Shashi Tharoor Savarkar Award News : Congress नेता और तिरुवनंतपुरम से MP Shashi Tharoor ने वीर सावरकर के नाम पर दिए जाने वाले Award को लेने से साफ इनकार कर दिया है। यह मामला उनकी अपनी ही Party के साथ एक नए विवाद का कारण बन सकता था, लेकिन थरूर ने समय रहते स्थिति को संभाल लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि न तो उन्हें इस Award की प्रकृति के बारे में पता है और न ही इसे देने वाली संस्था के बारे में कोई जानकारी है।
‘मैं नहीं जा रहा’
जब Media ने थरूर से Savarkar Award समारोह में शामिल होने के बारे में सवाल किया, तो उनका जवाब बेहद सीधा था, “मैं नहीं जा रहा।” हालांकि, थरूर भाग रहे हैं पर सवाल से नहीं। शायद Parliament के लिए लेट हो गए हो या किसी दूसरी वजह से जल्दी में हो। इसके बाद उन्होंने Social Media प्लेटफॉर्म X (पुराना Twitter) पर एक विस्तृत बयान जारी कर अपनी स्थिति साफ की। उन्होंने लिखा कि स्पष्टीकरण के अभाव में आज के Event में जाने या Award स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
क्या है यह पूरा अवार्ड?
जिस Award को लेकर इतनी चर्चा हो रही है, उसका पूरा नाम ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवार्ड 2025’ है। यह Award ‘एसडीआरएस इंडिया’ (SDRS India) नाम का एक NGO दे रहा है। इस NGO की जड़ें Kerala में हैं और यह Tribal Housing (आदिवासियों के लिए आवास) के क्षेत्र में भी काम करता है। जानकारी के मुताबिक, यह सम्मान कुल छह लोगों को दिया जाना था, जिसमें Congress MP Shashi Tharoor का नाम भी शामिल था।
आयोजकों पर गैर-जिम्मेदाराना रवैये का आरोप
थरूर ने Social Media पर बताया कि जब वे Local Body Election के लिए Kerala में थे, तब एक दिन पहले ही उन्हें Media के जरिए इस Award के बारे में पता चला। उन्होंने आयोजकों के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी रजामंदी के बिना नाम का ऐलान करना एक गैर-जिम्मेदाराना तरीका है। तिरुवनंतपुरम में जब उनसे सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ कर दिया कि न उन्हें इस बारे में पता था और न ही वे यह Award लेंगे।
विचारधारा की लड़ाई
यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि Savarkar और Congress की विचारधारा एकदम विपरीत है। Congress हमेशा से आरोप लगाती रही है कि विनायक दामोदर सावरकर British Government के आगे झुके थे, उन्होंने ‘टू नेशन थ्योरी’ की वकालत की और हिंदू-मुसलमानों के बीच फूट डालने का काम किया। वे महात्मा गांधी की हत्या के आरोपी भी रहे, हालांकि बाद में बरी हो गए थे। ऐसे में थरूर के लिए सावरकर के नाम पर Award लेना राजनीतिक रूप से असहज हो सकता था।
पार्टी से नाराजगी और भाजपा में जाने की अटकलें
सावरकर के नाम पर Award के लिए थरूर का चुना जाना ऐसे समय में हुआ जब Modi Government उन पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान नजर आ रही है। हाल ही में जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आए थे, तो Dinner में नेता प्रतिपक्ष Rahul Gandhi को नहीं बुलाया गया था, लेकिन थरूर का नाम लिस्ट में था और वे गए भी। इसके अलावा, Pakistan के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संदेश देने के लिए सरकार ने जो Delegation भेजे, उनमें से एक का नेतृत्व थरूर को मिला था।
नेहरूवियन सेकुलरिज्म पर भरोसा
बाजार में यह चर्चा जोर पकड़ रही थी कि कहीं थरूर BJP में तो नहीं जा रहे। हालांकि, उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई से बातचीत में साफ किया, “मैं कहीं नहीं जा रहा। मैं खुद को नेहरूवियन सेकुलरिस्ट मानता हूं और इसी दायरे में अपनी राजनीति करना चाहता हूं।” उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि 2029 में अगर Lok Sabha Election हुआ तो वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते, शायद वे Rajya Sabha में जाना चाहें।
केरल की राजनीति और कांग्रेस को संदेश
थरूर Kerala की राजधानी तिरुवनंतपुरम से सांसद हैं और वहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यह किसी से छिपा नहीं है कि थरूर राज्य की राजनीति में बड़ी भूमिका चाहते हैं। आज 10 दिसंबर को वीर सावरकर Award न लेने की बात कहकर उन्होंने Congress आलाकमान को भी एक कड़ा संदेश दिया है। भले ही थरूर को संसद की अहम चर्चाओं में Congress के वक्ताओं की लिस्ट में न होने का मलाल हो, लेकिन फिलहाल वे पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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Shashi Tharoor ने ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवार्ड 2025’ लेने से इनकार कर दिया है।
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यह Award केरल स्थित NGO ‘एसडीआरएस इंडिया’ द्वारा दिया जाना था।
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थरूर ने स्पष्ट किया कि आयोजकों ने उनकी सहमति के बिना नाम का ऐलान किया।
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उन्होंने खुद को ‘नेहरूवियन सेकुलरिस्ट’ बताते हुए BJP में जाने की अटकलों को खारिज किया।






