में से तीन में उनके हिस्टोरिकल एवरेज से कम पर ट्रेडिंग हो रही है। 14 में प्रीमियम पर ट्रेडिंग हो रही है। जो लोग सस्ते स्टॉक्स की तलाश में हैं वो प्राइवेट बैंक, PSU Banks और NBFC शेयरों पर दांव लगा सकते हैं। इनमें इनके 10 साल के औसत फॉरवर्ड पीई रेशियो से कम पर ट्रेडिंग हो रही है। प्राइवेट बैंकों का 10 साल का औसत फॉरवर्ड पीई रेशियो 20 गुना है। इनमें 18 फीसदी डिस्काउंट पर ट्रेडिंग हो रही है। पीएसयू बैंकों का 10 साल का औसत फॉरवर्ड पीई रेशियो 10 गुना है। इनमें 13 फीसदी डिस्काउंट पर ट्रेडिंग हो रही है। एनबीएफसी का 10 साल का औसत फॉरवर्ड पीई रेशियो 19 है। इनमें 5 फीसदी डिस्काउंट पर ट्रेडिंग हो रही है। जो इनवेस्टर्स यूटिलिटीज, लॉजिस्टिक्स और सीमेंट पर दांव लगाना चाहते हैं, उन्हें यह जान लेना जरूरी है कि इनमें 10 साल के औसत फॉरवर्ड पीई के मुकाबले क्रमश: 74, 50 और 46 फीसदी प्रीमियम पर ट्रेडिंग हो रही है।
एआईए इंजीनियरिंग के शेयरों में 13 अगस्त को 5.47 फीसदी गिरावट आई। ये 4,549.90 रुपये पर बंद हुए। गिरावट की वजह पहली तिमाही के कमजोर नतीजे हैं। वॉल्यूम पर दबाव बना हुआ है। बुल्स का कहना है कि माइनिंग और सीमेंट सेक्टर हाई क्रोम मिल इनटर्नल पर शिफ्ट हो रहा है, जिसका लाभ उठाने के लिहाज से AIA Engineering मजबूत स्थिति में है। कंपनी कैपेसिटी बढ़ा रही है। साथ ही इसके कम्प्रिहेंसिव सॉल्यूशंस से EBITDA मार्जिन बढ़कर 22 फीसदी से ज्यादा RoE 17 फीसदी से ज्यादा हो गया है। बेयर्स का कहना है कि रॉ मैटेरियल की कीमतों में उतारचढ़ाव कंपनी के लिए रिस्क है। कंपनी की निर्भरता सीमेंट, माइनिंग और पावर सेक्टर पर है। इससे सप्लाई को लेकर किसी तरह की दिक्कत होने पर मार्जिन पर असर पड़ सकता है। क्षमता विस्तार और मार्केट में अच्छी संभावनाओं के बावजूद वॉल्यूम ग्रोथ प्रभावित हो सकती है।
एचडीएफसी बैंक का शेयर 13 अगस्त को 3.46 फीसदी गिरकर 1,603 रुपये पर बंद हुआ था। एमएससीआई ने दो किस्तों में वेटेज बढ़ाने का ऐलान किया है। बुल्स का कहना है कि भले ही एमएससीआई ने लोअर एडजस्टमेंट फैक्टर के साथ वेटेज बढ़ाया है, लेकिन इस साल नवंबर में अगले फ्लोट एडजस्टमेंट में HDFC Bank के स्टॉक की रिरेटिंग में मदद मिल सकती है। डिपॉजिट में वृद्धि और बढ़ते मार्जिन से भी एचडीएफसी बैंक के शेयरों को मजबूती मिलेगी। उधर, बेयर्स की दलील है कि प्राइवेट बैंकों का LDR 100 फीसदी से ऊपर पहुंच गया है, जो 80-90 फीसदी की सीमा से काफी ज्यादा है। उधर, क्रेडिट ग्रोथ के मुकाबले डिपॉजिट ग्रोथ कम है। इसका असर शेयर पर पड़ सकता है।






