Salasar Techno Engineering Stock Split: सालासर टेक्नो इंजीनियरिंग का बोर्ड आगामी 30 अप्रैल को 10 रुपये फेस वैल्यू वाले मौजूदा इक्विटी शेयरों के विभाजन यानी स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) के प्रस्ताव पर विचार करेगा। कंपनी ने शेयर बाजारों को भेजी एक सूचना में यह जानकारी दी है। इस खबर के बाद सालासर टेक्नो के शेयरों में गुरुवार को 7 फीसदी तक की उछाल आई औह एनएसई पर ये 289 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे।
Salasar Techno एक टेलिकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है। कंपनी इलेक्ट्रिफिकेशन, पावर ट्रांसमिशन लाइन और सोलार पावर प्लांट को इंजीनियरिंग प्रोक्यूरमेंट एंड कंट्रोल सेवा उपलब्ध कराती है। कंपनी के शेयरों ने पिछले कुछ समय से अपने निवेशकों को बेंचमार्च इंडेक्स से बेहतर रिटर्न दिया है। पिछले एक महीने में सालासर टेक्नो के शेयरों की कीमत करीब 25.60 फीसदी बढ़ी है, जबकि इस दौरान सेंसेक्स में 0.11 फीसदी की गिरावट आई है।
वहीं साल 2022 की शुरुआत से अब तक यह शेयर अपने निवेशकों को 19.32 फीसदी का रिटर्न दे चुका है, जबकि सेंसेक्स इस दौरान 2.12 फीसदी गिरा है। पिछले एक साल में Salasar Techno के शेयर करीब 26.75 फीसदी चढ़े हैं, जबकि इस दौरान सेंसेक्स ने करीब 20.50 फीसदी का रिटर्न दिया है।
क्या होता है स्टॉक स्प्लिट?
स्टॉक स्प्लिट का मतलब होता है शेयरों का विभाजन। आमतौर पर जब शेयरों की कीमत अधिक हो जाती है, तो कंपनी छोटे निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपने शेयरों को कई भाग में विभाजित कर देती है। इससे शेयरों की कीमत सस्ती हो जाती है और कंपनी के कुल शेयरों की संख्या बढ़ा दी जाती है। हालांकि इससे कंपनी की मार्केट वैल्यू पर कोई असर नहीं पड़ता है।
उदाहरण के लिए अगर किसी शेयर का मूल्य 1000 रुपये है और कंपनी ने उस शेयर 1:1 के रेशियो में स्पिल्ट यानी विभाजित करने का फैसला किया है तो उस कंपनी के मौजूदा शेयरहोल्डर को हर एक शेयर के बदले में एक अतिरिक्त शेयर जारी किए जाएंगे, लेकिन शेयरों की कीमत आधी यानी की 500 रुपये हो जाएगी। इस तरह प्रति शेयर की कीमत घट जाएगी, लेकिन शेयरहोल्डरों के शेयर की वैल्यू और कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन उतनी ही रहेगी।
शेयरों के विभाजन से कंपनी पर क्या पड़ता है असर?
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयरों में लिक्विडिटी आती है। छोटे निवेशकों का रुझान शेयर की तरफ बढ़ता है. कीमत कम होने से भी शेयरों में तेजी की संभावना बढ़ जाती है। शॉर्ट टर्म के लिए कंपनी के शेयरों में उछाल देखने को मिलता है। बाजार में कंपनी के शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। हालांकि, इससे कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market Cap) पर कोई असर नहीं पड़ता।