Shashi Tharoor Congress Quit Rumors: सियासी गलियारों में पिछले कुछ दिनों से एक सवाल बार-बार उठ रहा था—क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर पार्टी छोड़ने वाले हैं? रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित Dinner में थरूर की मौजूदगी ने इन अटकलों को और हवा दे दी।
खासकर तब, जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इस अहम कार्यक्रम से दूर रखा गया। लेकिन अब खुद शशि थरूर ने इन तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी है और अपनी वफादारी के साथ-साथ सरकार के प्रोटोकॉल पर भी खुलकर बात की है।
क्यों उड़ीं पार्टी छोड़ने की अफवाहें?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के सम्मान में 6 दिसंबर 2025 को राष्ट्रपति भवन में एक राजकीय भोज (State Dinner) का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद शशि थरूर शामिल हुए। हाल के दिनों में थरूर को कई मौकों पर केंद्र की मोदी सरकार के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाते देखा गया है।
उनकी यह ‘नजदीकी’ कांग्रेस के भीतर कई नेताओं को रास नहीं आ रही थी और पार्टी में इसे लेकर बेरुखी साफ देखी जा रही थी। इसी बीच, जब विपक्ष के बड़े चेहरों को छोड़कर थरूर को न्योता मिला और वे वहां पहुंचे, तो यह चर्चा आम हो गई कि शायद वे BJP का दामन थामने की तैयारी कर रहे हैं।
थरूर ने साफ किया अपना ‘Stand’
मीडिया से बातचीत में शशि थरूर ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह कांग्रेस छोड़ने की खबरों से परेशान नहीं हैं और पार्टी में ही बने रहेंगे।
उन्होंने अपनी मौजूदगी की वजह बताते हुए कहा कि उन्हें यह निमंत्रण उनकी संसदीय भूमिका और International Affairs (अंतरराष्ट्रीय मामलों) से जुड़े काम के कारण मिला है। वे संसद की विदेश मामलों की समिति (Foreign Affairs Committee) के अध्यक्ष हैं, इसलिए इस तरह के कूटनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होना उनकी जिम्मेदारी और प्रोटोकॉल का हिस्सा है। इसे राजनीति बदलने के संकेत के रूप में देखना गलत है।
राहुल और खरगे को न बुलाना ‘Shameful’
भले ही थरूर डिनर में शामिल हुए, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं की अनदेखी पर सरकार को आड़े हाथों भी लिया। उन्होंने कहा कि एक Democracy (लोकतंत्र) में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष को न बुलाया जाना शर्मनाक (Shameful) है।
हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि राष्ट्रपति भवन के प्रोटोकॉल के मुताबिक जो फैसला लिया गया, वे उस पर कोई Comment करके किसी नई Controversy (विवाद) में नहीं पड़ना चाहते। उनका मानना था कि राष्ट्रपति का निमंत्रण ठुकराना उचित नहीं होता, खासकर तब जब मामला किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के सम्मान का हो।
‘सरकार के साथ काम करना लोकतंत्र है’
थरूर ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि मुद्दों पर सरकार के साथ काम करना लोकतंत्र का हिस्सा है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वे अपनी पार्टी छोड़ देंगे या अपनी विचारधारा से समझौता कर लेंगे।
उन्होंने कहा, “हम कुछ बातों पर असहमत होते हैं और कुछ पर सहमत। जहां सहमति है, वहां मिलकर काम होना चाहिए।” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि उन्होंने बहुत मेहनत से चुनाव जीता है और किसी और विकल्प पर विचार करना एक बहुत बड़ा फैसला होगा, जो फिलहाल उनके एजेंडे में नहीं है।
जानें पूरा मामला
शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में पुतिन के लिए आयोजित भोज में विपक्ष के शीर्ष नेताओं, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को आमंत्रित नहीं किया गया था। इसे लेकर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई थी। ऐसे माहौल में शशि थरूर का वहां जाना उनकी अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं को नागवार गुजरा। हालांकि, थरूर ने साफ कर दिया है कि उनका वहां जाना विशुद्ध रूप से एक संसदीय दायित्व था और वे कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़े हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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शशि थरूर ने कांग्रेस छोड़ने और BJP में शामिल होने की अफवाहों का खंडन किया।
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उन्होंने बताया कि Foreign Affairs Committee के चेयरमैन होने के नाते वे डिनर में शामिल हुए।
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थरूर ने राहुल गांधी और खरगे को न्योता न मिलने को Shameful और दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
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उन्होंने कहा कि सरकार के साथ मुद्दों पर सहयोग करना पार्टी बदलने का संकेत नहीं है।






